प्राचार्य विश्वविद्यालय खेलों में योगदान दें: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

By: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक Nov 13th, 2020 12:07 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालय के प्राचार्यों व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापकों को चाहिए कि वे खेल सुविधा व प्रतिभा के अनुसार अपने महाविद्यालय में अच्छे प्रशिक्षकों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं ताकि हिमाचल के खिलाडि़यों को महाविद्यालय में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध हो सके। आज हिमाचल प्रदेश के कई महाविद्यालयों में विभिन्न प्रकार की खेलों के लिए स्तरीय प्ले फील्ड उपलब्ध हैं। आशा करते हैं कि डॉक्टर ओपी शर्मा व डॉक्टर सूरज पाठक की श्रेणी में राज्य के और प्राचार्य भी खेल इतिहास में याद किए जाएंगे। दरअसल हिमाचल प्रदेश अभी खेल सुविधाओं के लिहाज से अन्य प्रदेशों से पीछे है। विशेषकर कालेज व यूनिवर्सिटी स्तर पर हमारे पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं जिसके कारण अच्छे छात्र खिलाड़ी दूसरे राज्यों को पलायन के लिए विवश हो जाते हैं…

हिमाचल प्रदेश में स्कूली खेलों में प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए स्कूल स्तर पर खेल छात्रावासों के साथ-साथ राज्य खेल विभाग के दो तथा भारतीय खेल प्राधिकरण के दो छात्रावास मौजूद हैं, मगर दूसरी तरफ महाविद्यालय स्तर पर हिमाचल प्रदेश में कहीं भी कोई खेल विंग नहीं है। हिमाचल प्रदेश के ये खेल छात्रावास राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे परिणाम दे रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में जब से खेल छात्रावास खुले हैं, व्यक्तिगत खेलों के साथ-साथ टीम खेलों में भी काफी सुधार हुआ है। स्कूली खेल छात्रावास पपरोला में बास्केटबॉल के तत्कालीन प्रशिक्षक जन्म चंद कटोच के प्रशिक्षण में इस खेल छात्रावास के कई खिलाड़ी एशियाई स्कूली खेलों में भारतीय टीम के सदस्य बने थे। माजरा स्कूली खेल छात्रावास की लड़कियों ने प्रशिक्षक चंद्रशेखर शर्मा के प्रशिक्षण कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्कूली हाकी प्रतियोगिताओं में लगभग हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के लिए पदक जीते हैं।  मत्याणा, रोहडू व कोटखाई के स्कूली खेल छात्रावासों से निकले वॉलीबाल के लड़के व लड़कियां पड़ोसी राज्यों के विश्वविद्यालयों की टीमों की शान होते हैं।

हिमाचल प्रदेश  में जूनियर खिलाडि़यों के लिए लगभग हर स्तर पर कई खेलों के लिए खेल छात्रावास मौजूद हैं, मगर आगे महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्तर पर खिलाडि़यों के लिए हिमाचल प्रदेश में कहीं भी कोई खेल विंग नहीं है। इसलिए अधिकतर हिमाचल प्रदेश के खिलाड़ी स्कूल के बाद अपनी महाविद्यालय की पढ़ाई के लिए राज्य के महाविद्यालयों में खेल वातावरण न होने के कारण पड़ोसी राज्यों को पलायन कर जाते हैं। महाविद्यालय स्तर से ही पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकलते हैं। इसलिए महाविद्यालय स्तर पर खिलाड़ी विद्यार्थियों को अच्छी खेल सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिएं। हिमाचल प्रदेश में भी कुछ प्राचार्यों व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापकों ने प्रशिक्षकों व खिलाडि़यों को अच्छा प्रबंधन देकर पदक विजेता प्रदर्शन करवाया है। नब्बे के दशक में हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय में तत्कालीन प्राचार्य डॉक्टर ओपी शर्मा व शारीरिक प्राध्यापक डीसी शर्मा ने एथलेटिक्स व जूडो के प्रशिक्षकों को बुला कर उन्हें कामचलाऊ सुविधा उपलब्ध करवा कर उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रोत्साहित किया था।

पुष्पा ठाकुर हमीरपुर से पहली अंतर विश्वविद्यालय पदक विजेता बनी तथा विश्वविद्यालय खेलों से सीधा एशियाई खेलों के लिए लगे इंडिया कैम्प में पहुंची। उसके बाद हमीरपुर महाविद्यालय ने एथलेटिक्स व जूडो में कई राष्ट्रीय पदक विजेता दिए। हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय की तत्कालीन खिलाड़ी विद्यार्थियों में पुष्पा ठाकुर व संजो देवी एथलेटिक्स तथा जूडो में नूतन हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार परशुराम अवार्ड से सम्मानित हैं। प्राचार्य डॉक्टर नरेंद्र अवस्थी व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक सुशील भारद्वाज के प्रबंधन में एक समय राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर की चार धाविकाओं ने आज तक का सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड प्रदर्शन करते हुए अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता बंगलौर 2006-07 में मंजू कुमारी ने पंद्रह सौ व पांच हजार मीटर की दौड़ों में  दो स्वर्ण पदक जीत कर सर्वश्रेष्ठ धाविका का ताज पहना।

संजो ने भाला प्रक्षेपण में नए रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक, रीता कुमारी ने पांच हजार में रजत व दस हजार मीटर में स्वर्ण तथा प्रोमिला ने दो सौ मीटर की दौड़ में रजत पदक जीत कर चारों धाविकाओं ने 2010 के लिए लगे इंडिया कैम्प में जगह बना ली थी। आज भी हमीरपुर महाविद्यालय में डाक्टर पवन वर्मा अच्छा प्रबंधन दे रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षक खिलाड़ी व प्रशासन का आपसी समन्वय बहुत जरूरी है। हमीरपुर महाविद्यालय एक सत्र में सौ से अधिक स्पाईस तथा पचास हजार रुपए की एक-एक जैवलिन अपने धावकों को उपलब्ध करवाता रहा है। इसी तरह महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय सुंदरनगर में तत्कालीन प्राचार्य डॉक्टर सूरज पाठक व शारीरिक  प्राध्यापक डॉक्टर पदम सिंह गुलेरिया ने मुक्केबाजी के लिए सुविधा उपलब्ध करवाई थी। आज सुंदरनगर प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज दे रहा है। आशीष चौधरी का ओलंपिक के लिए क्वालीफाई होना इसी कार्यक्रम की देन है।

हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालय के प्राचार्यों व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापकों को चाहिए कि वे खेल सुविधा व प्रतिभा के अनुसार अपने महाविद्यालय में अच्छे प्रशिक्षकों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं ताकि हिमाचल के खिलाडि़यों को महाविद्यालय में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध हो सके। आज हिमाचल प्रदेश के कई महाविद्यालयों में विभिन्न प्रकार की खेलों के लिए स्तरीय प्ले फील्ड उपलब्ध हैं।

आशा करते हैं कि डॉक्टर ओपी शर्मा व डॉक्टर सूरज पाठक की श्रेणी में राज्य के और प्राचार्य भी खेल इतिहास में याद किए जाएंगे। दरअसल हिमाचल प्रदेश अभी खेल सुविधाओं के लिहाज से अन्य प्रदेशों से पीछे है। विशेषकर कालेज व यूनिवर्सिटी स्तर पर हमारे पास पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं जिसके कारण अच्छे छात्र खिलाड़ी दूसरे राज्यों को पलायन के लिए विवश हो जाते हैं।

ईमेलः bhupindersinghhmr@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App