स्नोव्हाइट और सात बौने

By: Nov 7th, 2020 12:20 am

रानी घर के दरवाजे के पास जाकर खड़ी ही हुई थी कि कूड़ा बाहर फेंकने के लिए स्नोव्हाइट ने घर का दरवाजा खोला। ‘अहा, कैसी हो सुंदरी बेटी?’ रानी ने पूछा, जो अब कुरूप बुढि़या बन गई थी। ‘ठीक हूं नानी। तुम कैसी हो?’ स्नोव्हाइट ने शिष्टाचार निभाते हुए कहा। ‘मैं भी ठीक हूं बेटी।’ बुढि़या रानी बोली- ‘वास्तव में मैं बस यूं ही घूमते-घुमाते इस जंगल में आ गई थी। यहां एक जगह मैंने रसीले सेबों के पेड़ देखे। वहीं मैंने एक टोकरी भी रखी पाई। मैंने सेब तोड़कर टोकरी में भरे। जी ललचा गया। मुझे बड़ी हंसी आई जब याद आया कि सेब खाने के लिए मेरे मुंह में दांत ही नहीं हैं। ही ही ही।’…

-गतांक से आगे…

स्नोव्हाइट के जीवित होने का समाचार रानी के लिए एक बहुत बड़ा झटका था। वह बड़बड़ाने लगी- ‘वही मेरी सारी मुसीबतों की जड़ है। मैं उसे जिंदा नहीं रहने दूंगी। मार डालूंगी। मार डालूंगी।’ रानी ने एक सेब लेकर उस पर जहर का लेप किया। फिर सेबों की एक टोकरी लेकर वह जंगल की ओर चल दी। ढूंढते हुए वह उस जंगल के पेड़ों के झुरमुट के पास पहुंची, जहां बौनों का घर था। जिसमें अब स्नोव्हाइट उनके साथ रह रही थी। रानी घर के दरवाजे के पास जाकर खड़ी ही हुई थी कि कूड़ा बाहर फेंकने के लिए स्नोव्हाइट ने घर का दरवाजा खोला। ‘अहा, कैसी हो सुंदरी बेटी?’ रानी ने पूछा, जो अब कुरूप बुढि़या बन गई थी। ‘ठीक हूं नानी। तुम कैसी हो?’ स्नोव्हाइट ने शिष्टाचार निभाते हुए कहा। ‘मैं भी ठीक हूं बेटी।’ बुढि़या रानी बोली- ‘वास्तव में मैं बस यूं ही घूमते-घुमाते इस जंगल में आ गई थी। यहां एक जगह मैंने रसीले सेबों के पेड़ देखे। वहीं मैंने एक टोकरी भी रखी पाई। मैंने सेब तोड़कर टोकरी में भरे। जी ललचा गया। मुझे बड़ी हंसी आई जब याद आया कि सेब खाने के लिए मेरे मुंह में दांत ही नहीं हैं। ही ही ही।’ स्नोव्हाइट भी बुढि़या के साथ-साथ हंसने लगी।

 ‘बेटी, तुम मुझ पर तो नहीं हंस रहीं? याद रखना एक दिन तुम भी बूढ़ी हो जाओगी, मेरी तरह। सारे दांत झड़ जाएंगे।’ बुढि़या सयानी होने का नाटक करते हुए मुस्कराई- ‘लो, जरा यह सेब खाकर देखो। चख कर देखोगी तो सारे सेब खाने को मचल जाओगी।’ ऐसा कहते हुए बुढि़या ने जहर के लेप वाला सेब चुन कर स्नोव्हाइट की ओर बढ़ाया। स्नोव्हाइट ने सहज भाव से सेब ले लिया। बेचारी स्नोव्हाइट क्या जाने बुढि़या का रहस्य और सौतेली मां की दुष्टता। उसने सेब लेकर दातों से एक टुकड़ा काटा। जहर बहुत तेज था। अगले ही क्षण स्नोव्हाइट नीचे गिरी पड़ी थी। अचेत। ‘सुअर की बच्ची, तेरे कारण मैंने अपनी सुंदरता खो दी, जवानी भी गई। मेरा जीवन नष्ट हो गया। राजा अब मुझे पहचानेगा भी नहीं।’ इस प्रकार कोसती हुई बुढि़या रानी सेबों की टोकरी वहीं छोड़कर वहां से चली गई। उधर, सात बौने काम पर अपने दोपहर के खाने की प्रतीक्षा करते रहे। परंतु स्नोव्हाइट नहीं आई। इस बात से बौने बहुत चिंतित हुए। भूख के अतिरिक्त राजकुमारी की सुरक्षा का प्रश्न भी था। उस दिन उन्होंने काम शीघ्र समाप्त किया व घर लौटे।


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