कोरोना वायरस की सीख: प्रो. एनके सिंह, अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

By: प्रो. एनके सिंह, अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार Sep 11th, 2020 9:00 am

प्रो. एनके सिंह

अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

कोरोना वायरस के कारण कोचिंग क्लासेज भी बंद हैं, जिसके चलते राष्ट्रव्यापी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं के लिए तैयारियों पर बुरा असर पड़ा है। पढ़ाई की तकनीक में एक बड़ा बदलाव आया है, क्योंकि बड़े पैमाने पर ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई है। कंप्यूटर कोरोना वायरस के हमले को हराने के लिए इससे कड़ा मुकाबला कर रहा है। आमने-सामने की ‘वर्किंग’ के विकल्प के रूप में शिक्षण संस्थान तथा अन्य संगठन वेबीनार तथा वीडियो कान्फे्रंस का प्रयोग कर रहे हैं। मंडी जिला के एक स्कूल में सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जा रहा है…

कोरोना वायरस का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान सामाजिक दूरी का संदेश है क्योंकि महामारी को फैलने से रोकने के लिए यह आधारभूत नियम है। हाल में जब मैं किसी काम से एक बैंक में गया तो मैं पंक्ति में खड़े होने के लिए एक से दूसरे व्यक्ति की दूरी बनाए रखने के लिए पूरे फर्श पर सफेद सर्कल चिन्हित किए जाने से हैरान हो गया। इसी स्थान पर पहले बड़ी भीड़ लगी रहती थी और लोग एक-दूसरे को धकेल रहे होते थे, किंतु अब पंक्ति में खड़े लोग व्यवस्थित रूप से आगे की ओर बढ़ रहे थे। इसने हमें यह सिखाया कि हमें पंक्ति बनानी है, व्यवस्थित रूप से आगे की ओर बढ़ना है, एक-दूसरे को धक्का देकर आगे बढ़ने की बजाय यह व्यवस्था अच्छी है। इस वर्ष शिक्षक दिवस पर मैंने यह सोचा कि पिछले छह माह के कोरोना काल में, जिसने विश्व भर को बड़ी परेशानी में डाल दिया, हमारे अनुभव क्या रहे? कोरोना के कारण मानव जाति को भारी नुकसान हुआ है तथा विश्वभर में लाखों की संख्या में लोगों की जानें जा चुकी हैं, इसके बावजूद इसने हमें यह सिखाया कि हमें किस तरह सुरक्षित रहना है। कोरोना ने मानव के जीने के सलीके को बदल दिया है। हमने अब यह सीख लिया है कि कोरोना वायरस किसी को भी माफ नहीं करता है तथा यह किसी की भी जान ले सकता है। प्रकृति जो आपदाएं लाती है, उसमें कोई पक्षपात नहीं है, बावजूद इसके कि हमारे पास बीमारियों से निपटने के लिए अरबों की संख्या में दवाएं मौजूद हैं।

कोरोना वायरस ने अमीर और गरीब, काला और गोरा, जाति अथवा देश में कोई फर्क नहीं किया। इसने हर कहीं हर किसी पर हमला किया। एक ही राज्य में राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, आइस क्रीम विक्रेता अथवा क्लीनर्स इससे प्रभावित हुए हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे कोरोना से यह सीखने को मिलेगा कि संघवाद किस तरह काम करता है? लॉकडाउन के दौरान हमने सीखा कि कैसे हरियाणा से पंजाब अथवा हिमाचल में नहीं जाया जा सकता अथवा अन्य राज्यों में भी आवाजाही बंद रही। भारत एक संघीय देश है तथा कोरोना काल में हर राज्य ने प्रवेश के अपने-अपने नियम लागू किए। जनता, जो कि बिना किसी प्रणाली के ‘एक्ट’ करती थी, वह स्वास्थ्य संबंधी निर्देशों का अनुपालन करना सीख गई। बीमारी से बचने के लिए मास्क का प्रयोग एक ही हफ्ते में 40 से 95 फीसदी बढ़ गया। ‘घर पर रहें, सुरक्षित रहें’ के आदेश का 90 फीसदी लोगों ने अनुपालन किया। हाथ धोना अब एक आम और जरूरी कार्य बन गया है। सामाजिक दूरी का अनुपालन करना अब एक आदत बन गया है। मैं एक पुलिस कर्मी द्वारा स्वास्थ्य संबंधी निर्देशों की अनुपालना से चकित और प्रसन्न हो गया। मैं उसे अपना पहचान पत्र दिखाने के लिए जैसे ही उसके नजदीक गया, तो उसने शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए पीछे हटना मुसासिब समझा। उसके पीछे हटने से मैं व्यथित हो गया जैसे किसी ने गोली चला दी हो, लेकिन बाद में सब यह जानकर हंसने लगे कि वह सामाजिक दूरी का पालन कर रहा था। कोरोना वायरस का सकारात्मक पक्ष यह है कि प्रदूषणकारी परिवहन और गैसों के उत्सर्जन पर रोक लगी है।

इसने पर्यावरण को शुद्ध किया तथा अब हर कोई आसानी से सांस ले सकता है। अध्ययन से पता चलता है कि वायु प्रदूषण अपने पिछले स्तर से 50 फीसदी नीचे चला गया है। यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। मैं धौलाधार की तलहटी में रहता हूं तथा यह क्षेत्र पहले विघ्नकारी अशुद्ध धुएं एवं कोहरे के कारण अपारदर्शी था। लेकिन अब वायु प्रदूषण घटने के कारण मैं धौलाधार की चोटियों और बर्फ को देख पा रहा हूं। कोरोना वायरस के कारण शिक्षा को बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि स्कूल और कालेज बंद चल रहे हैं। इसके कारण बच्चों की सामाजिक समस्या पैदा हुई है क्योंकि वे एक-दूसरे से पृथक हुए हैं। साथ ही कक्षाओं में उपस्थिति लगाना तथा सीखना भी छोड़ना पड़ा है। पहली बार यह स्पष्ट हुआ है कि शिक्षा न केवल सीखना है, बल्कि यह सामाजिक प्रतीयमान भी है। बच्चे किताबों और कंप्यूटरों के अलावा एक-दूसरे से भी सीखते हैं। कोरोना वायरस के कारण कोचिंग क्लासेज भी बंद हैं, जिसके चलते राष्ट्रव्यापी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं के लिए तैयारियों पर भी बुरा असर पड़ा है। पढ़ाई की तकनीक में एक बड़ा बदलाव आया है, क्योंकि बड़े पैमाने पर ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई है। कंप्यूटर कोरोना वायरस के हमले को हराने के लिए इससे कड़ा मुकाबला कर रहा है। आमने-सामने की ‘वर्किंग’ के विकल्प के रूप में शिक्षण संस्थान तथा अन्य संगठन वेबीनार तथा वीडियो कान्फे्रंस का प्रयोग कर रहे हैं। वेबीनार अब आम बात हो गई है। मैंने हिमाचल के मंडी जिला में एक स्कूल में एक नवाचारी परिवर्तन यह देखा कि सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जा रहा है।

इसके कई फायदे हैं। यह प्रौद्योगिकी जहां कनेक्टिविटी उपलब्ध है, वहां आसानी से मिल जाती है, यह समय गंवाए बिना काम करती है तथा इसकी कीमत भी कम है। विश्व ने डाटा की कम कीमत वाली प्रभावकारी ट्रांसमिशन तथा फिजीकल इंटरेक्शन का विकल्प खोज लिया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण भी घटा है। इस ‘डिवेलपमेंट’ के स्वास्थ्य लाभ बिलकुल स्पष्ट हैं। विपणन और सेल्ज के क्षेत्र में भी बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। सस्ते दामों में ज्यादा आइटम्स ऑनलाइन उपलब्ध हैं। लॉकडाउन के कारण चूंकि नाइयों की दुकानें बंद हो गई थीं, इसलिए मुझे सिर के बाल कटवाने में दिक्कत पेश आई। इसके बाद मैंने ऑनलाइन एक ट्रिमर खरीद लिया और अपने बाल खुद काट लिए। मेरी पत्नी का मानना है कि ट्रिमर से बाल काटना नाई से बाल कटवाने से भी बेहतर है क्योंकि यह नाई के शुल्क से ज्यादा सस्ता भी है तथा साथ ही ट्रिमर को कम से कम 20 बार प्रयोग किया जा सकता है। कई नई छोटी और मध्यम सेवाएं उभर आई हैं। यहां तक कि आप ट्रिमर को भी अन्य वस्तुओं की तरह इंटरनेट पर सेलेक्ट करके घर पर उसकी डिलीवरी ले सकते हैं। अब भोजन भी घरों तक पहुंचाया जा रहा है।

लॉकडाउन के बाद जब शराब की दुकानें खोल दी गईं तो वहां भारी भीड़ देखने के बाद मैंने इसकी भी होम डिलीवरी की सलाह दी थी। कुछ राज्यों ने ज्यादा जॉब्स उपलब्ध करवाने तथा डिलीवरी शुल्क एकत्र करने के लिए इसे भी किया और खरीददार खुशी से भुगतान कर रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग पहले से कई गुणा बढ़ गई है तथा मार्किट में कई नई सेवाएं उभर आई हैं। अब समय आ गया है कि हम यह सीखें कि इस तरह की आपदाओं का प्रयोग हम अपने लाभ के लिए किस तरह कर सकते हैं।

ई-मेलः singhnk7@gmail.com


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