पर्यटन की तहजीब बदलें

By: Jan 21st, 2021 12:06 am

सवाल पर्यटन को बजट देने से भी कहीं अधिक बजट में पर्यटन को देखने का है। प्रदेश अपने अगले चरण में बजटीय आंख से न केवल भविष्य को देखेगा, बल्कि पूरा एक साल कोविड में गंवाने के दंश भी हटाएगा। ऐसी ही परिस्थितियों की फांस में तड़प रहे पर्यटन व्यवसायियों की वित्त विभाग के अतिरिक्त सचिव से बातचीत काफी महत्त्व रखती है। जाहिर तौर पर पिछले बजट के लक्ष्यों में कोविड का विराम किसी शैतान से कम नहीं रहा है। वित्तीय साल का खोना और अगले साल में बराबर अवसर पाना, एक ऐसी खाई व अनिश्चितता में लटका प्रश्न है, जहां सरकार को हरदम आगे आना पड़ेगा। बेशक पर्यटन व्यवसायियों की उम्मीदों में इजाफा करने के लिए आगामी बजट में बहुत कुछ लिखा जा सकता है या राहत के पैगाम फिर से गुम हो चुके आत्मबल को जगा सकते हैं।

 बजट अगर पर्यटन क्षेत्र को देखने की उदारता में प्रतिबद्ध होता है, तो अगला साल एक तरह से पुनर्जन्म की तरह होना चाहिए। पहली बार पर्यटन बजट के मायने बदलने पड़ेंगे और वित्त मंत्रालय को बंद होटलों के दरवाजों पर खुद ही दस्तक देनी होगी। पर्यटन दरअसल पूरे प्रदेश की परिक्रमा में देखा जाता है और जहां प्रवेश द्वार से ही राज्य का सकल घरेलू उत्पाद करवटें लेने लगता है। आता पर्यटक केवल टूरिस्ट डेस्टिनेशन का सामर्थ्य नहीं, बल्कि वे तमाम मुस्कराहटें हैं जो रेहड़ी-फड़ी से शुरू होकर छोटे-बड़े व्यापारी तक से जुड़ती हैं। पर्यटन क्षेत्र का खुलना और सामर्थ्यवान होना, हिमाचली आर्थिकी और विकास का साहसिक पैगाम है। प्रदेश में हर तरह की मांग और बाजार की बढ़ती क्षमता का सबसे बड़ा साधन पर्यटन है। इसकी प्रस्तुति, प्रशंसा और प्रेरणा को अगर बजटीय लक्ष्यों की छांव मिलती है, तो निश्चित रूप से कोविड के बाद युग बदला जा सकता है। दरअसल कोविड संकट ने यह बता दिया कि बाजार के लिए पर्यटक आगमन के मायने क्या हैं।

 दूसरी ओर चाहे सरकार हो या व्यवसायी, इस दौर की परीक्षा में प्रदेश अपनी खामियां दुरुस्त कर सकता है। अगर पर्यटन व्यवसायी कुछ बिंदुओं पर भविष्य को रेखांकित होता देखना चाहते हैं, तो यह हिमाचल की ब्रांडिंग और तरक्की के नजरिए से आगे बढ़ने का संकल्प हो सकता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए  कि कोविड संकट से बाहर केवल पर्यटक का विश्वास, आत्मबल तथा साहस ही पुनः उसे वापस लाएगा। ऐसे में सबसे पहले हिमाचल को उसके स्वागत की भाषा और सुविधाओं की मर्यादा बढ़ानी होगी। ऐसी बहुत सारी आपत्तियां पर्यटक के अनुभव को हिमाचल से जोड़ती हैं, जिन्हें केवल व्यवहार से सुधारा जा सकता है। अगर संपूर्ण पर्यटन उद्योग जिसमें परिवहन, पुलिस तथा छोटे-छोटे व्यापार भी हैं, अपने रवैये को मनमोहक बना लें तो निश्चित रूप से पर्यटन का अगला सफर हिमाचल को वरीयता देगा। सरकार को पर्यटन को वरीयता देनी होगी, लेकिन साथ ही साथ इससे जुड़े हर व्यवसायी को एक-एक पर्यटक को प्राथमिक मानना होगा। कोविड दौर के बाद पर्यटन और पर्यटक की परिभाषा बदल रही है, इसलिए हिमाचल को अपनी ओर से इनके स्वागत के अर्थ और अनुभव की कसौटियां बदलनी होंगी। सरकार को निजी क्षेत्र के साथ मिलकर पर्यटन की तहजीब बदलने के उपाय ढूंढने होंगे तथा विराम की अवस्था में पर्यटक स्थलों के सन्नाटे तोड़ने के लिए वित्तीय प्रोत्साहनों की पेशकश करनी चाहिए। सबसे अहम बिंदु यह है कि भविष्य की रफ्तार और पड़ताल में हिमाचल को पर्यटन राज्य बनाने की हर कोशिश अगर शुरू हो, तो हर विभाग का बजट अपने भीतर के दायित्व में पर्यटन को गुलजार कर सकता है।


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