फिल्मी दुनिया : अपराध, राजनीति; प्रो. एनके सिंह, अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

By: प्रो. एनके सिंहअंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार Aug 14th, 2020 12:05 am

प्रो. एनके सिंह

अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

हालांकि इस जांच को अनुमति दी जानी चाहिए थी, किंतु बिहार पुलिस के अधिकारियों को क्वारंटाइन के नाम पर हिरासत में ले लिया गया। आपराधिक जांच के संघीय अभियान की दृष्टि से भी यह मामला बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इसमें सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मुंबई पुलिस अच्छे तरीके से जांच को अंजाम दे रही है। किंतु बिहार सरकार मुंबई पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं थी, इसलिए सुशांत सिंह के बिहार राज्य से होने के नाते उसने सीबीआई से जांच करवाने की सिफारिश की। अब महाराष्ट्र सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि जांच राज्य पुलिस ही पूरी करे तथा वह सीबीआई को केस सौंपने का भरपूर विरोध कर रही है। अगर मीडिया ने इस मसले को जोर-शोर से न उठाया होता तो आत्महत्या के साधारण मामलों की तरह इस केस को भी बंद कर दिया जाता…

पिछला एक महीना सनसनीखेज रोमांच से भरपूर रहा है क्योंकि दो फिल्म अभिनेताओं की संदिग्ध मौत ने देश को परेशानी में डाल दिया है। राम मंदिर के बाद जहां भी हम जाते हैं, सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या हॉट टॉपिक बना हुआ है। सुशांत की मौत से पहले तक उनकी पूर्व प्रबंधक दिशा द्वारा की गई कथित आत्महत्या को लेकर कोई भी परवाह नहीं कर रहा था, लेकिन अब इस आत्महत्या को भी सुशांत की आत्महत्या की एक कड़ी के रूप में देखा जाने लगा है।

दोनों की साझा पृष्ठभूमि है, दोनों दोस्त थे, अब दिशा की आत्महत्या का सुशांत की आत्महत्या से संबंध जोड़कर देखा जा रहा है। आम तौर पर यह माना जाता है कि फिल्मी दुनिया का अपराध से काफी कुछ लेना-देना रहता है क्योंकि वहां कई सनसनीखेज वारदातें इतिहास में हुई हैं, किंतु कोई नहीं जानता था कि ये दो मौतें पूरी मुंबई के मानस को उद्वेलित कर देंगी। इस आलेख को लिखते समय मैं इंटरनेट पर अपराध की ऐसी कहानियों से जुड़े सनसनीखेज आलेख पढ़ चुका हूं जिन्हें अभी भी सुलझाया जाना बाकी है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये आत्महत्याएं थीं अथवा हत्याएं। यह रहस्य सोशल मीडिया में भी छाया हुआ है जहां इनकी गूंज निरंतर सुनाई दे रही है।

रूस के महान लेखक फ्योदार दोस्तोवस्की ने एक कृति लिखी थी जिसका नाम है अपराध और दंड। एक छात्र, जो अपनी शिक्षा जारी नहीं रख सका, एक अमीर महिला को मारने की सोचता है तथा अपने को दोषी मानता है क्योंकि  वह उस दुनिया की नैतिकता को बदल नहीं पाता जहां उसे उसकी कठिन परिस्थितियों के साथ स्वीकार किया जा सके। यह एक वेश्या थी जो उसे नए अनुभव तक ले जाती है। कहानी मनोवैज्ञानिक विक्षोभ तथा एक व्यक्ति की मनोव्यथा से परिपूर्ण है। कहानी में रहस्य, सेक्स, संदेह तथा मन की बेचैनी के सारे तत्त्व हैं। यह कहानी सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई नहीं है, फिर भी इसमें कई पहलुओं के तत्त्व विद्यमान हैं। सुशांत बिहार राज्य से एक उदीयमान अभिनेता थे जो मुंबई आए थे। स्पष्ट रूप से वह मुंबई की चमक तथा सितारों की दुनिया से चकित थे। उनकी फिल्में हिट रहीं तथा कमाई भी काफी थी, इतनी काफी कि मुंबई जैसे शहर में ऐशो-आराम की स्टाइलिस्ट जिंदगी जीने के लिए उनके दोस्त और साथी-पंथी भी इस पर निर्भर हो गए थे।

कहानी में कई मोड़ और घुमाव हैं। सोशल मीडिया सवाल यह कर रहा है कि इन दो मौतों को आत्महत्याएं कैसे घोषित किया गया। वह इस बात को प्रमाणित करने में लगा है कि ये मुंबई की फिल्मी दुनिया से जुड़े माफिया से संबंधित हत्याएं हैं। हिमाचल की स्टार अभिनेत्री कंगना रणौत ने भी इसी तरह की चिंताएं साझा की हैं तथा वह युवा प्रतिभाओं के साथ फिल्मी दुनिया में हो रहे भेदभाव व प्रताड़ना के आपराधिक अभियान के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं। इस कहानी में नया मोड़ उस वक्त आता है जब इसकी जांच में प्रवर्तन निदेशालय, बिहार पुलिस तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो भी शामिल हो जाते हैं। अब इस विषय में राजनीति भी खूब होने लगी है क्योंकि शिव सेना के प्रतिनिधि के रूप में संजय राउत इस मामले में अपने बयान के साथ शामिल हो गए हैं। भाजपा के राणे ने भी इस मसले को उठाया है। इस मामले ने अब सेक्स, धन, अपराध और अंततः राजनीति के कई पहलू ओढ़ लिए हैं। सच्चाई सामने आने में अभी देर लगेगी, लेकिन मामले में संदेह गहराता जा रहा है। यह भी अभी रहस्य ही बना हुआ है कि दिशा की मौत कैसे हुई? क्या उसने आत्महत्या की अथवा उसकी हत्या कर दी गई? यह भी रहस्य है कि एक प्रतिभाशाली अभिनेता, जो अपने कैरियर की उड़ान पर था, वह आत्महत्या के लिए क्यों मजबूर हो गया?

फिल्मी दुनिया में आपसी प्रतिद्वंद्विता एक जानी-मानी चीज है, लेकिन इस तरह का सुनियोजित षड्यंत्र, जैसा कि कंगना रणौत व अन्य लोग आरोप लगा रहे हैं, सभी को उद्वेलित किए हुए है तथा कला के हित में इस मामले से जुड़ी सच्चाई सभी के समक्ष आनी चाहिए। सबसे बड़ा रहस्य अपराध की जांचों में महाराष्ट्र सरकार का हस्तक्षेप है। यह मसला संघवाद का प्रश्न भी खड़ा कर रहा है क्योंकि एक राज्य दूसरे राज्य में जांच के लिए अपने पुलिस कर्मी भेज रहा है।

हालांकि इस जांच को अनुमति दी जानी चाहिए थी, किंतु बिहार पुलिस के अधिकारियों को क्वारंटाइन के नाम पर हिरासत में ले लिया गया। आपराधिक जांच के संघीय अभियान की दृष्टि से भी यह मामला बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इसमें सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मुंबई पुलिस अच्छे तरीके से जांच को अंजाम दे रही है। किंतु बिहार सरकार मुंबई पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं थी, इसलिए सुशांत सिंह के बिहार राज्य से होने के नाते उसने सीबीआई से जांच करवाने की सिफारिश की। अब महाराष्ट्र सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि जांच राज्य पुलिस ही पूरी करे तथा वह सीबीआई को केस सौंपने का भरपूर विरोध कर रही है। इस मामले में एक पहलू यह भी है कि अगर मीडिया ने इस मसले को जोर-शोर से न उठाया होता तो आत्महत्या के साधारण मामलों की तरह इस केस को भी बंद कर दिया जाता। सुप्रीम कोर्ट अब यह विचार कर रहा है कि मीडिया ट्रायल न्यायपूर्ण है अथवा नहीं? यह भी सच है कि चूंकि केस में एक शक्तिशाली लॉबी संलिप्त है तो मामला उदासीनता के कारण अपनी प्राकृतिक मौत भी खत्म हो सकता है।

इस मामले ने जांच का गंभीर प्रश्न भी पैदा किया, ऐसी स्थिति में जबकि अपराध से जुड़े दो या अधिक राज्य हों। क्या राज्य की सहमति जरूरी होनी चाहिए, जिसके बिना केंद्र जांच में प्रविष्ट नहीं हो सकता? यह भी प्रश्न है कि अगर अपराध में कोई संवैधानिक मुखिया ही संलिप्त हो तो अपराध से निपटा कैसे जाए? जो भी हो, सभी प्रश्न सुलझाए जाने चाहिए तथा सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत में वास्तविकता क्या है, यह सबके सामने बाहर आना चाहिए।

ई-मेलः singhnk7@gmail.com


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