सिंधु बॉर्डर पर पकड़ा गया संदिग्ध पलटा, बोला मारपीट के बाद सुनाई झूठी कहानी

By: Jan 23rd, 2021 2:26 pm

नई दिल्ली — किसान संगठन या फिर वो कथित शूटर, दोनों में से कोई तो झूठ बोल रहा है। महज 12 घंटे में ही किसान आंदोलन से जुड़ी यह अहम कहानी पलट गई है। शुक्रवार रात को किसान संगठनों ने एक नकाबपोश युवक को मीडिया के सामने पेश किया। उसने कहा कि वह एक शूटर है। वह कह रहा था कि उसे चार लोगों की फोटो दी गई थी जो स्टेज पर होंगे, उन्हें गोली मारने का फरमान है।

आरोप पुलिस पर लगाए गए। बाद में युवक को हरियाणा पुलिस अपने साथ ले गई। वहां पूछताछ हुई तो उसने पूरी बात ही पलट दी। अब वो कह रहा है कि जब वो दिल्ली में घुस रहा था तो कुछ लोगों ने अगवा कर लिया। मारा-पीटा और कहा कि जो वो कह रहे हैं, वैसा ही मीडिया के सामने कहना पड़ेगा। अब दोनों बातें तो सच हो नहीं सकती। यह युवक या फिर किसान संगठन, दोनों में से कोई एक तो झूठ बोल रहा है।

कौन? इसका पता तो जांच पूरी होने के बाद ही चल सकेगा। किसान नेताओं ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि उनमें से चार की हत्या करने की साजिश रची गई है। उनका कहना था कि 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड के दौरान अशांति पैदा करने का प्लान था। सिंधु बॉर्डर पर देर रात उन्होंने एक नकाबपोश शख्स को पेश किया। उसने दावा किया कि उसके साथियों को ट्रैक्टर परेड के दौरान कथित तौर पर पुलिसकर्मी बनकर भीड़ पर लाठीचार्ज करने को कहा गया था।

किसान नेताओं ने दावा किया कि उन्होंने सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल से इस व्यक्ति को पकड़ा है। पकड़े गए शख्स ने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली पुलिस के कर्मियों पर गोली चलाकर अशांति पैदा करने की साजिश रची गई ताकि इसकी वजह से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस सख्त कार्रवाई करती। इसके बाद उसे हरियाणा पुलिस के हवाले कर दिया गया था। सिंघु बॉर्डर पर जिसे शूटर बताकर पेश किया गया, उस शख्स ने पूछताछ में अलग ही दावे किए।

बेहद सनसनीखेज आरोप लगाते हुए उसने कहा कि वह तो दिल्ली में अपने एक रिश्तेदार के यहां आया था। पैदल बॉर्डर पार कर रहा था कि कुछ लोगों ने अगवा कर लिया और पीटना शुरू कर दिया। इस शख्स ने अपना नाम योगेश बताया। उसने दावा किया कि पीटने वालों ने उससे कहा कि वे जो कह रहे हैं, वैसा ही मीडिया के सामने कहना होगा।

योगेश का दावा है कि उसके साथ कुछ और युवक भी पकड़े गए थे। दावा किया कि उसे एक कैंप में ले जाकर पीटा गया और फिर शराब भी पिलाई गई। इस शख्स ने शुक्रवार शाम मीडिया के सामने कहा था कि राई थाने के एसएचओ प्रदीप ने उसे किसान नेताओं पर हमला करने को कहा था। मगर शनिवार को राई थाने के पुलिस अधिकारियों ने कहा कि जिस प्रदीप का जिक्र किया गया, उस नाम से कोई व्यक्ति पूरे थाने में तैनात नहीं है।

पंजाब के किसान नेता रूलदु सिंह मानसा ने शुक्रवार को केंद्र सरकार संग बातचीत में आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने उनकी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया। हालांकि सोशल मीडिया पर किसान नेताओं का एक अलग ही वीडियो वायरल है। उसमें राकेश टिकैत, मानसा जैसे लोग नजर आ रहे हैं।

इसमें दिख रहा है कि जब पुलिस ने सिक्योरिटी जांच के लिए गाड़ी रोकी तो एक किसान भड़क गया। उसने हाथ में पकड़े डंडे को कार के शीशे पर दे मारा। कांच टूट गया। अब सोशल मीडिया पर इस वीडियो को शेयर कर लोग कह रहे हैं कि धरना-प्रदर्शन के नाम पर किसान संगठनों का कोई छिपा हुआ एजेंडा है।

कौन सच्चा, कौन है झूठा
शुक्रवार और शनिवार के बीच घटनाक्रम इतनी तेजी से बदला है कि कुछ साफ कह पाना मुश्किल है कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। किसान संगठनों ने जो आरोप लगाए और फिर शूटर बताए गए उस युवक ने पुलिस से जो कुछ कहा, वो दोनों बातें बिल्कुल जुदा हैं।

राकेश टिकैत ने न्यूज एजेंसी से कहा कि प्रशासन और सरकार ही इस तरह की हरकत करवाते हैं। सोशल मीडिया पर चर्चा यह भी है कि कहीं यह सबकुछ किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए भूमिका बनाने की खातिर तो नहीं किया गया। किसान आंदोलन में घुसपैठ के आरोप या उस युवक के ताजा बयान में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।


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