घटिया खेल सामान की आपूर्ति बंद हो: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

By: भूपिंद्र सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक Dec 11th, 2020 12:07 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

हिमाचल प्रदेश में बहुत कम प्रशिक्षण केंद्र हैं। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी बनने के लिए स्कूल व कालेज समय में खिलाड़ी को अच्छी खेल सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। पूरे संसार में जहां के खिलाड़ी श्रेष्ठ हैं, वहां पर स्कूल व कालेज स्तर पर बहुत ही उत्तम खेल सुविधाएं मुहैया हैं। इस स्तर पर अगर हिमाचल प्रदेश में घटिया खेल सामान न खरीद कर उच्च क्वालिटी का खेल सामान खरीदा होगा तो स्तरीय खेल सुविधा होगी और जो खिलाड़ी प्रशिक्षण सुविधाओं के अभाव में खेल छोड़ देते हैं, वे अपने घर में रह कर खेल जारी रख सकते हैं। खेल सुविधाओं के लिए पलायन करने वालों को भी जब अपने ही राज्य में रह कर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के लिए  सुविधा मिलेगी तो वह फिर क्यों अपना प्रदेश छोड़ेंगे…

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज खेलों का स्तर बहुत ही ऊपर उठ चुका है। उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर खिलाड़ी पूरे विश्व को अचंभित कर रहे हैं। इस अद्भूत खेल प्रदर्शन के लिए उच्च स्तरीय प्रशिक्षकों व प्रतिभाशाली खिलाडि़यों के साथ-साथ उनके पास स्तरीय खेल किट व उच्च तकनीकी के खेल उपकरणों का होना भी बहुत ही जरूरी होता है। चिकित्सा क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक करने के लिए आज प्रौद्योगिकी का सहारा लेकर कई प्रकार के उपकरण विकसित हो चुके हैं। ठीक उसी प्रकार खेल जगत में भी आज के अति मानवीय खेल परिणामों में विकसित प्रौद्योगिकी का सहारा लेकर बनाई गई आधुनिक खेल समग्री का विशेष योगदान है। जैसे-जैसे सभ्यता का विकास हो रहा है, हम स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं।

इनसान को फिट रहने के लिए किसी न किसी खेल का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में जब लाखों नहीं, करोड़ों खेलेंगे तो उसके लिए खेल उपकरण भी चाहिएं। पूरे विश्व में खेल बहुत बड़ा उद्योग बन कर उभरे हैं। हमारे देश में आज खेल उपकरणों का उद्योग अरबों रुपए का कारोबार हर वर्ष कर रहा है। खेल किट व खेल उपकरणों के बाजार में अच्छे से अच्छा व घटिया से घटिया सामान उपलब्ध है। जब सरकारी स्तर पर खेल सामान खरीदा जाता है तो कीमत बढि़या या मध्यम स्तर के सामान की होगी और सामग्री निम्न दर्जे की होगी। इस तरह मूल्य उच्च क्वालिटी का तय कर शेष राशि हड़प ली जाती है। व्यापारी व सामग्री खरीदने वाले अधिकारी मिलकर अधिकांश राशि को चट कर जाते हैं। प्रदेश के महाविद्यालयों में जहां अधिकतर खेल सामग्री महाविद्यालय प्रशासन स्वयं खरीदता है, वहीं पर कुछ खेल सामान पहले शिक्षा निदेशालय मटीरियल्स एंड सप्लाई के अंतर्गत खरीद कर महाविद्यालय को दिया जाता था और अब जैम के माध्यम से खरीदा  जा रहा है। मटीरियल्स एंड सप्लाई के अंतर्गत खरीदा गया खेल सामान बिल्कुल घटिया किस्म का मिलता रहा है।

निम्न दर्जे के हाई जम्प व कबड्डी मैट व मुक्केबाजी रिंग इसके उदाहरण आज भी देखे जा सकते हैं। इस स्कीम के अंतर्गत खरीदे जिम्म एक साल में ही कबाड़ हो चुके हैं। लाखों रुपए का खेल सामान तो खरीद लिया, मगर यह कोई नहीं सोचता है कि यह काम में भी लाया जा सकता है या नहीं। इस खेल सामान को खरीदने के लिए बनी कमेटी में निदेशालय के अधिकारी व बाबू होते हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में शायद ही कोई खेल खेला हो और जो थोड़ा-बहुत खेल खेले हैं और खेल सामान की परख भी रखते हैं, वे भी अपने थोड़े लाभ के लिए आंखें बंद कर लेते हैं। आज जब खेल-खेल में स्वास्थ्य स्कीम के अंतर्गत कई करोड़ रुपयों की कृत्रिम प्ले फील्ड जूडो, कुश्ती व खो-खो आदि खेलों के लिए खरीद कर विद्यालयों व महविद्यालयों को दी जा रही। जहां भी खेल सामान खरीदना हो वहां पर खरीददारी के लिए जो कमेटी बने, उसमें जिस भी खेल का सामान खरीदना है, उस खेल का प्रशिक्षक व कम से कम दो राष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ी भी विभागीय अधिकारियों के साथ हों। जिस संस्थान को सामग्री मिले, वहां भी कमेटी देखे कि वह घटिया स्तर का तो नहीं दे दिया। अच्छी प्रशिक्षण सुविधा के अभाव में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी समय से पहले ही खेल को अलविदा कह जाते हैं और जिनके पास धन व साधन हैं, वे अच्छे प्रशिक्षण के लिए हिमाचल प्रदेश से पलायन कर जाते हैं।

हिमाचल प्रदेश में बहुत कम प्रशिक्षण केंद्र हैं। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी बनने के लिए स्कूल व कालेज समय में खिलाड़ी को अच्छी खेल सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। पूरे संसार में जहां के खिलाड़ी श्रेष्ठ हैं, वहां पर स्कूल व कालेज स्तर पर बहुत ही उत्तम खेल सुविधाएं मुहैया हैं। इस स्तर पर अगर हिमाचल प्रदेश में घटिया खेल सामान न खरीद कर उच्च क्वालिटी का खेल सामान खरीदा होगा तो स्तरीय खेल सुविधा होगी और जो खिलाड़ी प्रशिक्षण सुविधाओं के अभाव में खेल छोड़ देते हैं, वे अपने घर में रह कर खेल जारी रख सकते हैं।

खेल सुविधाओं के लिए पलायन करने वालों को भी जब अपने ही राज्य में रह कर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के लिए  सुविधा मिलेगी तो वह फिर क्यों अपना प्रदेश छोड़ेंगे? बात चाहे शिक्षा निदेशालय की हो या किसी भी संस्थान की, अब हिमाचल प्रदेश में उचित मूल्य चुका कर घटिया किस्म का खेल सामान खरीद कर करोड़ों रुपए की यू बंदरबांट नहीं होनी चाहिए। यह याद रखा जाना चाहिए कि हिमाचल खेल सुविधाओं के मामले में अन्य राज्यों से पिछड़ा हुआ है। यहां खेल का पर्याप्त आधारभूत ढांचा नहीं है। यह ढांचा खड़ा करने के लिए अगर किसी सामान की खरीद होती है, तो उसमें धांधली नहीं होनी चाहिए। उच्च मूल्य चुकाकर घटिया खेल सामान खरीद लेना कोई शौर्य का काम नहीं है। घटिया खेल सामान की आपूर्ति बंद होनी चाहिए और प्रदेश के खिलाडि़यों के लिए बढि़या से बढि़या खेल सामान की खरीद होनी चाहिए।

ईमेलः bhupindersinghhmr@gmail.com


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