टॉयलट सीट का ढक्कन बंद रखने से कोरोना का खतरा कम, मल में पांच हफ्तों तक जिंदा रहता है वायरस

By: Jul 5th, 2020 12:05 am

नई दिल्ली-कोरोना वायरस संक्रामक बीमारी है और इस महामारी से पीडि़त किसी भी मरीज के संपर्क में आने से आप भी इसके शिकार बन सकते हैं। ऐसे में दफ्तर, शॉपिंग सेंटर या फिर कहीं भी अगर आप सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं तो आप भी कोरोना के शिकार हो सकते हैं, लेकिन एक रिसर्च में सामने आया है कि अगर इस्तेमाल करने के बाद फ्लश चलाने से पहले टॉयलट सीट के ढक्कन को बंद कर दिया जाए, तो संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है। कोरोना से संक्रमित मरीजों के मल से वायरस फैलने की संभावना पर वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया है। अध्ययन से पता चला है कि मरीज के ठीक हो जाने के बाद भी उसके मल में कोरोना का वायरस पांच हफ्तों तक जिंदा रह सकता है। ऐसे में वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे है कि अगर शौचालय का इस्तेमाल करने के बाद टॉयलट सीट के ढक्कन को बंद कर फ्लश का इस्तेमाल किया जाए, तो संक्रमण के खतरे को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। रिसर्च में सामने आया है कि फ्लश करने पर पानी के बहाव के कारण संक्रमित कण पानी से तीन फुट (करीब 1 मीटर)  तक ऊपर उठ जाते हैं। ऐसे में मल में मौजूद संक्रमित कणों के साठ प्रतिशत कण हवा में पहुंच सकते हैं, इसलिए अगर ढक्कन बंद हो तो वायरस को बाथरूम में फैलने से रोका जा सकता है। फिजिक्स ऑफ फ्लड जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक टॉयलट सीट से निकलकर बाथरूम के वातावरण में संक्रमित कण एक मिनट से ज्यादा समय तक हवा में रहते हैं। इन कणों के संपर्क में आते ही कोई भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हो सकता है। रिसर्च के अनुसार सार्वजनिक शौचालयों में इस तरह से संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है, क्योंकि वहां एक ही शौचालय को कई लोग इस्तेमाल कर रहे होते हैं। वहां वायरस फैलने की गति भी तेज हो सकती है इसलिए वहां टॉयलट सीट को बंद रखा जाना जरूरी है।


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