भारत को अस्थिर करने की एक साजिश: कुलदीप चंद अग्निहोत्री, वरिष्ठ स्तंभकार

By: कुलदीप चंद अग्निहोत्री, वरिष्ठ स्तंभकार Aug 15th, 2020 12:08 am

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

प्रश्न है कि एक संगठित गिरोह को बेंगलुरू में आधी रात को यह हिंसा करके आतंक फैलाने की जरूरत क्यों पड़ी? लेकिन उससे भी बड़ा प्रश्न है कि इसके लिए किस घटना को बहाना बनाया गया? किसी दलित युवक नवीन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली जिसमें हजरत मोहम्मद के बारे में कुछ आपत्तिजनक शब्द लिखे थे। उस पर कोई शोर-शराबा नहीं हुआ, लेकिन अचानक दो दिन बाद बेंगलुरू के केजी हल्ली और डीजे हल्ली इलाके में आधी रात को धावा बोल दिया गया…

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में ग्यारह और बारह अगस्त की आधी रात के समय हिंसा का तांडव हुआ। अनेक समाचार पत्रों ने खबर दी कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने यह तांडव किया। वैसे सब जानते हैं कि यह समुदाय विशेष उन लोगों का था जिनके पूर्वजों ने सुल्तान या मुगल शासन के दौरान इस्लाम पंथ को स्वीकार कर लिया था। पुलिस का कहना है कि यह भीड़ लगभग तीन हजार की थी, लेकिन इनमें सभी भारतीय वह नहीं थे जिनके पूर्वजों ने इस्लाम मजहब को स्वीकार कर लिया था। इनमें कुछ संख्या अरब और मध्य एशिया से आए सैयदों और तुर्क मुगल मंगोलों की भी थी। इनके पूर्वजों ने सात-आठ शताब्दी पहले हिंदुस्तान पर हमले किए थे। इस भीड़ में से कुछ के पूर्वज हमलावरों के साथ आए थे और कुछ बाद में हमलावरों के दरबारों में नौकरी करने आए थे। वक्त बदला। अरब सैयदों, तुर्क मुगल मंगोलों की सत्ता भारत से समाप्त हो गई, लेकिन बहुत थोड़ी संख्या में बच गए उनके अवशेषों के मन से अभी भी उनके पूर्वजों द्वारा भारत को जीतने की स्मृतियां बची हुई हैं। लेकिन भारत के 138 करोड़ लोगों में इन सैयदों, तुर्कों, मुगल मंगोलों की संख्या आटे में नमक के बराबर भी नहीं है। इसलिए वे स्मृतियों से आगे नहीं बढ़ सकते। लेकिन मन है कि मानता नहीं। उधर अरब-तुर्क क्षेत्रों में भी कुछ लोग वही पुराने सपने ले रहे हैं। वे अरब साम्राज्य और ओटोमन साम्राज्य के दिनों की याद में खोए रहते हैं।

उन्होंने आईएसआईएस के नाम से एक संस्था भी बना ली है, जो फिर से दुनिया में अरब या तुर्क साम्राज्य की स्थापना करना चाहती है। अपने अरब-तुर्क साम्राज्य में वे भारत को भी शामिल करते हैं। लेकिन भारत में उनकी इस योजना को कौन पूरा करेगा? भारत के वे लोग जिनके पुरखों ने किन्हीं भी कारणों से कभी अरबों के इस पंथ को अपना कर अपनी पूजा पद्धति बदल ली थी, अरबों-तुर्कों की इस योजना का हिस्सा क्यों बनेंगे? जाहिर है आईएसआईएस ने अपने स्रोतों से इतना तो पता कर ही लिया होगा कि भारत में एसटीएम (सैयद अरब, तुर्क, मंगोल मुगल) चाहे संख्या में आटे में नमक के बराबर हैं, लेकिन जिन भारतीयों ने कभी इस्लाम पंथ स्वीकार कर लिया था, उनका नेतृत्व अभी इक्कीसवीं शताब्दी में भी एसटीएम के हाथ में ही है। कुछ मास पहले दिल्ली में और अब बेंगलुरू में हुई हिंसा का पैटर्न एक जैसा ही है। बिना लंबी तैयारी के यह हिंसा संभव नहीं थी। यह किसी प्रकार का दंगा नहीं था। यह पूरी योजना व तैयारी के आधी रात को किया गया सुसंगठित शक्ति प्रदर्शन था। भीड़ चाहे तीन हजार लोगों की थी, लेकिन उसके नेतृत्व की शिनाख्त करने की जरूरत है। चोर को मत पकड़ो, चोर की मां को पकड़ो। ऐसे मामलों में अमूमन होता यही है कि सारा जोर चोर को पकड़ने में लग जाता है, चोर की मां दूसरे चोरों को प्रशिक्षित करने में व्यस्त हो जाती है। वैसे पुलिस ने अभी तक सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ  इंडिया के चार लोगों को गिरफ्तार किया है। कहा जाता है कि पार्टी पापुलर फ्रंट ऑफ  इंडिया का राजनीतिक दल है। यह पापुलर फ्रंट चरमपंथी इस्लामी संगठन है। दक्षिण भारत में इस प्रकार के चरमपंथी इस्लामी संगठन पिछले कुछ साल से सक्रिय हो रहे हैं। लेकिन प्रश्न है कि एक संगठित गिरोह को बेंगलुरू में आधी रात को यह हिंसा करके आतंक फैलाने की जरूरत क्यों पड़ी? लेकिन उससे भी बड़ा प्रश्न है कि इसके लिए किस घटना को बहाना बनाया गया?

किसी दलित युवक नवीन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली जिसमें हजरत मोहम्मद के बारे में कुछ आपत्तिजनक शब्द लिखे थे। उस पर कोई शोर-शराबा नहीं हुआ, लेकिन अचानक दो दिन बाद बेंगलुरू के केजी हल्ली और डीजे हल्ली इलाके में आधी रात को धावा बोल दिया गया। धावे में स्थानीय कांग्रेसी विधायक श्री निवास के मकान को आग के हवाले किया गया। लेकिन साथ ही पुलिस स्टेशन पर भी हमला किया गया। साठ से भी ज्यादा पुलिस वाले घायल हुए। करोड़ों की संपत्ति तो जला ही दी गई। लेकिन एक और काम और बड़ी होशियारी से किया गया। एक मंदिर के बाहर कुछ लोग खड़े हो गए। उसका वीडियो बनाया गया। उसे तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया, यह लिख कर कि किस प्रकार मुसलमान मिल कर एक हिंदु मंदिर को बचा रहे हैं, क्योंकि हिंसा करने वाले जानते थे कि हमले का वीडियो भी वायरल होगा ही। उसकी प्रतिक्रिया को रोकने के लिए हिंदु मंदिर को मुसलमानों द्वारा बचाने का वीडियो जारी करना बहुत जरूरी था। असली चिंता इस बात को लेकर होनी चाहिए कि भारत में आईएसआईएस की योजना को जाने-अनजाने में क्रियान्वित करने में लगे लोग राजनीतिक दलों में भी घुसपैठ कर चुके हैं। अब समय आ गया है कि भारत को अस्थिर करने वाले गिरोहों की गहरी जांच की जाए।

ईमेलः kuldeepagnihotri@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App