जिला में गरजी किसान सभा

By: सिटी रिपोर्टर-नाहन Sep 26th, 2020 12:25 am

नाहन-हिमाचल किसान सभा सिरमौर जिला कमेटी  ने कृषि बिलों को निरस्त करने की मांग को लेकर उपायुक्त सिरमौर के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सभी कृषि बिलों को निरस्त करने का ज्ञापन सौंपा है। हिमाचल प्रदेश किसान सभा सिरमौर कमेटी का प्रतिनिधिमंडल महासचिव गुरविंद्र सिंह की अगवाई मंे उपायुक्त सिरमौर को ज्ञापन सौंपने पहुंचा। इस दौरान किसान सभा ने कृषि विधेयक बिलों का विरोध-प्रदर्शन भी किया। किसान सभा के पदाधिकारियों अध्यक्ष राजेंद्र ठाकुर, महासचिव गुरविंद्र सिंह इत्यादि ने कहा कि देश की जनता जब कोरोना संकटकाल से जूझ रही है। वहीं देश का सकल घरेलू उत्पाद ऋणात्मक  दिशा मंे गिरावट मंे है ऐसे संकट के समय केवल किसानों की मेहनत ने कृषि को जिंदा रखा है ताकि देश में खाद्यान्न संकट से बचाया जा सके।

मगर देश की केंद्र सरकार ने किसानों ने किसान विरोधी कृषि विधेयक बिल पास कर किसानों के मुंह पर करारा तमाचा संकटकाल में मार दिया। हिमाचल किसान सभा ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि विधेयक को संसद में बिना बहस चुने हुए प्रतिनिधियों के मतदान के अधिकार की उपेक्षा करते हुए जबरदस्ती ध्वनिमत से बिल को पारित घोषित कर दिया।

वहीं लोकतांत्रिक मूल्यों का भी हनन कर संसदीय गरिमा का अपमान किया है। हिमाचल किसान सभा ने कहा है कि केंद्र सरकार ने कृषि विधेयक बिल के जरिए  किसानों को यह तो बताने का प्रयास किया है कि अध्यादेश से किसानों को देश के किसी भी हिस्से मंे  किसी भी व्यापारी, कारोबारी को उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता होगी। जबकि इसके विपरीत यह भी अध्यादेश मंे है कि किसी भी कॉरपोरेट या कृषि व्यापारी को किसी भी किसान का उत्पाद किसी भी मूल्य पर खरीदने की आजादी होगी। पदाधिकारियों ने कहा कि विधेयक किसानों को उनके उत्पाद का न्यूनतम पारिश्रमिक मूल्य  पारिश्रमिक मूल्य पर कृषि उत्पादों की खरीद और देश का खाद्य सुरक्षा की जिम्मेदारी और दायित्व समाप्त कर देगा। हिमाचल किसान सभा ने विरोध करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने यह बिल जल्दबाजी में बिना किसानों के संगठन से चर्चा करते हुए पारित कर दिया है जिसका पूरजोर विरोध किसान सभा कर रही है। वहीं कहा गया है कि हैरत की बात है कि कृषि राज्य का विषय है ओर इसका केंद्रीयकरण कर न केवल संघीय ढांचे पर प्रहार किया गया है बल्कि राज्यों में चुनी हुई सरकारों के अधिकार की भी अवहेलना की गई है। जिन्हंे राज्य मंे जनता ने चुन कर भेजा है।


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