आशीष चौधरी को ओलंपिक पोडियम वजीफा: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

By: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक Dec 4th, 2020 12:07 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

2015 से आशीष लगातार राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला में चल रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। 2017 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने आशीष को खेल आरक्षण के अंतर्गत मंडी जिला की धर्मपुर तहसील के कल्याण अधिकारी की नौकरी दी है। आशीष के पिता जी का लंबी बीमारी के बाद  साल पहले निधन हुआ है। अब परिवार की जिम्मेवारी भी आशीष पर ही है। ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखने के लिए धन की बहुत जरूरत होती है। ओलंपिक बहुत बड़ा खेल आयोजन है। इसकी तैयारी कई वर्षों तक चलती है तथा इसमें बहुत धन खर्च होता है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में आने के बाद भी खिलाड़ी को अपनी जेब से लाखों खर्च करने पड़ते हैं…

हिमाचल प्रदेश सरकार से ओलंपिक की तैयारी के लिए आर्थिक सहायता की गुहार तो पूरी नहीं हो सकी, मगर भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने देर से ही सही, आशीष चौधरी को ओलंपिक पोडियम स्कीम के अंतर्गत लाकर उसके प्रशिक्षण कार्यक्रम को आसान कर दिया है। संसार में आज खेल का स्तर बहुत ऊपर चला गया है। विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए बहुत अधिक सुविधाओं व उत्तम आहार की जरूरत होती है। इस सबके लिए लाखों नहीं, करोड़ों रुपए चाहिए होते हैं। इसलिए भारत सरकार ने पिछले दशक से नेशनल कैम्प के साथ-साथ अति प्रतिभाशाली खिलाडि़यों के लिए ओलंपिक पोडियम स्कीम को शुरू किया है।

इस योजना के अंतर्गत खिलाड़ी को  देश के अंदर प्रशिक्षण के लिए चालीस लाख रुपए दिए जाएंगे, जिससे वह अपना प्रशिक्षक, स्पोर्टिंग स्टाफ व अन्य सुविधाओं को ले सकता है। इसके साथ उसे पचास हजार रुपए हर महीने जेब खर्च मिलता है। जहां उसे चालीस लाख रुपए का लेखा-जोखा भी देना होता है, वहीं पर जेब खर्च के लिए उसे कोई हिसाब नहीं देना होता है। विदेशी धरती पर ट्रेनिंग के लिए यह वजीफा साल में एक करोड़ रुपए से अधिक भी हो सकता है। हिमाचल प्रदेश की संतानों ने पहाड़ की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को पार पाते हुए विभिन्न क्षेत्रों में विश्व स्तर तक सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है। खेल जगत में ओलंपिक खेलों का विशिष्ट स्थान है। ओलंपिक में प्रतिनिधित्व करने के लिए संसार के कुछ चुनिंदा टीमों या व्यक्तिगत  क्वालीफाई रैंक में आने के लिए बहुत सी प्रतियोगिताओं में श्रेष्ठतम प्रदर्शन करना पड़ता है। इसलिए कहा जाता है कि ओलंपिक खेलों में भाग लेना ही बहुत गर्व की बात है। पिछले साल जॉर्डन में संपन्न हुई ओलंपिक क्वालीफाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश के आशीष चौधरी ने टोक्यो ओलंपिक का टिकट पक्का कर लिया है।

सुंदरनगर के महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय के प्रशिक्षण केंद्र की नर्सरी से मुक्केबाजी प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण में अपनी ट्रेनिंग का श्रीगणेश कर  भिवानी व राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों में होते हुए संसार के सबसे बड़े खेल महाकुंभ तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा है। इस मुक्केबाजी की नर्सरी को शुरू करने में तत्कालीन प्राचार्य डॉक्टर सूरज पाठक व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक डॉक्टर पदम सिंह गुलेरिया का सहयोग भी याद रहेगा। स्वर्गीय भगत राम डोगरा व माता दुर्गा देवी के घर 18 जुलाई 1994 को सुंदरनगर शहर के साथ लगते जरल गांव में जन्मे आशीष की प्रारंभिक शिक्षा व कालेज की पढ़ाई सुंदरनगर में ही हुई। 2015  में केरल में आयोजित हुए राष्ट्रीय खेलों में  हिमाचल प्रदेश के लिए स्वर्ण पदक विजेता बनने के साथ ही आशीष चौधरी ने 2020 ओलंपिक, जो  कोरोना महामारी के कारण अब 2021 में हो रहा है, तक पहुंचने की आश भी जगा दी थी। पिछले वर्ष 2019 में संपन्न हुई एशियाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर आशीष ओलंपिक क्वालीफाई के काफी नजदीक आ गया। 2015 से आशीष लगातार राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान पटियाला में चल रहे राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है। 2017 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने आशीष को खेल आरक्षण के अंतर्गत मंडी जिला की धर्मपुर तहसील के कल्याण अधिकारी की नौकरी दी है। आशीष के पिता जी का लंबी बीमारी के बाद  साल पहले निधन हुआ है। अब परिवार की जिम्मेवारी भी आशीष पर ही है। ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी रखने के लिए धन की बहुत जरूरत होती है। ओलंपिक बहुत बड़ा खेल आयोजन है।

इसकी तैयारी कई वर्षों तक चलती है तथा इसमें बहुत धन खर्च होता है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में आने के बाद भी खिलाड़ी को अपनी जेब से लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। भले ही आशीष चौधरी को भारत सरकार के खेल मंत्रालय का वजीफा मिल गया है, इसके बावजूद हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस प्रतिभाशाली मुक्केबाज को सम्मानजनक आर्थिक सहायता प्रदान करे व उसे हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा के समकक्ष पद पर भी पदोन्नत  करे। आशीष चौधरी को चाहिए कि वह अब ओलंपिक तक पूरी ईमानदारी से अपने कोचिंग स्टाफ  के साथ अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करे ताकि वह टोक्यो में स्वर्ण पदक विजेता बनकर तिरंगे को सबसे ऊपर लहरा कर जन गण मन की धुन पूरे विश्व को सुना सके। हिमाचल प्रदेश अपने लाडले को ओलंपिक में स्वर्णिम सफलता के लिए शुभकामनाएं देता है। हिमाचल के अन्य खिलाडि़यों को आशीष चौधरी से सीख लेने की जरूरत है। अगर अन्य खिलाड़ी भी आशीष चौधरी की तरह मेहनत करें, तो वे अवश्य ही उन जैसा मुकाम हासिल कर सकते हैं। आशीष चौधरी का संघर्ष प्रेरणा का एक पुंज है जिसका अनुसरण किया जाना चाहिए। तभी हिमाचल खेलों में अपनी चमक बिखेर सकेगा।

ईमेलः bhupindersinghhmr@gmail.com


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