चेहलुम: असत्य पर सत्य की जीत का पर्व

By: Oct 3rd, 2020 12:28 am

चेहलुम अथवा चेहल्लुम एक मुस्लिम पर्व है जिसे मुहर्रम के ताजिया दफनाए जाने के चालीसवें दिन मनाया जाता है। चेहलुम वस्तुतः इजादारी असत्य पर सत्य की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। वास्तव में चेहलुम हजरत हुसैन की शहादत का चालीसवां होता है। इस दिन न केवल भारत, बल्कि संपूर्ण विश्व में चेहल्लुम का आयोजन किया जाता है।

वैसे सफेद ताजिया इसलिए भी निकाला जाता है कि हजरत इमाम मेंहदी के पिता हजरत इमाम अस्करी की भी शहादत हुई थी। कुछ लोग इस बात का आरोप भी लगाते हैं कि चेहल्लुम हजरत उमर की मृत्यु की खुशी में मनाया जाता है, जो सरासर अनुचित है। वास्तव में इसका रिश्ता तो ‘मरग-ए-यजीद’ से है। सुप्रसिद्ध उर्दू कवि व स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मुहम्मद अली ने कहा है कि :

कत्ल-ए-हुसैन अस्ल में मरग-ए-यजीद है।

इस्लाम जिंदा होता है हर करबला के बाद॥

उद्देश्य

इसका आयोजन निस्संदेह इस्लाम धर्म के लिए हजरत मुहम्मद के निवासे इमाम हुसैन की सेवाओं और उनके बलिदानों को स्वीकार करना है। इमाम हुसैन का व्यक्तित्व हमेशा से बलिदान का आदर्श रहा है। उससे बड़ा बलिदान इस नश्वर संसार में विरले ही मिलेगा। इमाम हुसैन का युग इस्लामी इतिहास में ऐसा युग था, जिसमें इस्लाम के विरुद्ध ऐसी शक्तियां उठ खड़ी हुई थीं, जो सीधे-साधे मुसलमानों को अपना निशाना बनाती थीं। ऐसे में हजरत हुसैन ने इस्लाम की खोई हुई गरिमा को वापस लाने और उसे सुदृढ़ करने का भरसक प्रयास किया। यहां तक कि इस पथ पर चलते हुए उन्होंने अपनी जान की भी परवाह नहीं की।


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