हिमाचल में भी आ सकती है उत्तराखंड जैसी आपदा, यह खबर कर रही है आपको अलर्ट, ध्यान से पढ़ें

By: Feb 8th, 2021 6:01 pm

लाहुल स्पीति की शान चंद्रताल झील देश-विदेश में आकर्षण का केंद्र है

हिमाचल की चोटियों पर 1500 प्राकृतिक झीलें
5 से 10 हेक्टेयर से ज्यादा में फैली है ये भी झीलें
सेटेलाइट के जरीए ग्लेशियरों पर रखी जा रही नजर

खेमराज शर्मा-शिमला
उत्तराखंड के चमोली में जिस तरह आई आपदा ने तांडव मचाया है। उससे हिमाचल भी अछुता नहीं है। हिमाचल की चोटियों पर प्राकृतिक तौर पर ऐसी छोटी-बड़ी करीब 1500 झीले हैं जो अपने अंदर लाखों लीटर पानी स्टोर किए हुए हैं। अगर इन झीलों के ऊपर ग्लेशियर या एवलांच का साया पड़ता है तो हिमाचल में भी तबाही मच सकती है। कई हाड्रल प्रोजेक्ट इनकी चपेट में आकर तबाह हो सकते हैं, क्योंकि जिन नदियों पर बिजली प्रोजेक्ट बने हैं, उन नदियों को पानी इस झीलों से मिलता है। ऐसे में अब नदियों के जलस्तर को लेकर चौकसी रखी जा रही है।

हिमाचल का किन्नौर, लाहुल-स्पीति, कुल्लू व चंबा जिला के कई क्षेत्र हिमस्खलन प्रभावित हैं। विज्ञान तकनीकी एवं पर्यावरण परिषद लगातार प्राकृतिक रूप से बनी झीलों की मॉनिटरिंग कर रहा है। सेटेलाइट के जरीये चोटियों पर ग्लेशियरों के पिघलने से बनने वाली झीलों की मॉनिटरिंग को बढ़ाया गया है। गौरतलब है कि जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि होती जाती है, वैसे-वैसे हिमस्खलन आना और ग्लेशियरों का टूटना आम होता जाता है, जिससे बर्फ के गोले बन जाते है तो ये बाद में झीलों और नदियों में गिरकर त्रासदी का कारण बनते हैं।

साल भर कृत्रिम झीलों और ग्लेशियरों की निगरानी की जाती है। इसके बाद सालाना रिपोर्ट सभी संबंधित विभागों व एजेंसियों के साथ साझा की जाती है। झीलों में लगातार पानी की मात्रा बढ़ रही है, ऐसे में उन पर नजर रखना और भी जरूरी हो गया है। यही वजह है कि इन झीलों और उनके बनने व बढऩे में मददगार ग्लेशियरों पर निगरानी के लिए सेटेलाइट की मदद ली जाती है।

हिमाचल में 1500 से ज्यादा प्राकृतिक झीलें

राज्य विज्ञान तकनीकी एवं पर्यावरण परिषद के अनुसार हिमाचल में छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 1500 ऐसी प्राकृतिक झीले हैं, जोकि ग्लेशियरों के पिघलने पर बनी है। सतलुज, चिनाब, रावी, ब्यास बेसिन पर ऐसी सैंकड़ोंं झीले बनी है। सतलुज बैसिन पर सबसे ज्यादा झीले बनी हैं, क्योंकि ये नदी चाइना से होकर भारत पहुंचती है।

करीब 750 प्राकृतिक तौर पर झीले इसमें बनी है। अगर ग्लेशियर यहां टूटते हैं तो आपदा आ सकती है। चिनाब बैसिन पर 250 छोटी-बड़ी झीलें, ब्यास बेसिन पर 100, रावी बेसिन पर 10 झीले हैं। इनमें से कुछ झीले 5 हेक्टेयर, कुछ 5 से 10 हेक्टेयर के बीच तो कुछ 10 हेक्टेयर से ज्यादा की है।

चमोली ने याद दिलवाई किन्नौर आपदा

उत्तराखंड के चमोली में आई बाढ़ ने किन्नौर की आपदा को ताजा कर दिया है। 31 जुलाई 2000 को जब ग्लेशियरों के पिघलने से सतलुज नदी में अपना रौद्र रूप अपनाया था तो किन्नौर जिला में भारी तबाही हुई है। इस आपदा में 15 के करीब पुल, 13 झूला पुल नेशनल हाईवे-5 समेत पेयजल, बिजली की कई योजनाओं को तबाह कर दिया था। कई लोग इस आपदा की भेंट भी चढ़ गए थे। राहत व बचाव कार्य हेलीकॉप्टर से किया गया था।

प्राकृतिक झीलों की मॉनिटरिग को बढ़ा दिया है। भारी बर्फबारी के बाद तापमान के बढऩे से हिमस्खलन आना आम बात है। इस संबंध में लगातार चेतावनी जारी की जाती है। हिमाचल में भी उत्तराखंड जैसी आपदा आ सकती है। इसको लेकर अलर्ट रहना बेहद जरूरी है
एसएस रंधावा, वरिष्ठ विज्ञानी, राज्य विज्ञान तकनीकी एवं पर्यावरण परिषद


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