लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर
पौराणिक काल से बजरंगबली का नाम चमत्कारों से जुड़ा हुआ है। देश में विभिन्न स्थानों पर हनुमानजी के कई मंदिर हैं। इन्हीं में से एक है उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हनुमान जी का प्राचीन मंदिर। यह एकमात्र मंदिर है, जिसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। यहां पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 20 फुट लंबी है। संगम किनारे बना ये एक अनूठा मंदिर है, जहां हनुमानजी की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही पूरा होता है। इस लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर के विषय में कई प्रचलित कथाएं प्राप्त होती हैं। कहा जाता है कि लंका पर जीत हासिल करने के बाद हनुमान जी लौट रहे थे, तो रास्ते में उन्हें थकान महसूस होने लगी।
सीता माता के कहने पर वे यहां संगम के तट पर लेट गए। इसी को ध्यान में रखते हुए यहां लेटे हुए हनुमानजी का मंदिर बन गया। यह मंदिर 600-700 वर्ष पुराना माना जाता है। बताते हैं कि कनौज के राजा की कोई संतान नहीं थी। उनके गुरु ने उपाय बताया कि हनुमानजी की ऐसी प्रतिका निर्माण करवाइए जो राम, लक्ष्मण को नाग पाश से छुड़ाने के लिए पाताल में गए हों।
हनुमानजी का यह विग्रह विंध्याचल पर्वत से बनवाकर लाया जाना चाहिए। कन्नौज के राजा ने ऐसा ही किया और वे हनुमानजी की प्रतिमा नाव से लेकर आए। तभी अचानक से नाव टूट गई और प्रतिमा जलमग्न हो गई। राजा को यह देखकर बहुत दुःख हुआ और वह अपने राज्य वापस लौट आया। इस घटना के कई वर्षों बाद जब गंगा का जलस्तर घटा, तो वहां धूनी जमाने का प्रयास कर रहे राम भक्त बाबा बालगिरी महाराज को यह प्रतिमा मिली। फिर उसके बाद वहां के राजा द्वारा मंदिर का निर्माण करवाया गया। प्राचीन काल में मुगल शासकों के आदेश पर हिंदू मंदिरों को तोड़ने का क्रम जारी था, लेकिन यहां पर मुगल सैनिक हनुमानजी की प्रतिमा को हिला भी न सके।
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