सेना में वीरता पुरस्कार : कर्नल (रि.) मनीष धीमान, स्वतंत्र लेखक

By: Aug 22nd, 2020 12:05 am

स्वतंत्रता के 74 साल का सफर बड़ा ही जुझारू, मुश्किल तथा मेहनतकश रहा है।  पिछले सात दशकों में ग्रामीण बहुल क्षेत्र से शहरी बहुल क्षेत्र बनने में देश ने बहुत कुछ  खोया है, पर उससे कहीं अधिक पाया है और इसका प्रमाण देश की आजादी के समय से ही इसकी तरक्की के गवाह रहे 80 वर्षीय किसी बुजुर्ग से बात करने से पता चलता है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मौलिक सुविधाओं के उत्थान के अलावा देश में औरतों, दलितों, पिछड़ों, कुचलों, किसान-मजदूर तथा मध्य वर्ग की तरक्की की भी एक कामयाब दास्तान लिखी गई है। आज भारत तीसरी दुनिया का कोई देश नहीं बल्कि विश्व की एक समृद्ध आर्थिक शक्ति,  विशाल उपभोग बाजार और सशक्त, प्रबुद्ध एवं ऊर्जावान युवा शक्ति तथा ताकतवर सैन्य शक्ति है। अगर हम सैन्य शक्ति की बात करें तो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ही भारतीय सैनिकों की वीरता, शौर्य तथा जुझारूपन का नमूना पूरे विश्व ने देख लिया था। आजादी के बाद  कुशल रणनीति तथा दूरदर्शिता के साथ भारतीय सेना को सशक्त किया गया। दुनिया के बाकी देशों से अलग भारत की समुद्री तथा जमीनी सीमाएं क्षेत्रफल के आधार पर लगभग बराबर अनुपात में हैं, इसलिए इनकी रक्षा के लिए नौसेना और थल सेना का एक समान सशक्त होना निहायत ही जरूरी था। दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जिसकी सेना के सभी अंग वायु, जल तथा थल समांतर रूप से पिछले सात दशकों में सशक्त हुए हैं। सेना में सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने तथा युद्ध तथा अन्य स्थितियों के दौरान अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन करने वाले सैनिकों को सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। आजादी के ठीक बाद 1948 में हुए पाकिस्तान के युद्ध के दौरान भारत के वीर सपूत मेजर सोमनाथ शर्मा को देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया था।

वीरता पुरस्कारों में लड़ाई के दौरान सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र तथा आतंकवादियों तथा अन्य घटनाओं के दौरान दिए जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार शौर्य चक्र होता है। इस बार भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने भारत के 84 वीर योद्धाओं को वीरता पुरस्कार के साथ सम्मानित किया। जब भी एक सैनिक वर्दी पहनता है तो उसके सीने पर लगे हुए रिबन व तमगों से उसकी पूरी सर्विस प्रोफाइल की जानकारी हासिल हो जाती है। उसके सीने पर लगे हुए हर रिबन और मैडल उसके नौकरी के दौरान किए गए हर काम को प्रदर्शित करते हैं और यह सैनिक के लिए सबसे गौरवमयी बात होती है। भारतीय सैन्य शक्ति की कुशलता, साहस, शौर्य और प्रोफेशनलिज्म का प्रमाण 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री द्वारा पड़ोसी मुल्कों को एलओसी और एलएसी पर किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने की बात में उनका विश्वास है।


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