वायु प्रदूषण से बचाए प्राणायाम

By: Nov 7th, 2020 12:16 am

त्‍योहारों में रखें सेहत का ध्‍यान

बाहर की चीजों को इग्नोर करें। हाईड्रेटेड रहना हमेशा याद रखें। खूब पानी और दूसरे तरल पेय पिएं। त्योहारों में हम जल्दबाजी में भी रहते हैं। हमें अपने काम के साथ घूमने, खरीदारी करने और कई अन्य चीजों के बीच संतुलन बनाना होता है। इस व्यस्तता में हमें कभी भी पोषण और स्वास्थ्य को नहीं भूलना चाहिए…

त्योहारों में शरीर को स्वस्थ और वजन को नियंत्रण रखना तभी संभव है जब आप यह ध्यान रखें कि आप क्या खाते हैं और कितना खाते हैं। अगर आप स्वस्थ और सही शेप में रहना चाहती हैं, तो जरूरी है कि खाना सोच समझ कर खाएं। हम सब जानते हैं कि त्योहार खुशियों के साथ-साथ मिठाई का भी समय होता है। मिठाई के साथ आप ज्यादा कैलोरी का सेवन करती हैं। इस से आप का शरीर और स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है।

क्या खाएं क्या नहीं

आहार से संबंधित चीजों का त्योहार के दिनों में खास ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान डाइट बहुत महत्त्वपूर्ण है। अगर आप कैलोरी पर नजर रखती हैं, तो जरूरी है कि आप के पास खाने के लिए सही चीजें हों। इस से आप खुशियों और मिठाइयों के बीच रह कर भी अपना आहार स्वस्थ रख पाएंगी। आप चाहें तो इस समय मेवों का चुनाव कर सकती हैं। इनमें स्वास्थ्यकर फैट्स होता है, जो वजन को कोई नुकसान पहुंचाए बगैर आप की त्वचा और बालों को ठीक करने में सहायता कर सकता है। मुट्ठीभर मेवे जैसे किशमिश, बादाम, पिश्ता, काजू, खूबानी, अंजीर आदि त्योहारों पर कुछ स्वास्थ्यकर खाने और उपहार देने के अच्छे विकल्प हैं। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि आप सफेद चीनी, घी या तेल में तली चीजों से बचें। इसके बजाय गुड़ या डार्क चॉकलेट और मेवों से बनी मिठाई का सेवन करें। मैदा, चीनी और घी से बनी मिठाइयां कम से कम खाएं ताकि बहुत ज्यादा कैलोरी को दूर रख सकें। मसालों की जगह स्वास्थ्यकर चीजों का उपयोग किया जाना चाहिए। मीठी चीजों में लौंग, केसर, दालचीनी, इलायची और कालीमिर्च आदि इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

खरीदारी के दौरान हल्का- फुल्का खाने का रिवाज भी है। इस दौरान आप क्या खाती हैं, उस का ध्यान रखना स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण है। इस दौरान आप फलों के सलाद का चुनाव करें।

स्वास्थ्यकर डाइट के टिप्स

अपनी दिनचर्या कुछ इस तरह बनाएं कि खाने में जरा सी भी लापरबाही न हो। खाने में ज्यादा प्राकृतिक चीजें, सब्जियां और फल लें। अगर यह संभव न हो, तो शाकाहारी भोजन के बीच संतुलन बनाए रखने के मंत्र का पालन करें। बाहर की चीजों को इग्नोर करें।

हाईड्रेटेड रहना हमेशा याद रखें। खूब पानी और दूसरे तरल पेय पिएं। त्योहारों में हम जल्दबाजी में भी रहते हैं। हमें अपने काम के साथ घूमने, खरीदारी करने और कई अन्य चीजों के बीच संतुलन बनाना होता है। इस व्यस्तता में हमें कभी भी पोषण और स्वास्थ्य को नहीं भूलना चाहिए।

देश में बढ़े रहे वायु प्रदूषण से बचने के लिए वैसे तो कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन इससे बचने का अच्छा तरीका होता है प्रणायाम। कुछ प्रणायाम से आप अपने शरीर को प्रदूषित होने से बचा सकते है।

कपालभाति प्राणायाम

इसके लिए पालथी लगाकर सीधे बैठें, आंखें बंदकर हाथों को ज्ञान मुद्रा में रख लें।  कपालभाति के बाद मन शांत, सांस धीमी व शरीर स्थिर हो जाता है। इससे खून में आक्सीजन की मात्रा बढ़कर रक्त शुद्ध होने लगता है।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम

अनुलोम-विलोम प्राणायाम में नाक के दाएं छिद्र से सांस खींचते हैं, तो बाएं नाक के छिद्र से सांस बाहर निकालते है। इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक करे और बाद में इसका अभ्यास 10 मिनट तक करे। इस प्रणायाम को आप खुली हवा में बैठकर करें। रोजाना इस योग को करने से फेफड़े शक्तिशाली बनते हैं। इससे नाडि़यां शुद्ध होती हैं और शरीर स्वस्थ, कांतिमय और शक्तिशाली बनता है।

सूर्यभेदी प्राणायाम

सुखासन या पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। आंखें बंद रखें। बाएं हाथ को बाएं घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रखें, फिर दाएं हाथ की अनामिका से बाएं नासिका के छिद्र को दबाकर बंद करें। फिर दाईं नासिका से जोर से श्वास अंदर लें। फिर दाएं नासिका के छिद्र को बंद कर बाएं नासिका छिद्र से श्वास निकालें। प्रारंभ में इसके कम से कम 10 चक्र करें और धीरे-धीरे जब आप अभ्यस्त हो जाएं, तो इसके चक्र बढ़ा लें। शुरू-शुरू में अभ्यासी इस प्राणायाम को करते वक्त सिर्फ दायीं नासिका से सांस लें और बायीं नासिका से निकाले। इस प्राणायाम के अभ्यास से दमा, वात, कफ रोगों का नाश होता है।

बाह्या प्राणायाम

सामान्य स्थिति में बैठकर गहरी सांस लें। अब पूरी सांस को तीन बार रोकते हुए बाहर छोड़ें। अपनी ठोडी को अपने सीने से स्पर्श करें और अपने पेट को पूरी तरह से अंदर और थोड़ा ऊपर की ओर खींच लें। अपनी क्षमता के हिसाब से इस स्थिति में बैठे रहें। फिर अपनी ठोडी धीरे से ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे से सांस लें।  फेफड़ों को पूरी तरह से हवा से भर लें। तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।

महाप्राण ध्वनि

हवा को संस्कृत में प्राण कहते हैं । इसी आधार पर कम हवा से उच्चारित ध्वनि अल्पप्राण और अधिक हवा से उत्पन्न ध्वनि महाप्राण कही जाती है। प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण महाप्राण है । इसमें विसर्ग की तरह ‘ह’ की ध्वनि सुनाई पड़ती है । सभी उष्म वर्ण महाप्राण हैं। ‘हम्म्म्म’ मंत्र का उच्चारण करते हुए गहरी और लंबी श्वास लें और बाहर छोड़ें। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए दस से पंद्रह मिनट तक यह आसन करें।


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