मलेश्वर महादेव

By: Jan 30th, 2021 12:21 am

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि भी कहा जाता है। यहां पर देवी-देवताओं के कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो हिमाचल के करसोग घाटी में स्थित है। हिमाचल प्रदेश की करसोग घाटी के ममेल गांव में स्थित ममलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह महाभारत कालीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय इसी गांव में बिताया था। इस मंदिर का निर्माण उन्हीं के द्वारा कराया गया था। यह मंदिर पैगोड़ा मिश्रित शैली में बना हुआ है। भीम ने यहां मारा था एक राक्षस को-इस मंदिर में एक धूणा है जिसके बारे में मान्यता है कि ये महाभारत काल से निरंतर जल रहा है। इस अखंड धूणें के पीछे एक कहानी है कि जब पांडव अज्ञातवास में घूम रहे थे, तो वे कुछ समय के लिए इस गांव में रुके।

तब इस गांव में एक राक्षस ने एक गुफा में डेरा जमाया हुआ था। उस राक्षस के प्रकोप से बचने के लिए लोगों ने उस राक्षस के साथ एक समझौता किया हुआ था कि वो रोज एक आदमी को खुद उसके पास भेजेंगे उसके भोजन के लिए, जिससे कि वो सारे गांव को एक साथ ना मारे। एक दिन उस घर के लडके का नंबर आया, जिसमें पांडव रुके हुए थे। उस लडके की मां को रोता देख पांडवों ने कारण पूछा, तो उसने बताया कि आज मुझे अपने बेटे को राक्षस के पास भेजना है। अतिथि के तौर पर अपना धर्म निभाने के लिए पांडवों में से भीम उस लडके की बजाय खुद उस राक्षस के पास गया। भीम जब उस राक्षस के पास गया, तो उन दोनो में भयंकर युद्ध हुआ और भीम ने उस राक्षस को मारकर गांव को उससे मुक्ति दिलाई। कहते हैं कि भीम की इस विजय की याद में ही यह अखंड धूणा जल रहा है।

पांडवों से गहरा नाता -इस मंदिर का पांडवों से गहरा नाता है।  इस मंदिर में एक प्राचीन ढोल है, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये भीम का ढोल है।  इसके अलावा मंदिर में स्थापित पांच शिवलिंगों के बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना स्वयं पांडवों ने की थी और सबसे प्रमुख गेहूं का दाना है, जिसे पांडवों का बताया जाता है। उस काल का एक गेहूं का दाना आज भी यहां रखा हुआ है। इस गेहूं के दाने का वजन करीब 200 ग्राम है। आकार में यह एक बड़े आम के बराबर है। गंदा न हो जाए, इसलिए इसे एक लकड़ी के बॉक्स में बंद कर दिया गया है, जिसके ऊपर पारदर्शी कांच लगा है।

कैसे पहुंचें- शिमला से करसोग की दूरी करीब 115 किलोमीटर है। शिमला से करसोग को बसें जाती हैं। आप निजी वाहन से भी जा सकते हैं। अगर शिमला से सुबह निकलें, तो मंदिर के दर्शन कर उसी दिन शिमला वापस आ सकते हैं। मंदिर परिसर में ठहरने की व्यवस्था मुफ्त उपलब्ध है।


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