कुशल कर्मियों का निर्यात

कैबिनेट के मंतव्य के अनुसार जापान को कुशल कर्मियों को उपलब्ध करने के लिए हमें वर्तमान शिक्षा तंत्र के बाहर सोचना होगा। वर्तमान शिक्षा तंत्र का आमूलचूल सुधार करना होगा। सेंटर फार सिविल सोसायटी के एक अध्ययन के अनुसार हांगकांग, फिलिपीन्स, पाकिस्तान, आंध्र प्रदेश, दिल्ली-शहादरा, उड़ीसा आदि स्थानों पर प्रयोग किए गए हैं जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा छात्रों को वाउचर दिए जाते हैं जिसे वे अपने मनपसंद विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के लिए उपयोग कर सकते हैं…

कैबिनेट ने हाल में जापान के साथ एक अनुबंध को मंजूरी दी है जिसके अंतर्गत भारत के कुशल श्रमिक जापान जाकर कार्य कर सकेंगे। यह कदम सुदिशा में है और इसे पूरी क्षमता से लागू करना चाहिए। मैकेन्सी ग्लोबल सलाहकारी कम्पनी के अनुसार वर्तमान में विश्व में 8 करोड़ कुशल कर्मचारियों की कमी है, जबकि विकासशील देशों में 9 करोड़ अकुशल कर्मी बेरोजगार हैं। इससे स्पष्ट है कि यदि हम अपने करोड़ों अकुशल कर्मियों को कौशल दे सकें तो वे विश्व में अपनी सेवाएं प्रदान करके अपना जीवनयापन कर सकते हैं और भारत के लिए भी पूंजी के रूप में साबित होंगे। यदि हम इन्हें कौशल नहीं उपलब्ध करा सके तो ये बेरोजगार रहकर एटीएम तोड़ने जैसे अपराधों में संलिप्त होंगे। ऐसे में ये अभिशाप बन जाएंगे। लेकिन आज देश में कौशल विकास की परिस्थिति बहुत ही दुरूह है। इंडियन इंस्टीच्यूट आफ  वेल्डिंग के प्रमुख एस श्रीनिवासन के अनुसार बीते समय में 10 से 20 हजार वेल्डर भारतीय कम्पनियों ने चीन, रूस और पूर्वी यूरोप के देशों से बुलाए हैं क्योंकि अपने देश में कुशल वेल्डर उपलब्ध नहीं हैं। एक तरफ  हम अपने कर्मियों को जापान भेजने का मन बना रहे हैं तो दूसरी तरफ  हमारे पास अपनी जरूरत के ही वेल्डर उपलब्ध नहीं हैं और हम चीन से वेल्डर बुलाकर अपना काम चला रहे हैं। हम अपने देश में वेल्डर जैसे सामान्य कौशल का भी पर्याप्त विकास नहीं कर पा रहे हैं। विश्व बैंक ने 2008 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विद्यालयों का एक सर्वे किया था।

उन्होंने पाया कि अध्यापक विद्यालय में उपस्थित नहीं होते हैं और यदि उपस्थित होते हैं तो भी बच्चों की पढ़ाई में कोई अंतर नहीं पड़ता है। स्थानीय निकायों जैसे पंचायतों को उन पर निगरानी रखने का अधिकार देने से भी कोई अंतर नहीं पड़ता है। वस्तुस्थिति यह है कि हमारे सरकारी विद्यालयों में अध्यापकों की नौकरी पूर्णतया सुरक्षित और उनकी बच्चों को पढ़ाने में तनिक भी दिलचस्पी नहीं है, चूंकि उन्हें अपनी नौकरी पर आंच आने की कोई संभावना नहीं दिखती है। इस परिस्थिति में सरकार ने बायोमीट्रिक जैसे तकनीकी सुधारों से उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने का अच्छा प्रयास किया है, लेकिन वह भी निष्प्रभावी रहा है। आप घोड़े को पानी तक तो ले जा सकते हैं, लेकिन उसे जबरदस्ती पानी नहीं पिला सकते हैं। इसी प्रकार सरकार शिक्षकों को विद्यालय में उपस्थित होने को मजबूर कर सकती है, परंतु उनकी पढ़ाने में रुचि उत्पन्न नहीं कर सकती है। इसलिए अपने देश में कौशल विकास की आधारशिला जो बुनियादी शिक्षा की है, वह कमजोर है। लगभग ऐसी ही स्थिति औद्योगिक शिक्षा संस्थानों में है। आईआईटी पास लोग मेरे पास काम करने को आए। उनके पास कम्प्यूटर विज्ञान में उत्तीर्ण होने का प्रमाणपत्र था, किंतु वे अपने विषय का तनिक भी ज्ञान नहीं रखते थे। आईटीआई में वेल्डिंग सिखाने वाले अध्यापक को न तो स्वयं वेल्डिंग आती है और न ही वहां वेल्डिंग के उपकरण मौजूद हैं जिनसे छात्रों को वेल्डिंग सिखाई जा सके। हमारी शिक्षा प्रणाली मात्र प्रमाणपत्र बांटने तक सीमित रह गई है। यही कारण है कि करोड़ों अकुशल छात्र निठल्ले घूम रहे हैं और कौशल के अभाव में वे अपनी सेवा देश को प्रदान नहीं कर पा रहे हैं। इस परिस्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति बनाई जिसमें एक कार्यक्रम एक्विप अथवा ‘शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम’ के नाम से शामिल किया गया। इसमें 10 बिंदु हैं।

इसके 6 बिंदुओं में केवल कोरे नारे हैं जिनका भूमि से कोई जुड़ाव नहीं है। जैसे पहला, भारत की शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक कुशल नीतियों की ओर ले जाना। दूसरा, उत्कृष्टता को बढ़ावा देना। तीसरा, सही मूल्यांकन करना। चौथा, विद्यालयों की सही रैंकिंग करना। पांचवां, रिसर्च को बढ़ावा देना। और छठा, छात्रों को रोजगारपरक शिक्षा देना। इन बातों को कहने में शिक्षा मंत्रालय को कोई जोर नहीं आता है, चूंकि पिछले कई दशकों की तरह इन नारों को हर वर्ष दिया जा सकता है। इनको लागू करने के लिए कुछ नहीं करना है। केवल नारे देने से पब्लिसिटी मिल जाती है। 10 में से 2 बिंदु हैं जिनके अंतर्गत वर्तमान अकुशल शिक्षा तंत्र को ही और अधिक धन उपलब्ध कराया जाना है। सातवां बिंदु शिक्षा की पहुंच बढ़ाना और आठवां बिंदु उच्च शिक्षा में सरकारी खर्च बढ़ाना। ये दोनों बिंदु वर्तमान अकुशल शिक्षा तंत्र को ही और धन उपलब्ध कराते हैं, इसलिए शिक्षा मंत्रालय को पसंद हैं। नवां बिंदु है कि शिक्षा के प्रसार के लिए तकनीक का उपयोग करना। यह उत्कृष्ट बिंदु है, लेकिन पुनः तकनीक का उपयोग उसी प्रकार है जैसे घोड़े को पानी तक ले जाना। आज तमाम बच्चों को स्मार्ट फोन दिए गए हैं, लेकिन उनकी शिक्षा में सुधार होता नहीं दिख रहा है। दसवां और आखिरी बिंदु है कि शिक्षा प्रशासन में सुधार करना। लेकिन इसमें बुनियादी शिक्षा की कोई बात नहीं कही गई है। केवल कहा गया है कि उच्च शिक्षा संस्थानों को स्वायत्तता दी जाएगी जो कि सही कदम है। लेकिन इस कदम से भूमिगत शिक्षा प्रणाली की अकुशलता दूर नहीं होती है। इस प्रकार वर्तमान शिक्षा मंत्रालय कौशल विकास की बुनियाद रखने में पूर्णतया असफल है। प्रधानमंत्री ने इस समस्या से निजात पाने के लिए संभवतः अलग से कौशल विकास मंत्रालय स्थापित किया है। लेकिन इस मंत्रालय का भी ध्यान उच्च वर्ग के कुशल व्यक्तियों तक सीमित हो गया प्रतीत होता है। कौशल विकास मंत्रालय ने अमाजोन, गूगल, अडानी, उबर, मारुति और माइक्रोसॉफ्ट जैसी विशाल कम्पनियों से अनुबंध किए हैं जो एक अच्छी बात है। लेकिन इससे केवल उच्च शिक्षा के लोगों को ही लाभ होगा।

इससे वेल्डर आदि कर्मियों को कुछ भी लेना-देना नहीं है। कैबिनेट के मंतव्य के अनुसार जापान को कुशल कर्मियों को उपलब्ध करने के लिए हमें वर्तमान शिक्षा तंत्र के बाहर सोचना होगा। वर्तमान शिक्षा तंत्र का आमूलचूल सुधार करना होगा। सेंटर फार सिविल सोसायटी के एक अध्ययन के अनुसार हांगकांग, फिलिपीन्स, पाकिस्तान, आंध्र प्रदेश, दिल्ली-शहादरा, उड़ीसा आदि स्थानों पर प्रयोग किए गए हैं जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा छात्रों को वाउचर दिए जाते हैं जिसे वे अपने मनपसंद विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। इन वाउचरों का सभी स्थानों पर अच्छा प्रभाव देखा गया है। इसलिए केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों को चाहिए कि वर्तमान शिक्षा तंत्र को निरस्त करके वाउचर पद्धति लागू करे। सभी छात्रों को वाउचर दिए जाएं जिससे वे अपनी मर्जी के सरकारी अथवा प्राइवेट स्कूल में अपनी फीस अदा कर सकें। तब सरकारी टीचरों की भी वास्तव में पढ़ाने में रुचि उत्पन्न होगी और वाउचर मिलने से निर्धन छात्र के लिए अच्छे प्राइवेट स्कूल में दाखिला लेना संभव हो जाएगा। हमारे युवकों का कौशल विकास संभव हो पाएगा। हम जापान समेत संपूर्ण विश्व को कुशल कर्मी उपलब्ध करा सकेंगे और कैबिनेट की सोच साकार हो जाएगी।

ई-मेलः bharatjj@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App