सेना की घर वापसी

By: Feb 20th, 2021 12:05 am

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

पेट्रोल का दाम 100 के आंकड़े को छू रहा है। किसान आंदोलन के भी 100 दिन होने जा रहे हैं। विपक्ष इसको सरकार की नाकामी बता रहा है, तो पक्ष इसके लिए भी विपक्ष की वर्षों से चली आ रही नीतियों को ही जिम्मेदार बता रहा है। इस सब वाद-विवाद में देश के लोगों को फंसा कर राजनीतिक पार्टियां जिन राज्यों में चुनाव आने वाले हैं, वहां पर चुनावी रैलियों में पूरी ताकत झोंकते दिख रही हैं। आम लोगों को वे फालतू के मुद्दों में बरगला कर मात्र चुनाव जीतना ही राजनीतिक पार्टियों का मुख्य लक्ष्य बनकर रह गया है, जिस पर बुद्धिजीवी वर्ग, मीडिया हाउसेस, न्यायपालिका हर वह संस्था जो देश की तरक्की, प्रगति और गणतंत्र मूल्यों को बचाने के लिए जिम्मेवार है, चुप्पी साधे हुए हैं, जो कि वास्तव में ही चिंताजनक है। इसके साथ ही लद्दाख में पिछले 10 महीनों से जो चीन और भारत के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ था, वहां एक समझौते के अनुसार दोनों सेनाओं ने विवादित स्थानों से पीछे हटने का फैसला कर लिया है।

 समझौते में कहा गया है कि चीनी सैनिक वापस फिंगर 8 में चले जाएंगे और भारतीय सेना पैंगोंग झील के उत्तरी तट के फिंगर 2 और 3 के बीच धन सिंह थापा चौकी पर वापस आ जाएगी। इसके अलावा पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त सहित सैन्य गतिविधियों पर एक अस्थायी रोक होगी। पैंगोंग झील के किनारे पहाड़ की आकृति कुछ इस तरह से है कि यह उंगलियों की तरह दिखती है। इसलिए इनको फिंगर कहा जाता है, जिनकी संख्या 8 है। भारत जहां फिंगर 8 तक अपना क्षेत्र होने का दावा करता है, वहीं चीन ने फिंगर 4 तक दावा करते हुए विवाद पैदा कर दिया है। पैंगोंग के उत्तरी तट पर फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच 8 किलोमीटर का फासला है।

 दोनों सेनाओं के बीच कई बार इस क्षेत्र में आमने-सामने भिड़ंत हो चुकी है। सैन्य गतिविधियों के जानकार लोगों का मानना है कि फिंगर 8 तक अपना दावा करने वाली भारतीय सेना का फिंगर 4 से भी पीछे लौटकर फिंगर 2 और 3 के बीच आने के समझौते पर जिस तरह से विपक्ष, सरकार पर चीन के आगे घुटने टेकने तथा भारतीय जमीन को चीन के हवाले कर देने वाली बात उठा रहा है, उस पर रक्षा मंत्री या सरकार को देश की संसद में आधिकारिक बयान देकर साफ  करना चाहिए। इसमें कोई संशय नहीं कि दो देशों के बीच किए जाने वाले सैन्य फैसले तथा समझौते सीक्रेट रखे जाते हैं जिनको आम जनता में जाहिर नहीं किया जाता, पर इसमें भी कोई दो राय नहीं कि सीमा विवाद पर किए जाने वाले समझौतों के बारे में देश के हर नागरिक को जानकारी होना जरूरी है। सेना की वापसी पर नॉर्दर्न कमांड के आर्मी कमांडर लैफ्टिनैंट जनरल वाईके जोशी ने मीडिया से बातचीत के दौरान किसी भी तरह की जमीन का चीन के हवाले कर देने की बात का खंडन किया तथा यह आश्वासन दिया है कि भारतीय सेना और चीनी पीएलए के बीच हुए समझौते में भारतीय सेना ने किसी भी तरह की अपनी आधिकारिक जमीन को नहीं छोड़ा है। मेरा मानना है कि इस अति महत्वपूर्ण मुद्दे पर संसद में आधिकारिक बयान देना सरकार की मौलिक जिम्मेदारी है।


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