मास्क की सुरक्षा में परीक्षाओं की शुरुआत : प्रो. सुरेश शर्मा, लेखक नगरोटा बगवां से हैं

By: Aug 22nd, 2020 12:08 am

महाविद्यालय स्तर पर तथा विशेषकर विद्यार्थियों को सरकार तथा विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना चाहिए। विपरीत परिस्थितियों में हो रही है ये परीक्षाएं अगर सफलतापूर्वक संपन्न हो जाती हैं तो प्रदेश में आगे आने वाले समय में शिक्षण संस्थान खोलने की दिशा में यह प्रयास कारगर साबित होगा। महाविद्यालयों में नए सत्र के लिए विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए समानांतर प्रक्रिया चल रही है तथा साथ ही साथ द्वितीय और तृतीय वर्ष की ऑनलाइन कक्षाएं भी प्रारंभ हो चुकी हैं…

किसे पता था कि ऐसा भी समय आएगा कि कोरोना वायरस संक्रमण के भय से विद्यार्थियों को मास्क की सुरक्षा में परीक्षा देनी पड़ेगी। आखिर बड़ी जद्दोजहद और लंबे इंतजार के बाद 17 अगस्त से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के छठे  सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू हुईं जो कि हिमाचल प्रदेश के माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा देने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा स्थगित की गई थी। इस बीच प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर की गई जिसके परिणामस्वरूप माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से उन्नीस अगस्त से पुनः पुनर्निर्धारित समय सारिणी के अनुसार शुरू होने  की अनुमति मिल गई है।

माननीय उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा जारी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स के तहत परीक्षाएं आयोजित करने के आदेश दिए हैं ताकि लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण न फैले। प्रदेश में 153 महाविद्यालयों में लगभग सैंतीस हजार परीक्षार्थी परीक्षा दे रहे हैं। हजारों प्राध्यापकों, सहयोगी कर्मचारियों को सफलतापूर्वक परीक्षा संचालन के लिए नियुक्त किया जा चुका है। यह कोरोना संकट काल  के भय में हिमाचल सरकार, शिक्षा विभाग तथा विश्वविद्यालय प्रशासन का निर्भीक, खतरनाक एवं चुनौतीपूर्ण फैसला भी है। हालांकि इसी संदर्भ में ही देश की कई राज्य सरकारों तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का मामला विचाराधीन होने के कारण माननीय उच्चतम न्यायालय में अंतिम फैसले के लिए प्रतीक्षारत है। यह सही है कि शिक्षा व्यवस्था में परीक्षा से ही उपाधियों की विश्वसनीयता बनी रहती है, लेकिन देश और दुनिया में वर्तमान कोरोना संकट से उपजी परिस्थितियों ने हमें कुछ समझौते करने पर भी मजबूर कर दिया है। शायद शिक्षा में परीक्षा का समझौता विद्यार्थियों की डिग्री की चमक को फीका कर देता। जिस परीक्षा से विद्यार्थी के चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक या भय के भाव पढ़े जा सकते हैं। इस मास्क ने उसके विश्वास या डर के भावों को छुपाने की चेष्टा की है और विद्यार्थी मास्क, नकाब या मुखौटे में संक्रमण के डर से सहमा-सहमा है।

हिमाचल प्रदेश सरकार, शिक्षा विभाग तथा विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशों के बावजूद परीक्षाओं का संचालन महाविद्यालय प्राचार्यों, प्राध्यापकों, सहयोगी कर्मचारियों के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। परीक्षा केंद्रों के मुख्य द्वार पर ही थर्मल स्कैनिंग तथ सेनेटाइजर की व्यवस्था की गई है। महाविद्यालयों में मास्क, हैंड ग्लब्स का प्रयोग, समय-समय पर सेनेटाइजेशन, ताप मापक यंत्र सेनेटाइजर का प्रयोग तथा शौचालयों में साबुन से बार-बार हाथ धोने, साफ.-सफाई, पानी, व्यक्तिगत सफाई आदि के विशेष प्रबंध तथा इसके बारे में विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। जो विद्यार्थी संक्रमित होने या प्रशासनिक व्यवस्था के किसी कारण से परीक्षा नहीं दे पाएंगे, उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा फिर से अवसर दिया जाएगा क्योंकि चुनौती विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों तथा समाज को बचाने की भी है। प्रदेश में स्कूल और कालेज सामान्य रूप से खुलने की दिशा में यह एक साहसिक एवं चुनौतीपूर्ण प्रयास भी है। हालांकि महाविद्यालीय परीक्षाओं का यह दौर लंबे समय तक चलेगा क्योंकि अभी स्नातक प्रथम तथा द्वितीय वर्ष की वार्षिक परीक्षाओं के बारे में सरकार व विभाग द्वारा निर्णय लिया जाना अपेक्षित है। सामुदायिक संक्रमण से लड़ाई लड़ना आसान नहीं है। लगभग पांच महीनों के संघर्ष के बाद स्थिति कुछ सामान्य हो रही है। इस संघर्ष में सरकार, प्रशासन, डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस प्रशासन तथा आशा वर्करों ने अपने जीवन को दांव पर लगा कर अपनी अहम भूमिका निभाई है। इसके बावजूद आज भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। अनेक प्रयासों के बावजूद आज हिमाचल प्रदेश में लगभग दो दर्जन स्थानों को सुरक्षा की दृष्टि से सरकार द्वारा कंटेनमैंट जोन व बफर जोन घोषित किया गया है। हर रोज औसतन सौ-सवा सौ कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। ऐसे में कोरोना की चुनौती को अभी भी हल्के में नहीं लिया जा सकता। कोरोनावायरस संक्रमण के खौफ  के साए में आयोजित हो रही महाविद्यालय परीक्षाएं शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लिए चुनौती से कम नहीं हैं। क्योंकि किसी भी स्तर पर कहीं भी, किसी तरह की छोटी से छोटी भूल तथा चूक सामाजिक संक्रमण का कारण बन सकती है।

महाविद्यालय स्तर पर तथा विशेषकर विद्यार्थियों को सरकार तथा विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना चाहिए। विपरीत परिस्थितियों में हो रही है ये परीक्षाएं अगर सफलतापूर्वक संपन्न हो जाती हैं तो प्रदेश में आगे आने वाले समय में शिक्षण संस्थान खोलने की दिशा में यह प्रयास कारगर साबित होगा। महाविद्यालयों में नए सत्र के लिए विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए समानांतर प्रक्रिया चल रही है तथा साथ ही साथ द्वितीय और तृतीय वर्ष की ऑनलाइन कक्षाएं भी प्रारंभ हो चुकी हैं। इन विपरीत परिस्थितियों में शिक्षकों और विद्यार्थियों का संपर्क बिलकुल ही न टूट जाए और न ही विद्यार्थियों का कोई नुकसान हो, इसलिए प्रदेश सरकार तथा शिक्षा विभाग ने अपने स्तर पर सराहनीय प्रयास किए हैं। शिक्षक तथा विद्यार्थी टेक्नोलॉजी के ऑनलाइन माध्यमों से एक-दूसरे के संपर्क में हैं तथा शिक्षण कार्य भी प्रारंभ हो चुका है।

प्रदेश सरकार, शिक्षा विभाग तथा विश्वविद्यालय के लिए छठे तथा अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं करवाना इसलिए भी अति चिंता का विषय था क्योंकि इन्हीं परीक्षाओं के आधार पर विद्यार्थियों का शीघ्र से शीघ्र परीक्षा परिणाम निकलना अपेक्षित है तथा इन्हीं परिणामों के आधार पर विद्यार्थी स्नातकोत्तर कक्षाओं में विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश ले सकेंगे। आशा की जाती है कि विपरीत परिस्थितियों में हो रही महाविद्यालय के छठे सेमेस्टर के विद्यार्थियों की परीक्षाएं बिना किसी व्यवधान के सफलतापूर्वक संपन्न होंगी तथा कोरोनावायरस संक्रमण की वैश्विक महामारी के समय में यह प्रयास शैक्षणिक संस्थानों को खोलने की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।


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