31 मार्च तक बनेगा बांध का डिजाइन

By: Feb 17th, 2021 12:04 am

आदि बद्री डैम-बैराज को एक माह में हरियाणा-हिमाचल के बीच होगा एमओयू 

निजी संवाददाता — पिहोवा

हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच ने कहा कि देश की सबसे प्राचीन एवं पवित्र सरस्वती नदी की जल धारा को धरातल पर लाने के लिए सरकार के सामने बहुत बड़ी चुनौती रही है। अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से आदि बद्री में डैम और बेराज बनाने की तैयारियां पूरी होने जा रही है। इस स्थल पर डैम और बेराज का डिजाइन 31 माच,र् 2021 तक तैयार कर लिया जाएगा। इतना ही नहीं एक माह के अंदर हरियाणा और हिमाचल सरकार के बीच एमओयू पर भी हस्ताक्षर हो जाएंगे। इसके बाद यह परियोजना तेज गति के साथ आगे बढ़ेगी। उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमिच मंगलवार को पिहोवा सरस्वती तीर्थ स्थल पर आयोजित 5वें अंतराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव के समापन अवसर पर बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से पवित्र नदी सरस्वती को धरातल पर लाने के लिए एक बहुत बड़ी परियोजना तैयार की गई है। इस परियोजना के तहत आदि बद्री में सरस्वती उद्गम स्थल पर सबसे पहले बांध बनाया जाएगा और उसके नीचे सरस्वती बेराज का निर्माण किया जाएगा। इस बांध को सोमनदी के साथ जोड़ा जाएगा।

 इसके नीचे गांव रामपुर सहित तीन गांवों की बेकार पड़ी 400 एकड़ जमीन पर सरस्वती सरोवर का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बांध और बेराज का डिजाइन 31 मार्च तक तैयार कर लिया जाएगा और इसकी मिट्टी के नमूनों  को जांच के लिए ओएनजीसी की लैब में भेजा गया है। इसके साथ ही तीन गांवों की पंचायतों ने 400 एकड़ जमीन सरस्वती सरोवर के लिए प्रस्ताव सरकार के पक्ष में पारित कर दिया है और 17 फरवरी 2021 को काठगढ़ में बनने वाले बेराज का निरीक्षण करने के लिए जीओलोजी सर्वे आफ  इंडिया की टीम पहुंच रही है। उपाध्यक्ष ने कहा कि सर्वे के उपरांत अब यह तथ्य सामने आ चुके है कि सरस्वती नदी के बहाव के 200 किलोमीटर तक कोई भी बाधा नहीं रही है। जब भी कोई नदी बहती है तो वह सरकारी और निजी जमींन को नहीं देखतीए इसलिए इस 200 किलोमीटर के मार्ग में यमुनानगर कुछ निजी जमीन आती है जिसका समाधान कर लिया गया है। इसका बेकायदा नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है।  इसको घग्गर नदी के साथ जोड़ा जाएगा। बोर्ड की तरफ से पिछले तीन सालों में 25 पुलों का निर्माण किया जा चुका है और सरस्वती नदी के तट पर 20 से ज्यादा तीर्थो पर भी काम किया गया है।


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