हेलीकाप्टर मनी की जरूरत

इसमें परिवर्तन यह करना चाहिए कि व्यक्तिगत लोगों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाएं जैसे सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम और इम्प्लोयी इंश्योरैंस कारपोरेशन आदि पर खर्च घटाकर कोविड जैसे संक्रामक रोगों की रिसर्च पर खर्च बढ़ा देना चाहिए। पांचवां, अन्य तमाम मंत्रालयों पर 2019-20 में 20.0 लाख करोड़ रुपए का खर्च हुआ था। इन सभी के आवंटन में 50 प्रतिशत कटौती करके इसे 10.0 लाख करोड़ रुपए कर देना चाहिए। हाइवे इत्यादि बनाने के कार्यों को एक वर्ष के लिए विराम दे देना चाहिए। जब अर्थव्यवस्था पुनः गति पकड़ ले, तब इन्हें बहाल कर देना चाहिए। इस प्रकार 2019-20 के 27.0 लाख करोड़ रुपए के खर्च के सामने ऊपर बताए गए खर्च 22.0 लाख करोड़ रुपए बैठता है…

आगामी बजट की मुख्य चुनौती रोजगार बनाने एवं जमीनी स्तर पर बाजार में मांग बनाने की है जो एक दुष्कर कार्य है। फिर भी इस कार्य को किया जा सकता है यदि सरकार अपनी आय और खर्च दिशा में बदलाव करे। मेरे सुझाव इस प्रकार हैं ः वर्तमान वर्ष अप्रैल 2020 से मार्च 2021 कोविड के कारण असामान्य रहा है। इसलिए मैं अपने सुझाव वर्ष 2019-20 के आधार पर दे रहा हूं। राजस्व के क्षेत्र में पहला सुझाव है कि बड़ी कंपनियों के द्वारा अदा किए जाने वाले कारपोरेट टैक्स में वृद्धि की जाए। इस मद से 2019-20 में 3.2 लाख करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। इसे बढ़ाकर आगामी वर्ष 2021-22 में 4.0 लाख करोड़ रुपए वसूल किया जाए।

कारपोरेट टैक्स की वृद्धि से बड़ी कंपनियों की प्रवृत्ति बनेगी कि वे अपने मुख्यालयों को भारत से हटा कर उन देशों में ले जाएं जहां कारपोरेट टैक्स की दर कम है। इससे निजात पाने का उपाय यह है कि दूसरे देशों के साथ किए गए डबल टैक्स अग्रीमेंट में संशोधन किया जाए। ऐसे में जो बड़ी कंपनियां भारत से अपने मुख्यालयों को स्थानांतरित करेंगी, उन्हें भारत में आयकर देते रहना पड़ेगा। दूसरा सुझाव है कि व्यक्तिगत आयकर की दर में वृद्धि की जाए। 2019-20 में आयकर से केंद्र सरकार को 2.8 लाख करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। इसे 2021-22 में बढ़ा कर 4.0 लाख करोड़ रुपए कर दिया जाए। निश्चित रूप से इससे समृद्ध वर्ग द्वारा बाजार में उत्पन्न की जाने वाली मांग में कुछ गिरावट आएगी, परंतु इससे कई गुना ज्यादा भरपाई हेलीकाप्टर मनी से हो जाएगी, जिसका विवरण मैं नीचे दे रहा हूं। तीसरा सुझाव है कि जीएसटी की दर में कटौती की जाए। वर्ष 2019-20 में जीएसटी से केंद्र सरकार को 6.1 लाख करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। इसमें कटौती करके इससे भी केवल 4.0 लाख करोड़ रुपए की वसूली की जाए। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी क्योंकि माल सस्ता हो जाएगा। भ्रष्टाचार भी कम होगा। चौथा सुझाव है कि आयात कर से वर्ष 2019-20 में केंद्र सरकार को 0.6 करोड़ का राजस्व मिला था। इसे तीन गुना बढ़ाकर इससे 2.0 लाख करोड़ रुपए की वसूली की जाए। इस कदम में डब्ल्यूटीओ आड़े नहीं आता है चूंकि वर्तमान में हम डब्ल्यूटीओ में स्वीकृत दरों से तिहाई से कम आयात कर वसूल कर रहे हैं।

ऐसा करने से आयातित माल महंगा हो जाएग। घरेलू उत्पादन को संरक्षण मिलेगा, घरेलू उत्पादन बढे़गा, रोजगार बनेगा और अर्थव्यवस्था का चक्का चल निकलेगा। पांचवां सुझाव है कि केंद्र सरकार द्वारा वसूल किए गए सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, जो कि मुख्यतः पेट्रोलियम पदार्थों पर वसूल की जाती है, को बढ़ाया जाए। इस मद से 2019-20 में 2.5 लाख करोड़ रुपए का राजस्व केंद्र सरकार को मिला था। इसे बढ़ाकर आगामी वर्ष में 4.0 लाख करोड़ रुपए की वसूली की जाए। ऐसा करने से पेट्रोल-डीजल के दाम जो वर्तमान में लगभग 90 रुपए प्रति लीटर हैं, बढ़कर 120 रुपए प्रति लीटर हो जाएंगे। इससे पेट्रोल और डीजल की खपत में कमी आएगी। इन पदार्थों का आयात कम होगा और निर्यातों पर भी दबाव कम होगा।

ऐसे में जो महंगाई बढ़ेगी, उसकी भरपाई पुनः हेलीकाप्टर मनी से हो जाएगी जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है। अन्य मदों से केंद्र सरकार को 2019-20 में 4.3 लाख करोड़ रुपए का राजस्व मिला था, जिसे आगामी वर्ष में उसी स्तर पर बरकरार माना जाए। वित्तीय घाटा 2019-20 में 7.7 लाख करोड़ रुपए रहा था, जिसे भी पूर्ववत रखा जाए। इस प्रकार 2019-20 में सरकार का कुल राजस्व 27 लाख करोड़ रुपए था जो ऊपर दिए गए सुझावों को लागू करने के बाद 30 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। अब खर्च पर विचार करते हैं। रक्षा पर 2019-20 में 4.4 लाख करोड़ रुपए खर्च हुआ था। इसे बढ़ाकर 7.0 लाख करोड़ रुपए कर देना चाहिए क्योंकि देश पर सामरिक संकट छाया हुआ है। दूसरे, रिसर्च और संचार के क्षेत्र में 2019-20 में 0.6 लाख करोड़ रुपए का खर्च हुआ था। इसमें 5 गुना वृद्धि करके 3.0 लाख करोड़ रुपए कर देना चाहिए क्योंकि ये खर्च आने वाले समय में हमारी आर्थिक समृद्धि की आधारशिला होंगे। तीसरे, गृह मंत्रालय को 2019-20 में 1.4 लाख करोड़ रुपए का खर्च दिया गया था जिसे पूर्ववत बनाए रखा जाए। चौथे, स्वास्थ्य मंत्रालय को 2019-20 में 0.6 लाख करोड़ रुपए आवंटित किया गया था, उसे पूर्ववत रखा जाए।

इसमें परिवर्तन यह करना चाहिए कि व्यक्तिगत लोगों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाएं जैसे सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम और इम्प्लोयी इंश्योरैंस कारपोरेशन आदि पर खर्च घटाकर कोविड जैसे संक्रामक रोगों की रिसर्च पर खर्च बढ़ा देना चाहिए। पांचवां, अन्य तमाम मंत्रालयों पर 2019-20 में 20.0 लाख करोड़ रुपए का खर्च हुआ था। इन सभी के आवंटन में 50 प्रतिशत कटौती करके इसे 10.0 लाख करोड़ रुपए कर देना चाहिए। हाइवे इत्यादि बनाने के कार्यों को एक वर्ष के लिए विराम दे देना चाहिए। जब अर्थव्यवस्था पुनः गति पकड़ ले, तब इन्हें बहाल कर देना चाहिए। इस प्रकार 2019-20 के 27.0 लाख करोड़ रुपए के खर्च के सामने ऊपर बताए गए खर्च 22.0 लाख करोड़ रुपए बैठता है। शेष 8.0 लाख करोड़ रुपए की रकम को देश के 140 करोड़ नागरिकों में प्रत्येक व्यक्ति को 500 रुपए प्रति माह की दर से सीधे उनके खातों में डाल देना चाहिए। ऐसा करने से 5 सदस्यों के प्रत्येक परिवार को 2500 रुपए प्रति माह मिल जाएंगे जिससे उन्हें वर्तमान में राहत भी मिलेगी और यह रकम देश की अर्थव्यवस्था में भारी मांग भी उत्पन्न करेगी। सत्तारूढ़ पार्टी को राजनीतिक लाभ भी मिलेगा।

इस मांग के उत्पन्न होने के साथ-साथ यदि आयात कर में वृद्धि की गई तो घरेलू उत्पादन तत्काल गतिशील हो जाएगा और रोजगार बनेंगे। अर्थव्यवस्था में मांग और रोजगार का सुचक्र पुनः स्थापित हो जाएगा। 500 रुपए प्रति व्यक्ति को बैंक के खाते में सीधे डाले जाने को हेलीकाप्टर मनी कहा जाता है, जैसे कि हेलीकाप्टर से आपके घर में यह रकम डाल दी जाए। इस प्रकार का कार्य अमरीका आदि देशों में किया गया है और इसके सुपरिणाम भी हुए हैं। वित्त मंत्री को इसे अपनाना चाहिए। ऐसा करने से देश के नागरिकों के हाथ में तरलता आ जाएगी, अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से चल निकलेगी और हम 10 से 15 प्रतिशत की जीडीपी में वृद्धि दर हासिल करने में कामयाब हो सकेंगे।

ई-मेलः bharatjj@gmail.com


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