75% छात्र ऑनलाइन क्विज से अनजान

By: Aug 8th, 2020 12:01 am

शिमला  – कोविड काल में ऑनलाइन स्टडी छात्रों तक पहुंचाने में शिक्षा विभाग कितना सफल रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 75.5 प्रतिशत छात्रों को पता ही नहीं है कि सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए कोई क्विज प्रतियोगिता शुरू की गई है। हैरत तो इस बात की है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 13.4 प्रतिशत छात्रों को समग्र शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन वीडियो देखने में भी रुचि नहीं है।

समग्र शिक्षा विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। हालांकि शिक्षा विभाग की यह सर्वेक्षण रिपोर्ट जरूर चौंकाने वाली है। पहले एसएसए की ओर से जारी किए सर्वेक्षण में कहा गया कि 75.5 प्रतिशत छात्र ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी कहा गया कि 39 प्रतिशत छात्र इस क्विज प्रतियोगिता में हिस्सा ही नहीं ले रहे हैं। फिलहाल समग्र शिक्षा विभाग की ओर से किए गए इस सर्वे में ऑनलाइन स्टडी को लेकर अच्छे परिणाम भी निकले हैं। सर्वेक्षण सभी 12 जिलों में करवाया गया। समग्र शिक्षा विभाग ने सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा किया है कि 13.5 प्रतिशत शहरी और 86.5 ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों ने भाग लिया।

सर्वेक्षण के अनुसार 94 प्रतिशत बच्चे व्हाट्सऐप द्वारा हर घर पाठशाला से जुड़े हैं। वहीं  व्हाट्सऐप के माध्यम से न जुड़ने वाले बच्चों के पास मोबाइल फोन का न होना मुख्य कारण है। 92.7 प्रतिशत बच्चों ने जवाब दिया कि वे कार्यप्रत्रक को हल करते हैं, जबकि 7.1 प्रतिशत बच्चे कार्यपत्रक को हल नहीं करते हैं। इसी तरह से हर घर पाठशाला वेबसाइट पर उपलब्ध वीडियो के बारे में 86.6  बच्चों का कहना है कि वे हर घर पाठशाला वेबसाइट पर उपलब्ध वीडियो को देखते हैं व 13.4 प्रतिशत बच्चों का कहना है कि वे वेबसाइट पर उपलब्ध वीडियो को नहीं देखते हैं।

61 प्रतिशत बच्चे शनिवार को आयोजित होने वाली व्हाट्सऐप प्रश्नोतरी में भाग लेते हैं व 39 प्रतिशत बच्चे भाग नहीं लेते हैं। 75.5 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि वे इस प्रश्नोतरी के बारे में नहीं जानते हैं और शेष बच्चों को कहना था कि व्हाट्सऐप प्रश्नोत्तरी धीमी गति से पूछताछ, मुश्किल और लंबी होती है।

अभिभावकों के विभाग को ऑनलाइन स्टडी पर सुझाव

समग्र शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि सरकार स्मार्ट फोन उपलब्ध करवाएं। डाटाप्लेन छात्रों के लिए सस्ता हो। अध्यापक कम से कम सप्ताह में एक बार छात्रों तक पहुंचे। वीडियो ज्यादा लंबे न हों। प्रश्नोतरी हर विषय की हो। आकलन (ऑनलाइन टेस्ट) की संख्या बढे, कार्यपत्रक संक्षिप्त हो।


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