राम रक्षा स्तोत्रम

By: Aug 1st, 2020 12:34 am

-गतांक से आगे…

सन्नद्धः कवची खड़्गी चापबाणधरो युवा।

गच्छन्मनोरथान्नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः।। 21।।

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।

काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्लेयो रघूत्तमः।। 22।।

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः।

जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः।। 23।।

इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः।

अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः।। 24।।

रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम।

स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः।। 25।।

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरं।

काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम।। 26।।

राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्ति।

वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम।। 27।।

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।

रघुनाथय नाथाय सीतायाः पतये नमः।। 28।।

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।

श्रीराम राम रणकर्कश राम राम श्रीराम राम शरणं भव राम राम।। 29।।

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीरामचन्द्रवरणौ वचसा गृणामि।

श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये।। 30।।


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