जानें शाप विमोचन क्रिया के नियम

By: Nov 14th, 2020 12:20 am

ओउम गं ह्रू गूं ह्रीं फट् कल्पाद्याय नमः स्वाहा। ओउम गं गणपत्ये नमः। ओउम गूं सेतवे नमः मुखे। ओउम ह्रीं गं महासेतवे नमः कंठे। ओउम अं गं ऐं अं आं इं ईं उं ऊं ऋं लृं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं डं. चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं तं थं दं धं नं पं फं बं भं मं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं त्रं ज्ञं ओउम निर्वाणाय नमः नाभौ। ओउम कामराजाय नमः लिंगे। ओउम गं महाकुंडलिन्यै नमः आधारे। ओउम रां रीं रूं रैं रौं रः शाकिन्ये नमः मूर्ध्नि। ओउम ग्लौं गजानन मंत्र शापं मोचय मोचय गं स्वाहा। ध्यान ः रक्ताम्भोधिस्थपोतोल्लसदरुणसरोजाधिरूढं त्रिनेत्रं, पाशं चैवांकुशंवैरदनमभयदं बाहुभिर्धारयन्तम्…

-गतांक से आगे…

इसके पश्चात ‘भूर्भुवः स्वरोम्’ बोलकर दिग्बंधन करें और सभी दिशाओं में चुटकी बजाएं। दिग्बंधन के बाद निम्नवत मंत्र द्वारा शाप विमोचन करें ः

ओउम श्रीं ह्रीं क्लीं ह्रुं गं ऐं क्रों कीलय कीलय स्वाहा।

अर्थात अपने मस्तक पर हाथ रखकर इस मंत्र का तीन बार उच्चारण करें। यह शाप विमोचन क्रिया है। फिर शापोद्धार करें।

शापोद्धार

शापोद्धार के निमित्त निम्नवत मंत्र बोलकर यथास्थान न्यास करें ः

ओउम गं ह्रू गूं ह्रीं फट् कल्पाद्याय नमः स्वाहा। ओउम गं गणपत्ये नमः। ओउम गूं सेतवे नमः मुखे। ओउम ह्रीं गं महासेतवे नमः कंठे। ओउम अं गं ऐं अं आं इं ईं उं ऊं ऋं लृं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं डं. चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं तं थं दं धं नं पं फं बं भं मं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं त्रं ज्ञं ओउम निर्वाणाय नमः नाभौ। ओउम कामराजाय नमः लिंगे। ओउम गं महाकुंडलिन्यै नमः आधारे। ओउम रां रीं रूं रैं रौं रः शाकिन्ये नमः मूर्ध्नि। ओउम ग्लौं गजानन मंत्र शापं मोचय मोचय गं स्वाहा।

ध्यान

रक्ताम्भोधिस्थपोतोल्लसदरुणसरोजाधिरूढं त्रिनेत्रं,

पाशं चैवांकुशंवैरदनमभयदं बाहुभिर्धारयन्तम्।

शक्तया युक्तं गजास्यं पृथुतरजठरं नाग यज्ञोपवीतं,

देव चंद्रार्क चूडं सकलभयहरं विघ्नराजं नमामि।।

मानसोपचार पूजन

इसके बाद गणपति का मानसोपचार पूजन करें। विधि निम्नलिखित है ः

ओउम लं पृथिव्यात्मकं एकाक्षरगणपतये गन्ध पाद्यं परिकल्पयामि नमः।

ओउम हं आकाशत्मकं एकाक्षरगणपतये शब्द पुष्पं परिकल्पयामि नमः।

ओउम यं वाय्वात्मकं एकाक्षरगणपतये स्पर्श धूपं परिकल्पयामि नमः।

ओउम रं अग्न्यात्मकं एकाक्षरगणपतये रूप दीपं परिकल्पयामि नमः।

ओउम वं अमृतात्मकं एकाक्षरगणपतये रस नैवेद्यं परिकल्पयामि नमः।

ओउम सं सर्वरस तन्मात्र प्रकृत्यानंदात्मकं एकाक्षरगणपतये तांबूलं परिकल्पयामि नमः।                         

(साधना की अगली कडि़यों हम आस्था के विभिन्न पहलुओं से पाठकों को अवगत कराएंगे। साधना के विभिन्न तरीकों से अवगत होने के लिए आप हमारे साथ निरंतर जुड़े रहें। साधना के अध्याय से आपको जरूर लाभ होगा, ऐसा हमारा विश्वास है।)


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