भूजल में धातु-यूरेनियम के प्रदूषण का समाधान खोजने को कमेटी गठित

By: निजी संवाददाता— बठिंडा Nov 19th, 2020 12:07 am

सीयूपीबी-बीएआरसी एएमडीईआर ने बैठक कर बनाई समिति

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा (सीयूपीबी) ने देश के शीर्ष संस्थानों जैसे एटॉमिक मिनरल डायरेक्टोरेट फॉर एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च हैदराबाद (एएमडीईआर) और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, मुंबई (बीएआरसी) के शोधकर्ताओं के लिए एक एकीकृत मंच स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस एकीकृत मंच को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य पंजाब के मालवा क्षेत्र के भूजल में भारी धातुओं और यूरेनियम के प्रदूषण का समाधान प्रदान करना है। सीयूपीबी, बीएआरसी और एएमडीईआर के शीर्ष वैज्ञानिकों के बीच एक बैठक में, पंजाब और उसके आसपास के भूजल में भारी धातु और यूरेनियम की समस्या के समाधान का पता लगाने के लिए प्रमुख वैज्ञानिकों की छह सदस्यीय हाई प्रोफाइल समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है।

 इस इंटरएक्टिव सत्र में, सीयूपीबी के कुलपति प्रो राघवेंद्र पी तिवारी, एएमडीईआर के निर्देशक डा. डीके सिन्हा, बीएआरसी के स्वास्थ्य सुरक्षा और पर्यावरण समूह के ग्रुप डायरेक्टर आरएम सुरेश बाबू, डा. एम कुलकर्णी, डा. संजय झा, प्रो. वीके गर्ग (सीयूपीबी), डा. सुनील मित्तल (सीयूपीबी)उपस्थित थे। यह उल्लेख करना उचित है कि इस एकीकृत मंच को स्थापित करने का विचार पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राघवेंद्र पी. तिवारी के दिमाग की उपज है, जिसका उद्देश्य पंजाब के भूजल में भारी धातुओं और यूरेनियम के प्रदूषण के समाधान का पता लगाना है। इस बैठक के बाद कुलपति प्रो. राघवेंद्र पी तिवारी ने बताया कि सीयूपीबी ने बीएआरसी और एएमडीईआर जैसे देश के अग्रणी संस्थानों के शीर्ष वैज्ञानिकों के साथ मिलकर पंजाब के भूजल प्रदूषण के समाधान का पता लगाने की यह पहल की है।

उन्होंने बैठक के परिणाम को साझा करते हुए कहा कि पंजाब के भूजल में यूरेनियम और भारी धातु के प्रदुषण के विषय पर अनुसंधान प्रगति की निगरानी और समाधान खोजने के लिए सभी तीन संस्थानों सीयूपीबी, बीएआरसी और एएमडीईआर के प्रमुख वैज्ञानिकों की एक हाई प्रोफाइल समिति का गठन किया जाएगा। प्रो. तिवारी ने जानकारी दी कि यह एकीकृत मंच का उद्देश्य प्रमुख संस्थानों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने और उच्च अनुसंधान तकनीक की पहुंच को आसान बनाना होगा। प्रो. तिवारी ने आश्वासन दिया कि इस प्रयास से एक ऐसा मंच स्थापित करने में मदद मिलेगी, जहां पंजाब के भूजल के प्रदूषण के लिए अभिनव समाधान खोजने के लिए सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक मिलकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि बीएआरसी मुंबई और एएमडीईआर हैदराबाद भारत के प्रमुख संस्थान हैं और उनके वैज्ञानिकों की विशेषज्ञता निश्चित रूप से इस समस्या के समाधान की खोज करने के लिए महत्त्वपूर्ण साबित होगी।


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