राकेश पठानिया का खेल प्रबंधन: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

By: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक Nov 6th, 2020 12:07 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर कुछ एक खेलों को छोड़ कर अधिकांश बार पिछड़ा ही रहा है। हिमाचल हो या देश का कोई अन्य राज्य, उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए केवल प्रशिक्षक ही मुख्य किरदार दिखाई देता है। यही कारण है कि भारत का खेल मंत्रालय व कई राज्य भी अपने यहां हाई परफॉर्मेंस प्रशिक्षण केंद्र खोलने पर जोर दे रहे हैं तथा वहां पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को अनुबंधित कर रहे हैं। खेलो इंडिया के तहत गुजरात व पंजाब के उच्च खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षण केंद्रों की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी अधिक से अधिक इस तरह के हाई परफॉर्मेंस केंद्र व अकादमियां खोलनी होंगी। इन प्रशिक्षण केंद्रों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले अनुभवी प्रशिक्षकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने की शर्तों पर अनुबंधित करना चाहिए…

खेलें ईसा पूर्व से ही किसी भी सभ्यता के सर्वश्रेष्ठ होने का पैमाना रही हैं। आज भी ओलंपिक खेलों की पदक तालिका से किसी भी देश की तरक्की व खुशहाली का पता चलता है।  पदक तालिका में जो देश ऊपर होते हैं, वे विज्ञान व प्रौद्योगिकी में भी आगे ही होते हैं। इसलिए हर देश व उसके प्रदेश चाहते हैं कि उनके खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले हों। इसके लिए वे हरसंभव प्रयास भी करते हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार के तेजतर्रार मंत्री राकेश पठानिया के दिशा-निर्देशों में इस सप्ताह धर्मशाला के मिनी सचिवालय में नई खेल नीति के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके खिलाडि़यों, प्रशिक्षकों व खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ एक मैराथन बैठक हुई। इस बैठक में खेल उथान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। खेलों में मास पार्टिसिपेशन के लिए अर्जुन अवार्डी सुमन रावत की देखरेख में बनी कमेटी ने स्कूली स्तर पर हर विद्यार्थी की फिटनेस को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया। जब हजारों विद्यार्थी फिटनेस कार्यक्रम से गुजरेंगे तो उनमें कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। लड़कियों की अधिक भागीदारी के लिए भी उपाय सुझाए गए। रविवार को भी खेल परिसर खुले रखने की वकालत की गई।

शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध खेल सुविधाओं को नियमानुसार सबके लिए असानी ने मिलने की भी बात हुई। ओलंपियन बीएस थापा की टीम ने उपलब्ध खेल ढांचे के सदुपयोग तथा जमीन मिलने पर और अधिक प्ले फील्ड बनाने पर जोर दिया। पद्मश्री शूटर विजय कुमार की टोली ने प्रशिक्षण के बारे में अपने विचार पेश करते हुए कहा कि चल रहे खेल छात्रावासों में सुधार किया जाएगा तथा राज्य में नई हाई परफॉर्मेंस अकादमियों को खड़ा किया जाएगा। इन अकादमियों में अच्छी प्ले फील्ड व जिम के साथ-साथ अच्छे प्रशिक्षकों का नियुक्त होना भी जरूरी है। ये नियुक्तियां अनुबंध पर भी हो सकती हैं जैसे पंजाब व गुजरात आदि राज्यों ने की है। द्रोणाचार्य अवार्डी हाकी प्रशिक्षक रोमेश पठानिया ने नगद ईनामों को और बढ़ाने व  अवार्डी खिलाडि़यों व प्रशिक्षकों को पेंशन सहित और सुविधाएं दिए जाने की वकालत की है। खेल मंत्री ने कहा है कि वह शिमला, हमीरपुर व कांगड़ा आदि स्थानों पर विभिन्न खेल संघों के साथ विस्तार से चर्चा करेंगे। खेल मंत्री हिमाचली खिलाडि़यों से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन  के लिए राज्य में अधिक से अधिक खेल अकादमियां व शिक्षा संस्थानों में खेल विंग स्थान की सुविधा व प्रतिभा को देखते हुए सरकारी व खेल संघों के माध्यम से खोलने को कह रहे हैं तथा भविष्य में इन सब खेल केंद्रों को खेल विश्वविद्यालय से जोड़ने की बात भी मंत्री ने कही है। विभिन्न बड़ी कंपनियों से सीआरएस के माध्यम से राज्य में खेल ढांचे को सुदृढ़ करने की मंशा भी मंत्री ने जताई है। मनरेगा से भी ग्रामीण क्षेत्रों में प्ले फील्ड की सुविधा जुटाई जा रही है। यह सच है कि हिमाचल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रशिक्षण केंद्र हों।

हिमाचल प्रदेश में विभिन्न खेलों का स्तर राज्य में खेल छात्रावासों के खुलने के बाद भी अभी तक सुधरा नहीं है। यह अलग बात है कि कुछ जुनूनी प्रशिक्षकों के बल पर कभी-कभी अच्छे परिणाम दे पाया है। हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर कुछ एक खेलों को छोड़ कर अधिकांश बार पिछड़ा ही रहा है। हिमाचल हो या देश का कोई अन्य राज्य, उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए केवल प्रशिक्षक ही मुख्य किरदार दिखाई देता है। यही कारण है कि भारत का खेल मंत्रालय व कई राज्य भी अपने यहां हाई परफॉर्मेंस प्रशिक्षण केंद्र खोलने पर जोर दे रहे हैं तथा वहां पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को अनुबंधित कर रहे हैं। खेलो इंडिया के तहत गुजरात व पंजाब के उच्च खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षण केंद्रों की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी अधिक से अधिक इस तरह के हाई परफॉर्मेंस केंद्र व अकादमियां खोलनी होंगी। इन प्रशिक्षण केंद्रों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले अनुभवी प्रशिक्षकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने की शर्तों पर पांच वर्षों के लिए अनुबंधित करना चाहिए ताकि हिमाचल प्रदेश की संतानों को भी हिमाचल प्रदेश में रह कर ही वह प्रशिक्षण सुविधा मिल सके। जब आप हर विद्यार्थी को फिटनेस के लिए खेल मैदान में ले जाएंगे, उनमें से जरूर कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेगें।

प्रतिभा खोज के बाद पढ़ाई के साथ-साथ प्रशिक्षण के लिए अच्छे स्तर की खेल सुविधाओं से लैस अकादमी हो। अच्छे प्रदर्शन के बाद जब नौकरी मिलती है तो वहां पर खिलाड़ी कर्मचारी को बिना किसी भेदभाव के प्रशिक्षण सुविधा भी पूरा साल उपलब्ध हो। यह सब जब खेल नीति में लिखित साफ -साफ नियम बना कर जब होगा तो हिमाचल प्रदेश के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पदक जीत कर प्रदेश व देश के लिए आसानी से गौरव प्राप्त करवा सकेंगे। हिमाचल में अभी पर्याप्त खेल ढांचा नहीं है, इस दिशा में भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है। सुविधाओं के अभाव में हमारे खिलाड़ी दूसरे राज्यों को पलायन कर जाते हैं, यह पलायन भी रोकना होगा। प्रदेश के भीतर ही प्रदेश के खिलाडि़यों को माकूल खेल सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी। तभी हिमाचल प्रदेश खेलों के मामले में दूसरे राज्यों की तरह तरक्की कर सकेगा।

ईमेलः bhupindersinghhmr@gmail.com


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