शिवा-रोमेश को अवार्ड के मायने: भूपिंदर सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

By: भूपिंदर सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक Aug 28th, 2020 12:06 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

हिमाचल प्रदेश की जनता  पठानिया को द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने पर बधाई देती है तथा अपेक्षा करती है कि वह हिमाचल प्रदेश से हाकी में अर्जुन अवार्डी तैयार करें। इससे पहले पिछले वर्ष जुडो में ऊना जिले के जीवन शर्मा को द्रोणाचार्य अवार्ड मिला है। हिमाचल प्रदेश सरकार से अपेक्षा रहेगी कि वह हिमाचल प्रदेश के अर्जुन व द्रोणाचार्य अवार्डियों  के अनुभव का उपयोग हिमाचल प्रदेश की खेलों को ऊपर ले जाने के लिए करे। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह भी हर वर्ष भारत सरकार की तरह हिमाचल प्रदेश के स्टार खिलाडि़यों को परशुराम अवार्ड तथा परशुराम अवार्डी तैयार करने वाले प्रशिक्षकों को भी अवार्ड दे…

हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्म दिन  29 अगस्त को भारत में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत सरकार का खेल मंत्रालय एशियाई व ओलंपिक स्तर पर भारत के लिए उत्कृष्ट प्रदर्शन करके पदक जीतने वाले खिलाडि़यों व उनके प्रशिक्षकों को विभिन्न अवार्डों से सम्मानित करता है। राजीव गांधी खेलरत्न देश का सबसे बड़ा खेल अवार्ड है। यह अवार्ड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अति विशिष्ट प्रदर्शन करने पर वर्ष में किसी एक खिलाड़ी को मिलता है, मगर एशियाई व ओलंपिक खेलों वाले साल में यह एक से अधिक खिलाडि़यों को भी उनके द्वारा जीते गए बराबर पदकों को देख कर भी दिया जाता है। इस बार ओलंपिक वर्ष न होते हुए भी पांच खिलाडि़यों को दिया गया है। कह रहे हैं कि इस बार अवार्ड के साथ मिलने वाली ईनामी राशि को तीन गुणा किया जा रहा है। राजीव गांधी खेलरत्न अवार्ड के  बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर भारत के खिलाडि़यों को अर्जुन अवार्ड पिछले पचास सालों से मिल रहा है। अर्जुन अवार्ड उस  खिलाड़ी को दिया जाता है जो ओलंपिक में पदक विजेता हो या एशियाड व राष्ट्रमंडल खेलों तथा चैंपियनशिप में लगातार तीन वर्षों तक उत्कृष्ट प्रदर्शन करता रहा हो। तीन सालों में जीते गए पदकों से मिले अंको को जोड़कर जिन खिलाड़ी के अधिक अंक बनते हैं, उन खिलाडि़यों को अर्जुन अवार्ड दिया जाता है।

शीतकालीन खेलों में इस बार अर्जुन अवार्ड इस बर्फ  के प्रदेश के बेटे मनाली के शिवा केशवन को मिल रहा है। शिवा एशियन ल्यूज चैपियन के साथ-साथ छह बार भारत का प्रतिनिधित्व शीतकालीन ओलंपिक खेलों में कर चुका है। विदेशों में खेल के गुर सीखने वाले शिवा को हिमाचल प्रदेश बधाई देता है, साथ ही साथ यह भी चाहता है कि शिवा प्रदेश में भविष्य के स्टार खिलाडि़यों का भी मार्गदर्शन करे। एक खेल में हर साल हम एक-दो को ही अर्जुन अवार्ड दे पाते हैं, ऐसे में कई खिलाड़ी बच जाते हैं जो अगले वर्षों में मिले अर्जुन अवार्डियों से भी बेहतर होते हैं, मगर अपनी टर्न पर कई कारणों से पिछड़ जाते हैं। उन खिलाडि़यों को पिछले कुछ सालों से ध्यानचंद अवार्ड दिया जा रहा है। एक तरह से जो कारणवश अपने एक्टिव खेल जीवन में अर्जुन अवार्ड नहीं ले पाते हैं, उन्हें ध्यानचंद अवार्ड देकर सम्मानित किया जाता है। अर्जुन हैं तो द्रोणाचार्य भी होंगे। खिलाड़ी को तैयार करने में प्रशिक्षक का बहुत योगदान होता है, इसलिए उन प्रशिक्षकों को द्रोणाचार्य अवार्ड दिया जाता है जो अर्जुन अवार्डी तैयार करते हैं। द्रोणाचार्य अवार्ड का हकदार वह प्रशिक्षक होता है जिसने व्यक्तिगत या टीम को पिछले चार वर्षों में प्रशिक्षित किया हो। लगातार चलने वाले राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों में अमुक प्रशिक्षक ने साल में तीन सौ दिन चैम्पियन को प्रशिक्षण दिया हो।

उपरोक्त शर्त पूरा करने वाले प्रशिक्षक को रेगुलर द्रोणाचार्य अवार्ड दिया जाता है। पिछले कुछ सालों से उन प्रशिक्षकों को भी लाइफ  टाइम द्रोणाचार्य अवार्ड दिया जा रहा है जिन्होंने लगातार राष्ट्रीय प्रशिक्षक के रूप में तो काम नहीं किया है, मगर स्टार खिलाडि़यों को निचले स्तर पर प्रतिभा खोज के बाद प्रशिक्षित किया हो। हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर  के पूर्व साई हाकी प्रशिक्षक रोमेश पठानिया को इस वर्ष 29 अगस्त को लाइफ टाइम द्रोणाचार्य अवार्ड  मिला रहा है। पठानिया हिमाचल प्रदेश राज्य हाकी संघ के सचिव भी हैं। हिमाचल प्रदेश में आज ऊना तथा शिलारू दो जगह हाकी की ऐस्ट्रो टर्फ  बिछी हैं। हिमाचल प्रदेश की जनता  पठानिया को द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने पर बधाई देती है तथा अपेक्षा करती है कि वह हिमाचल प्रदेश से हाकी में अर्जुन अवार्डी तैयार करें। इससे पहले पिछले वर्ष जुडो में ऊना जिले के जीवन शर्मा को द्रोणाचार्य अवार्ड मिला है। हिमाचल प्रदेश सरकार से अपेक्षा रहेगी कि वह हिमाचल प्रदेश के अर्जुन व द्रोणाचार्य अवार्डियों  के अनुभव का उपयोग हिमाचल प्रदेश की खेलों को ऊपर ले जाने के लिए करे। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह भी हर वर्ष भारत सरकार की तरह हिमाचल प्रदेश के स्टार खिलाडि़यों को जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश के लिए पदक जीत कर हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया है, उन खिलाडि़यों को परशुराम अवार्ड तथा परशुराम अवार्डी तैयार करने वाले प्रशिक्षकों को भी राज्य स्तर का अवार्ड दे। हिमाचल प्रदेश के कई खिलाडि़यों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं, मगर उन्हें अभी तक उनकी नगद ईनामी राशि का पुरस्कार नहीं मिला है।

हिमाचल प्रदेश सरकार को जल्द ही समारोह करवा कर पुरस्कार वितरण कर देना चाहिए। दिव्य हिमाचल समूह शिवा व रोमेश को राष्ट्रीय खेल अवार्ड मिलने पर मुबारकबाद देता है तथा आशा करता है कि हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच कर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलेगी। भविष्य के खिलाडि़यों को इनसे प्रेरणा लेकर कड़ी मेहनत करनी चाहिए। तभी वे उच्च कोटी के खिलाड़ी बन सकेंगे तथा हिमाचल और देश का नाम रोशन कर सकेंगे। भविष्य में भी हिमाचल को इसी तरह अवार्ड मिलते रहें, इसके लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होगी। साथ ही सरकार को कोई ऐसी योजना बनानी चाहिए जिसके जरिए उत्कृष्ट खिलाडि़यों तथा उनके प्रशिक्षकों के अनुभव का लाभ उठाया जा सके। हिमाचल में खेलों के लिए अभी काफी कुछ करने की जरूरत है। हिमाचल को हरियाणा राज्य से सीख लेनी चाहिए जहां खेलों तथा खिलाडि़यों के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है। हमारी खेल प्रतिभाएं राज्य से पलायन न कर जाएं, इसके लिए भी सरकार को विशेष प्रयास करने चाहिएं। आशा की जानी चाहिए कि इस विषय पर जयराम सरकार गंभीर चिंतन करके अनुकूल फैसला लेगी।

ईमेलः bhupindersinghhmr@gmail.com


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