सीएचसी नगरोटा सूरियां का भवन जर्जर

By: Aug 7th, 2020 12:20 am

नगरोटा सूरियां – नाम बड़े दर्शन छोटे यह कहावत नगरोटा सूरियां के  समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में  स्टीक बैठती है।  नगरोटा सूरियां के साथ  दो वर्षों से अधिक समय हो गया। यहां  बीएमओ का नाम पद रिक्त चल रहा है और लोगों को अपने स्वास्थ्य के उपचार के लिए टांडा जाना पड़ता है। बीएमओ का कार्य जवाली से चल रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नगरोटा सूरियां काफी समय से सरकार की अनदेखी का शिकार है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन जर्जर हालत में है। बारिश अभी शुरू भी नहीं होती है और भवन में पानी टपकना शुरू हो जाता है विद्युत सप्लाई बंद हो जाए, तो अस्पताल में जेनरेटर तक नहीं है। अभी तीन दिन पहले विद्युत सप्लाई अचानक बंद हो गई थी, तो अस्पताल में कोई लाइट की व्यवस्था नहीं थी और कहने को तो यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। इस विकास खंड का मगर सुविधा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बराबर भी नहीं है। प्रदेश में अधिकतर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 30 बिस्तर स्वीकृत किए जाते हैं, मगर नगरोटा सूरियां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मात्र सात बिस्तर ही हैं और दो डाक्टर के पद और एक बीएमओ का पद स्वीकृत है। बीएमओ का पद पिछले दो साल से रिक्त पड़ा हुआ है।

स्वास्थ्य केंद्र में रोजाना डेढ़ सौ से 200 ओपीडी होती है। स्वास्थ्य खंड नगरोटा सूरियां से 45 किलोमीटर दूर बैठे बीएमओ फतेहपुर के पास इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का अतिरिक्त कार्यभार है और वह भी इस खंड को रैहन से ही चला रहे है। इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लगभग 20 पंचायतों के लोग निर्भर हैं, मगर सुविधा के अभाव में लोगों को पठानकोट या टांडा पर ही निर्भर होना पड़ता है, क्योंकि एक डाक्टर ओपीडी में बैठकर या नाइट में एक डाक्टर कितने मरीज देखेगा।

सरकारी नियमों के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र  में 30 बेड एक चीफ फार्मासिस्ट दो  फार्मासिस्ट, छह स्टाफ नर्सेज, एक बीएमओ, तीन डाक्टरों, सफाई कर्मचारियों के साथ-साथ पूरा क्लेरिकल स्टाफ होना चाहिए। क्लर्क को भी यहां डेपुटेशन पर लगाया गया है, वहीं एक इस उपमंडल स्वास्थ्य केंद्र के कार्यालय के कामों को देख रहा है। खंड नगरोटा सूरियां के अंतर्गत पीएचसी घाड़ जरोट में भी डाक्टर का पद पिछले चार साल से रिक्त पड़ा हुआ है। ब्लॉक के अंतर्गत स्वास्थ्य उपकेंद्रों में  स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला और पुरुष के पद  रिक्त पड़े हुए है। दूसरी तरफ सिविल अस्पताल जवाली में भी अल्ट्रासाउंड मशीन धूल फांक रही है, वहां भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


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