ऊना में पांव जमा रहे कोचिंग सेंटर

By: Jan 20th, 2021 12:07 am

हिमाचल प्रदेश में हर जगह कोचिंग सेंटर्स व अकादमियों की भरमार है। 90 के दशक से इक्का-दुक्का अकादमियों के साथ शुरू हुआ सिलसिला अब सैकड़ों का आंकड़ा पार कर गया है। बड़ी नौकरी की ख्वाहिश लिए बाहर जाने वाले छात्रों के लिए ये अकादमियां कहीं न कहीं उनके लिए घर में तैयारी कर एचएएस-आईएएस-डाक्टर-इंजीनियर बनने की उम्मीद दे रही हैं। जिला ऊना पर गौर करें, तो अभी कहीं न कहीं कोचिंग सेंटर्स के मामले में यह शहर पिछड़ा हुआ ही है। हालांकि जो संस्थान हैं, वे बेहतरीन काम कर रहे हैं, लेकिन अभिभावकों को अपने बच्चों को कोटा-दिल्ली ही भेजना पड़ रहा है। जिला ऊना में वर्तमान में क्या हैं कोचिंग सेंटर्स के हालात बता रहे हैं

जितेंद्र कंवर

शिक्षा  के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ते जिला ऊना में अब कोचिंग सेंटर्स भी अपने पांव जमाने के लिए प्रयासरत हैं। हालांकि अभी तक जिला से अधिकतर विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा-चंडीगढ़ या दिल्ली पर ही र्निभर रहना पड़ रहा है। नीट, जेईई, नर्सिंग व एनडीए सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों की बात करें, तो एडुपेस एजुकेशन ऊना जिला में तेजी से उभरता संस्थान है, जबकि विभिन्न सरकारी नौकरियों की परीक्षाएं क्रैक करने के लिए ज्ञानम संस्थान अपनी बेहतरीन सेवाएं दे रहा है।

जिला में सेना, अर्द्धसैनिक बलों, पुलिस व अन्य सुरक्षा बलों में चयन के लिए प्रशिक्षण हेतु ऊना में अनेक कोचिंग संस्थान कार्यरत हैं। इसमें एचपी अकादमी फॉर डिफेंस एवं जन कल्याण समिति ऊना, करियर प्वाइंट डिफेंस अकादमी बंगाणा प्रमुख नाम बनकर उभरे हैं। वहीं, एके विद्यामंदिर का भी ऊना में कोचिंग सेंटर है, जबकि बंसल ट्यूटोरियल्स, एपेक्स ट्यूटोरियल्स, वात्सयान, एजीलाइट, जेटकिंग इंस्टीच्यूट इत्यादि प्रमुख कोचिंग संस्थान हैं। इसके अलावा अंब, दौलतपुर चौक में भी कुछेक कोचिंग संस्थान हैं। इनमें जेईई, नीट, एनडीए, बैंकिंग, नर्सिंग के अलावा टेट, पटवारी व अन्य सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं की तैयारी भी करवाई जाती है।

एडुपेस इंस्टीच्यूट की एजुकेशन बेस्ट…

ऊना मुख्यालय पर नंगल मार्ग पर स्थित एडुपेस एजुकेशन संस्थान ने बड़े कम समय में एक बेहतरीन कोचिंग संस्थान के रूप में विश्वसनियता अर्जित की है। जिला ऊना में कोचिंग सेक्टर की गंभीर शुरुआत एडुपेस ने की है। नीट,जेईई एडवांस व मेन एग्जाम्स में एडुपेस का सफलता का आंकड़ा हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। इसी वर्ष भी यहां कोचिंग प्राप्त करके करीब चार दर्जन विद्यार्थी नीट व जेईई परीक्षाओं को उत्तीर्ण कर पाने में सफल रहे हैं।

फिजिक्स-केमिस्ट्री-मैथ्स-बायोलॉजी  डिमांड में, रीज़निंग-जीके भी जरूरी

जिला में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स व बायोलॉजी विषयों को लेकर कोचिंग सेंटर्स में अधिक डिमांड रहती है। इसके अलावा रिज़निंग, अंग्रेजी, जीके व करंट अफेयर्स विषयों में कोचिंग की भारी मांग है।

ज्ञानम के नतीजे सचमुच ही कमाल…

ऊना मुख्यालय स्थित ज्ञानम इंस्टीच्यूट युवाओं को एनडीए, बैंकिंग, क्लर्क, पटवारी इत्यादि की परीक्षाएं उत्तीर्ण करने में मददगार साबित हो रहा है। सरकारी विभागों की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाआें को क्रैक करने के लिए यह संस्थान आवश्यक तैयारी करवाता है। इसके नतीजे काफी उत्साहित करने वाले हैं।

जरूरत के हिसाब से अब बढ़ रहे संस्थान

ऊना शहर में मौजूदा दौर में शिक्षा क्षेत्र की जरूरतों को देखते हुए कोचिंग संस्थानों की भी बाढ़ आई है। हालाांकि इसमें कुछेक संस्थान ही अभी तक अपनी विश्वसनियता व नाम बना पाए हैं। ऊना शहर में पिछले पांच साल के दौरान कुछेक संस्थानों ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में बच्चों को पारंगत बनाकर बेहतर नाम बनाया है।

सरकार से आस

ऊना में अभी कोचिंग सेंटर्स की शुरुआत ही हुई है। धीरे-धीरे इसका चलन अब बढ़ रहा है, लेकिन प्रदेश सरकार का शिक्षा विभाग या शिक्षा बोर्ड इस दिशा में पहल करें, तो प्रदेश के ऐसे होनहार भी अच्छे ओहदों तक पहुंचकर देश समाज की सेवा कर सकते हैं। ऐसे पुन्य कार्य के लिए ऊना जिला के सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाने वाले और सेवानिवृत्त शिक्षक भी सेवाएं देने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन इसके लिए मंच प्रदान करने के लिए फिलहाल सबकी निगाहें सरकार की ओर लगी हुई हैं।

चंडीगढ़-कोटा भेजने में ही ज्यादा भरोसा

अपने बच्चों को कोचिंग दिलाने के लिए ऊना के अभिभावकों की पहली पसंद चंडीगढ़ व कोटा के संस्थान बने हुए हैं। हालांकि ऊना में कोचिंग सेंटर्स ने पांव जमाने शुरू कर दिए हैं, लेकिन अभी भी लंबा सफर तय करना बाकी है।

कॉस्ट-फेसिलिटी है फीस तय करने का पैमाना

अधिकतर कोचिंग संस्थान सिंगल लाइन मैनेजमेंट के तहत चल रहे हैं। संस्थान के नियम-कायदे भी वही तय करते हैं। संस्थान में विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीस को तय करने का पैमाना भी कास्ट मैनेजमेंट ही है। इसमें संस्थान के नियमित खर्चों के अलावा क्वालिटी फैकल्टी पर होने वाले व्यय के बजट को ध्यान में रखा जाता है। फैकल्टी का चयन विद्यार्थियों के पैकेज के अनुसार ही किया जाता है।

सुपर-50 में निखर रहे मेधावी छात्र

जिला ऊना में प्रशासन ने सरकारी स्कूलों के मेधावी विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में कंपीट करने के लिए निःशुल्क कोचिंग प्रदान करने की व्यवस्था की है। इसके लिए प्रशासन द्वारा शिक्षा विभाग के साथ मिलकर हर साल चयन परीक्षा का आयोजन किया जाता है, जिसमें टॉप-50 विद्यार्थियों को चयन सुपर-50 कार्यक्रम के लिए किया जाता है। इन्हें उच्च शिक्षित-प्रशिक्षित फैकल्टी द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाता है। जिला के टॉप अधिकारी भी अकसर इन बच्चों को पढ़ाते हैं, वहीं उन्हें आईएएस, आईपीएस व अन्य परीक्षाओं के लिए आवश्यक टिप्स भी देते हैं।

बच्चों को डाक्टर-इंजीनियर बनाना चाहते हैं ज्यादातर पेरेंट्स

ऊना जिला में स्थापित कोचिंग सेंटर्स व अकादमियों में विद्यार्थियों व अभिभावकों की पहली पंसद जेईई व नीट की तैयारी है। वहीं, एनडीए व बैंकिंग सेक्टर के लिए विद्यार्थी कोचिंग के लिए इन संस्थानों में आते हैं। ऊना में अभी भी संस्थानों में ज्यादातर छात्र बारहवीं के बाद ही कोचिंग लेने आ रहे हैं। वहीं, बहुत कम तादाद में छात्र स्कूल-कालेज के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान पहुंच रहे हैं। एचएएस-आईएएस की कोचिंग के लिए जिला में उतने बेहतर संस्थान नहीं हैं। इसलिए अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य कोई समझौता न कर के उन्हें बाहर भेजने में ही भलाई समझते हैं। स्कूलों के छात्र भी कोचिंग की तरफ ज्यादा फोकस्ड नहीं हैं, वे ट्यूशन सेंटर्स में अपने स्कूल के ही विषय पढ़ते हैं।

प्रशासन की सुपर-50 पहल गजब

जिला ऊना में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सरकारी स्कूलों के होनहार विद्यार्थियों के लिए जिला प्रशासन ने सुपर-50 क्लासेज शुरू की हैं। यह एक बेहतरीन शुरुआत है, जिसमें सरकारी स्कूलों के बच्चों को टॉप फैकल्टी द्वारा मार्गदर्शन दिया जा रहा है। वहीं, इसमें जिला के आला प्रशासनिक अधिकारी स्वयं भी बच्चों को पढ़ाते व प्रेरित करते हैं

—देवेंद्र चौहान, प्रधानाचार्य, डाइट ऊना

क्लीयर होने चाहिए सब्जेक्ट के कांसेप्ट

कोचिंग सेंटर्स में बच्चों को भेजना एक ट्रेंड बन गया है। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सबसे अहम चीज बच्चों के कंसेप्ट क्लीयर होने हैं

दीपशिखा कौशल, प्रचार्य, डेफोडिल पब्लिक स्कूल

बच्चों को स्टडी आवर्ज बढ़ाने की जरूरत

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बच्चों को स्टडी आवर्ज बढ़ाने की जरूरत है। कोचिंग सेंटर्स भी उन्हीं बच्चों के लिए सहायक साबित होते हैं, जो स्वयं पढ़ाई में रुचि रखते हों

डा. त्रिलोक चंद, प्राचार्य, पीजी कालेज, ऊना

कोचिंग सेंटर्स में काफी पीछे है ऊना

कोचिंग सेंटर्स तो अब फैशन बन चुका है। ऊना जिला इस क्षेत्र में अभी काफी पीछे है। कुछेक संस्थान जरूर शुरू हुए हैं, लेकिन अभी काफी मेहनत की जरूरत है। जिला को अभी कोचिंग इंस्टीच्यूट्स की बड़े पैमाने पर जरूरत है

—राममूर्ति लट्ठ, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य

कोई कमी नहीं चाहते अभिभावक

कोचिंग सेंटर्स की प्रासंगिकता से इन्कार नही किया जा सकता।  कोचिंग सेंटर्स से बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिशा मिलती है। सरकारी स्कूलों में बेहतरीन फैकल्टी है, लेकिन बढ़ते कंपीटिशन के चलते अब अभिभावक कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते

नरेश सैणी, शिक्षाविद

अभी बाहर भेजने में ही दिलचस्पी दिखा रहे अभिभावक ऊना जिला में कोचिंग संस्थानों का शिक्षण-प्रशिक्षण स्तर अभी कोटा-चंडीगढ़ के बराबर नही पहुंच पाया है। अभिभावक अपने बच्चों को कोचिंग के लिए जिला से बाहर भेजने में ही अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं  डा. जागृति दत्ता, अभिभावक

दो राय नहीं! कोचिंग से बच्चों का फायदा तो होता ही है

बेटी अमिशा सांभर ने चंडीगढ़ के कोचिंग संस्थान से कोचिंग ली, वहीं ऊना के एडुपेस संस्थान में भी कुछ समय तक कोचिंग ली।  उसका चयन मेडिकल कालेज नाहन में हुआ। कोचिंग से बच्चों को निश्चित तौर पर लाभ मिलता है

सोनिया सांभर, अभिभावक

कोचिंग सेंटर्स में लक्ष्य के साथ पढ़ाई करते हैं बच्चे

बेटे को कुछ समय चंडीगढ़ में कोचिंग दिलाई, उसका चयन आईआईटी भुवनेश्वर में हुआ। कोचिंग से बच्चों को सही मार्गदर्शन मिलता है। वे एक चीज़ पर फोकस कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम करते हैं

सुरेंद्र शर्मा, समाजसेवी एवं अभिभावक

बच्चे की इच्छा है, तभी कोचिंग के लिए बाहर भेजें

यदि बच्चे में योग्यता है, तो वह बिना कोचिंग लिए भी प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण कर लेगा। कोचिंग सेंटर्स योग्य बच्चे की प्रतिभा में निखार ला सकते हैं, लेकिन बच्चों को उनकी इच्छा के विरुद्ध कोचिंग सेंटर भेजकर अच्छे नतीजों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए —डा. जगदीश्वर कंवर, अभिभावक

बच्चे के हिसाब से गाइड करते हैं सेंटर

बच्चों को सही गाइडेंस की हमेशा जरूरत रहती है, लेकिन मेहनत अंततः बच्चों को ही करनी होती है। कोचिंग सेंटर्स विद्यार्थियों को सही दिशा में गाइड करने का काम करते हैं —एडवोकेट अनूप शारदा, अभिभावक

यहां भर्ती के लिए भी तैयार हो रहे नौजवान

ऊना जिला में युवाओं को सेना, पुलिस व सुरक्षा बलों में भर्ती परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कई अकादमियां कार्य कर रही हैं। इनमें से ऊना व बंगाणा में कार्यरत अकादमियों ने बेहतर नाम कमाया है। ऊना स्थित हिमाचल प्रदेश अकादमी फॉर डिफेंस सर्विसेज व जनकल्याण समिति अभी तक करीब दो हजार युवक-युवतियों को सेना, पुलिस व अन्य सैन्य बलों में स्थायी रोजगार दिला पाने में कामयाब हुआ है, जबकि बंगाणा में करियर प्वाइंट डिफेंस अकादमी भी बेहतर कार्य कर रही है। ये अकादमियां युवाओं को सेना भर्ती के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करती हैं और उन्हें फिजिकल ट्रेनिंग देने के साथ-साथ रिटन टेस्ट के लिए भी तैयार करती हैं। नौजवान फोकस्ड होकर सेना में या पुलिस में भर्ती होने के लिए इन अकादमियों में प्रशिक्षण ले रहे हैं।

जिला के प्रमुख कस्बों में नहीं हैं अकादमियां

जिला ऊना के प्रमुख कस्बों में कोचिंग अकादमियां न के बराबर हैं। गगरेट में एक भी कोचिंग अकादमी नहीं है, जबकि दौलतपुर चौक में एक-दो संस्थान इस दिशा में प्रयासरत हैं। वहीं, अंब में भी करीब आधा दर्जन कोचिंग सेंटर्स हैं। हरोली, संतोषगढ़, बंगाणा, मैहतपुर इत्यादि कस्बों में इस प्रकार के संस्थान नहीं हैं। इसलिए जिला ऊना में कोचिंग सेंटर्स की अभी शुरुआत हुई है, ऐसा माना जा सकता है। अभी बच्चों को बाहर जाकर ही कोचिंग लेनी पड़ रही है।

कोटा-दिल्ली के लिए ही लग रही बच्चों की दौड़

कड़ी प्रतियोगिता के वर्तमान दौर में हर बच्चे के मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा बड़ा होकर एक कामयाब डाक्टर, इंजीनियर, आर्मी ऑफिसर, आईएएस या आईपीएस बने। इसके लिए माता-पिता अपने बच्चों को बेहतरीन शिक्षण संस्थानों में पढ़ाना चाहते हैं। नर्सरी कक्षा में दाखिले से लेकर बच्चों के लिए बेस्ट संस्थान चुनने की पेरेंट्स की यह तलाश बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विश्वसनीय संस्थान तक जारी रहती है। जिला ऊना में करीब 200 उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल हैं, जिनमें दस हजार से अधिक छात्र-छात्राएं हर वर्ष दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करते हैं। हर साल सैकड़ों अभिभावक अपने बच्चों को नीट, जेईई, एनडीए इत्यादि की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग अकादमियों का रुख करते हैं। जिला ऊना ने शिक्षा के क्षेत्र में बेशक बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। ऊना में ट्रिपल आईटी जैसा लब्ध प्रतिष्ठित संस्थान निकट भविष्य में अपने भव्य भवन में खुलने जा रहा है।

जेएनवी के अलावा केंद्रीय विद्यालय ऊना में है, वहीं एक निजी विश्वविद्यालय भी ऊना में स्थापित है। इसके अलावा बड़े स्तर पर शिक्षण संस्थानों का ढांचा मौजूद है, लेकिन अभी भी ऊना जिला में स्तरीय कोचिंग अकादमी की कमी अनुभव की जा सकती है। हजारों छात्र-छात्राएं हर साल ऊना जिला से बाहर कोचिंग के लिए कोटा व चंडीगढ़ जैसे शहरों का रुख करते हैं। यहां अभिभावकों को अपने लाड़लों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए लाखों रुपए व्यय करने पड़ते हैं। जिला मुख्यालय पर भी कोचिंग के विश्वसनीय व बेहतर संस्थान की स्थापना न होना चिंतनीय विषय जरूर है। जिला के प्रमुख कस्बों व शहरों में भी कोचिंग सेंटरस की उपस्थिति न के बराबर है। कुछेक संस्थान खुले तो जरूरत, लेकिन न तो उनके पास हाई-प्रोफाइल फैकल्टी है, न ही पर्याप्त आधारभूत ढांचा। किरायों की दुकानों में चल रहे कोचिंग सेंटर्स खानापूर्ति ही साबित हो रहे हैं। पिछले पांच वर्षों की बात करें, तो कोचिंग सेक्टर में कुछ प्रयास जरूर हुए हैं, लेकिन अभी भी ये अपना नाम व पहचान नही बना पाए हैं।


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