अकर्मण्य जीवन
स्वामी विवेकानंद
गतांक से आगे…
भयानक ठंड की वजह से हड्डियां तक ठिठुर जाती थीं। स्वामी जी के कमजोर स्वास्थ्य के लिए यह असह्य था। अंत में 24 जनवरी सन् 1901 को वे बेलूड़ लौट आए। स्वामी विवेकानंद की माता जी का विचार पूर्व बंगाल और आसाम तीर्थों की यात्रा करने का था।
इसी उद्देश्य से कुछ शिष्यों सहित उन्होंने 18 मार्च को ढाका के लिए प्रस्थान किया। 24 मार्च को माता जी और उनकी सहेलियां नारयण गंज में उनके साथ आ मिलीं। यहां के भक्तों के कहने से उन्होंने दो व्याख्यान दिए। यहां से वे साधु नाग महाशय की जन्मभूमि देवभोग का दर्शन करने गए। सन् 1899 के दिसंबर के महीने में नाग महाशय का देहावसान हुआ था। आज जनक तुल्य तत्त्वज्ञानी नाग महाशय से संबंधित अनेक स्मृतियां उनके मानसपटल पर उभर आईं। यहां से वे फिर ढाका लौट गए। वहां से कामाख्या और चंद्रनाथ के दर्शनों के लिए यात्रा की। रास्ते में गोहाटी ठहरकर कुछ दिन आराम किया। यहां तीन व्याख्यान दिए। वापस ढाका लौटने पर स्वास्थ्य एकदम खराब हो गया। सभी को चिंता
होने लगी।
स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए सभी की तरफ से शिलांग जाने का अनुरोध स्वामी जी ने स्वीकार कर लिया। वे वहां के लिए चल दिए। उस समय असम के कमिश्नर सर हेनरी कॉटन थे। उनकी स्वामी जी के प्रति बड़ी श्रद्धा थी। उन्होंने स्वामी जी का स्वागत किया और व्याख्यान का आयोजन भी। यहां आकर भी उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो पाया। इसके अलावा उनके दमे का रोग और ज्यादा बढ़ गया। वे फिर बेलूड़ मठ लौट आए। दमा के अलावा बहुमूत्र रोग और अब सूजन भी हो गई थी। मठ के सभी लोगों के कहने पर स्वामी जी सब कामों को छोड़कर इलाज की तरफ ध्यान देने लगे। आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा उनका इलाज किया जाने लगा।
स्वामी जी अपनी बीमारी की वजह से बहुत ज्यादा परेशान रहने लगे, लेकिन वे अपनी बीमारी को जाहिर नहीं होने देते थे ताकि कोई परेशान न हो। लाख कोशिश करने के बाद भी वे आने-जाने वालों को मना नहीं कर पाते थे। स्वास्थ्य से भी वे विरक्त नहीं हुए। अकर्मण्य जीवन उन्हें तिल भर भी नहीं सुहाता था। इधर उनकी भूख और नींद भी जाती रही। फिर बीतते दिनों के साथ स्वास्थ्य में कुछ सुधार होने लगा। अब स्वामी जी सुबह-सुबह घूमने के लिए निकलने लगे। कभी कोई छोटा-मोटा काम स्वयं करने लगते। फुलवाडी में बीज बोते, कभी रसोईघर में जाकर कोई नई चीज बनाकर अपने शिष्यों को और गुरुभाइयों को खिलाते। स्वामी जी की इच्छा से मठ में विधिपूर्वक दुर्गार्चन का कार्यक्रम बना। एक दुर्गा प्रतिमा मठ में लाई गई।
-क्रमशः
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App