साहित्य से साक्षात्कार करवाती पत्रिका

By: Jan 3rd, 2021 12:05 am

पुस्तक समीक्षा

साहित्य, कला एवं संस्कृति की त्रैमासिक पत्रिका ‘पुष्पगंधा’, जिसका प्रकाशन अंबाला से हो रहा है, का अगस्त-अक्तबूर 2020 का अंक साहित्यकार माला वर्मा (बिहार) के कृतित्व को समर्पित है। आत्मकथ्य में माला वर्मा ने साहित्यकार बनने तक के सफर में आई बाधाओं को उभारा है। प्रख्यात कथाकार मिथिलेश्वर जी को वह अपना गुरु मानती हैं जिनकी प्रेरणा से वह लेखन की ओर प्रवृत्त हुईं। पत्रिका के संपादक विकेश निझावन इस विशेषांक के बारे में कहते हैं ः ‘पुष्पगंधा के प्रवासी अंक के बाद एक और विशेषांक। यह कोई पूर्व नियोजित नहीं था। अनायास माला वर्मा की ढेर सारी पुस्तकों का बंडल हमारे सामने आया तो हम चौंके।

खाली समय में, बंद कमरे के भीतर हमने जब इन्हें पढ़ा, तो बंद कमरे का एहसास कहीं दूर जा छिटका, और हम तो माला जी के यात्रा-संस्मरणों के साथ-साथ विचरने लगे। ऐसे में पाठकों के लिए भी यह बहुत उपयुक्त रहेगा, और हमने यह निर्णय लिया। माला वर्मा पर विशेषांक निकालने की भनक चंद लेखकों और पाठकों की पड़ी, जिन्होंने उनके प्रति उद्गार व्यक्त करने को कहा।’ इस तरह इस विषय पर विशेषांक निकालने का फैसला हुआ। इस विशेषांक में माला वर्मा की कहानी ‘डाक्टर की फीस’ पाठकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है।

माला वर्मा के यात्रा वृत्तांत में संसार के प्राचीन सात आश्चर्यों से पाठकों को रूबरू कराया गया है। माला वर्मा की कहानी, यात्रा वृत्तांत, लघुकथा, कविता, हाइकू आदि पर भी विचार-विनिमय हुआ है, जो पाठकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कहानी बेचारा लौटा, सॉरी बेटे, यात्रा वृत्तांत नील नदी और बुर्ज खलीफा को पढ़कर आनंद लिया जा सकता है। पुस्तक समीक्षा के अंतर्गत कई विषयों को खंगाला गया है। जन्मशती वर्ष के उपलक्ष्य में फणीश्वरनाथ रेणु की जीवनी और साहित्यिक योगदान को गिनाया गया है। डा. लालचंद गुप्त का इस विषय में आलेख पाठकों का ध्यान आकर्षित करता है। माला वर्मा को विभिन्न लेखक किस नजरिए से देखते हैं, इस विषय पर डा. छोटू राम मीणा का आलेख भी पढ़ने योग्य है। माला वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को लेकर कई अन्य लेखकों ने भी कलम चलाई है। माला वर्मा की कविताएं और हाइकू पढ़ने योग्य हैं। 108 पेज के इस अंक में साहित्यिक दृष्टि से और भी बहुत कुछ है, जो पाठकों को जरूर पसंद आएगा। विस्तृत सामग्री को देखते हुए पत्रिका की कीमत 30 रुपए ज्यादा नहीं है। भाषा की दृष्टि से कहें तो विविध आलेख सरल भाषा में लिखे गए हैं। आशा है पाठकों को यह अंक अवश्य पसंद आएगा।

-राजेंद्र ठाकुर


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