अच्छे प्रशिक्षकों को सरकार मंच दे: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

By: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक Oct 2nd, 2020 12:08 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

देश के लिए पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले नामी प्रशिक्षकों को अब भारत सरकार का खेल मंत्रालय भी दो लाख रुपए राशि प्रति माह की सीमा को हटा करके विदेशी प्रशिक्षकों के बराबर एक करोड़ रुपए से अधिक वार्षिक सम्मानजनक राशि पर अनुबंधित करने की बात कर रहा है। गुजरात सरकार भी अपने विशेषज्ञ प्रशिक्षकों को रहने व खाने के अतिरिक्त डेढ़ लाख रुपए तक मासिक फीस अपनी राज्य स्तर की खेल अकादमियों में दे रही है। जब तक प्रशिक्षक स्तरीय परिणाम दिलाते रहेंगे, तब तक अनुबंध कायम रहेगा तथा फीस में भी बढ़ोतरी होती रहेगी…

प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत ज्यादा ज्ञान व अनुभव वाले प्रशिक्षक द्वारा वर्षों लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। खेल प्रशिक्षण अगर शौकिया अपनाया हो तो इस क्षेत्र में प्रशिक्षक खिलाड़ी या टीम को बहुत ऊपर तक ले जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में जिन-जिन प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को पैशन की तरह किया, वे चाहे सरकारी नौकरी में थे या निजी स्तर कार्यक्रम चला रहे थे, बहुत ही अच्छे परिणाम दिए हैं। महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय सुंदरनगर के परिसर में तत्कालीन प्राचार्य डाक्टर सूरज पाठक व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक डाक्टर पदम सिंह गुलेरिया द्वारा दिए गए सहयोग से मुक्केबाजी प्रशिक्षक नरेश कुमार द्वारा इस प्रशिक्षण केंद्र से आशीष चौधरी आज ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है। राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर के परिसर में विभिन्न तत्कालीन प्राचार्यों व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापकों के सहयोग से चले जूडो व एथलेटिक्स के प्रशिक्षण से पुष्पा ठाकुर ओलंपिक व संजो राष्ट्रमंडल खेलों के लिए लगे प्रशिक्षण शिविर तक पहुंची हैं। स्नेहलता का मोरसिंगीं हैंडबाल प्रशिक्षण केंद्र एशियाड तक महिला खिलाडि़यों को पहुंचा चुका है।

 मगर हिमाचल प्रदेश में खेल अभी भी शैशवावस्था से ऊपर उठ नहीं पा रहे हैं। राज्य में खेलों के उत्थान के लिए अस्सी के दशक के शुरुआती वर्षों में हिमाचल प्रदेश युवा सेवाएं एवं खेल विभाग का गठन हुआ। इस विभाग में निदेशक, संयुक्त निदेशक, उप निदेशक, जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारियों, प्रशिक्षकों, कनिष्ठ प्रशिक्षकों व युवा संयोजकों के पद सृजित हैं। विभाग का कार्य प्रदेश में युवा गतिविधियों व खेलों का विकास करना है।  हिमाचल प्रदेश में यह विभाग खेल क्षेत्र में  उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले स्तर तक ले जाने के लिए प्रशिक्षण, खेलों के लिए आधारभूत ढांचा व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता होने पर नगद पुरस्कार व अवार्ड देने के लिए बनाया गया है। हिमाचल प्रदेश के इस विभाग का निदेशक प्रशासनिक सेवा से ही अधिकतर नियुक्त होता रहा है। उपनिदेशक और कभी-कभी संयुक्त निदेशक पद तक विभाग के प्रशिक्षक व युवा संयोजक पदोन्नत होकर पहुंच जाते हैं। इन विभागीय अधिकारियों को अधिक तकनीकी जानकारी होती है। नियमित जिला युवा सेवाएं एवं खेल अधिकारी केवल चार ही जिलों में हैं। राज्य के शेष जिलों में कामचलाऊ अधिकारी बिठा रखें हैं। विभाग में नाममात्र के प्रशिक्षक हैं।

 अधिकतर खेलों में तो एक भी प्रशिक्षक पूरे जिले के लिए उपलब्ध नहीं है। विभाग में अधिक से अधिक प्रशिक्षकों की भर्ती होनी चाहिए। खेल विभाग ने नियमों को ठेंगा दिखा कर छह सप्ताह में प्रशिक्षण पूरा किए सर्टिफिकेट कोर्स वालों को प्रशिक्षक भर्ती कर दिया है। सेवा नियमों में एक समय एमपीएड के साथ कंडैंस कोर्स जो छह माह का होता था, उसे पास किया हुआ प्रशिक्षक के पद के लिए योग्य था, न कि छह सप्ताह का सर्टिफिकेट कोर्स किया हुआ। अच्छे खिलाड़ी व प्रशिक्षक की योग्यता पूर्ण करने वाले धक्के खा रहे हैं और गैर खिलाड़ी व ट्रेनिंग न किए लोगों को विभाग प्रशिक्षक की नौकरी दे रहा है। यह हिमाचल की खेलों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। हिमाचल प्रदेश में विभिन्न खेलों के एनआईएस क्वालीफाई प्रशिक्षक या तो बिना नौकरी के हैं या अन्य विभागों में गैर प्रशिक्षक पद पर सेवाएं दे रहे हैं, सरकार को उनके बारे में भी सोचना चाहिए। प्रदेश में विभिन्न खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्ले फील्ड तो पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल में बन गई थी, मगर उनका न तो सही रखरखाव है और न ही उन पर उस स्तर का प्रशिक्षण कार्यक्रम हो रहा है। हमीरपुर के सिंथेटिक ट्रैक की बदहाली उसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हिमाचल प्रदेश में युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के दो खेल छात्रावास बिलासपुर व ऊना में कुछ चुनिंदा खेलों के लिए आधा-अधूरा प्रशिक्षण दे रहे हैं। उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों की कमी व प्रबंधन में अव्यवस्था साफ  देखी जा सकती है। उत्कृष्ट खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षक बहुत कम हैं। कई वर्षों के गहन शिक्षण व प्रशिक्षण के अनुभव  वाला प्रशिक्षक ही राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जिताने की क्षमता रखता है।

 इसलिए आज भारत सरकार व कई राज्य अपने यहां नियमित अनुभवी विषेशज्ञ प्रशिक्षक न होने के कारण  अनुभवी विषेशज्ञ प्रशिक्षकों को अपने यहां उच्च खेल परिणाम देने वाले प्रशिक्षण केंद्रों में अनुबंधित कर रहे हैं। गुजरात सहित कई राज्य अपने यहां मोटे अनुबंध पर विषेशज्ञ प्रशिक्षकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए अनुबंधित कर रहे हैं। देश के लिए पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले नामी प्रशिक्षकों को अब भारत सरकार का खेल मंत्रालय भी दो लाख रुपए राशि प्रति माह की सीमा को हटा करके विदेशी प्रशिक्षकों के बराबर एक करोड़ रुपए से अधिक वार्षिक सम्मानजनक राशि पर अनुबंधित करने की बात कर रहा है। गुजरात सरकार भी अपने विशेषज्ञ प्रशिक्षकों को रहने व खाने के अतिरिक्त डेढ़ लाख रुपए तक मासिक फीस अपनी राज्य स्तर की खेल अकादमियों में दे रही है। जब तक प्रशिक्षक स्तरीय परिणाम दिलाते रहेंगे, तब तक अनुबंध कायम रहेगा तथा फीस में भी बढ़ोतरी होती रहेगी। हिमाचल प्रदेश सरकार कब तक ऐसे उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले खेल छात्रावास खोलेगी या जो खेल छात्रावास चल रहे हैं, उनको उच्च स्तर तक विकसित करके वहां पर प्रतिभाशाली प्रशिक्षकों को अनुबंधित करे। उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए अनुभवी व ज्ञानवान प्रशिक्षकों की  एक अच्छी प्रबंधन टीम की अहम भूमिका होता है। सही प्रशिक्षण कार्यक्रम मिले, इसलिए अच्छे प्रशिक्षकों की नियुक्ति बेहद जरूरी है। अच्छे प्रशिक्षकों व खिलाडि़यों को हर प्रकार की सुरक्षा जरूरी हो जाती है।

ईमेलः bhupindersinghhmr@gmail.com


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