एजुकेशन हब सोलन कोचिंग में अभी पीछे

By: Feb 10th, 2021 12:06 am

हिमाचल प्रदेश में हर जगह कोचिंग सेंटर्स व अकादमियों की भरमार है। 90 के दशक से इक्का-दुक्का अकादमियों के साथ शुरू हुआ सिलसिला अब सैकड़ों का आंकड़ा पार कर गया है। बड़ी नौकरी की ख्वाहिश लिए बाहर जाने वाले छात्रों के लिए ये अकादमियां कहीं न कहीं उनके लिए घर में तैयारी कर एचएएस-आईएएस-डाक्टर-इंजीनियर बनने की उम्मीद दे रही हैं। हिमाचल के एजुकेशन हब जिला सोलन पर गौर करें, तो अभी कहीं न कहीं कोचिंग सेंटर्स के मामले में यह शहर पिछड़ा हुआ ही है। हालांकि जो संस्थान हैं, वे बेहतरीन काम कर रहे हैं, लेकिन अभिभावकों को अपने बच्चों को कोटा-दिल्ली ही भेजना पड़ रहा है। जिला सोलन में वर्तमान में क्या हैं कोचिंग सेंटर्स के हालात बता रहे हैं विपिन शर्मा और सौरभ शर्मा

हिमाचल का एजुकेशन हब कहे जाने वाले सोलन में कोचिंग इंस्टीच्यूट नाममात्र ही हैं। सोलन स्थित निजी विश्वविद्यालयों व कालेजों में प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश भर से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, लेकिन सोलन के स्थानीय विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक अदद कोचिंग इंस्टीच्यूट की काफी कमी खलती है। इसका मुख्य कारण यह है कि सोलन से मात्र डेढ़ घंटे की दूरी पर चंडीगढ़ है और वहां एक से बढ़कर एक कोचिंग इंस्टीच्यूट मौजूद हैं, जिसके चलते अभिभावक भी अपने बच्चों को कोचिंग के लिए चंडीगढ़ भेजना ही पसंद करते हैं।

 इक्का-दुक्का कोचिंग इंस्टीच्यूट जो सोलन में चल रहे हैं, उनमें भी विद्यार्थियों की संख्या काफी कम है। पिछले पांच वर्षों की बात करें, तो जिला सोलन में नए कोचिंग इंस्टीच्यूट खुलने की बजाय पहले से चल रहे इंस्टीच्यूट भी बंद हो गए हैं। इसके अलावा कोरोना काल के चलते भी कोचिंग इंस्टीच्यूट प्रबंधकों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। एजुकेशन हब सोलन अभी कोचिंग के मामले में उस स्थान पर नहीं पहुंच पाया, जितना यह जिला पढ़ाई के मामले में आगे है। अभी देखा जाए, तो सोलन में कोचिंग सेंटर की मानो शुरुआत ही हुई है। वैसे तो ट्यूशन सेंटर्स की भरमार है।

हर कोर्स का फीस पैकेज अलग-अलग

जहां तक नियमों व फीस पैकेज की बात है, तो सोलन में इसे लेकर कोई निर्धारित नियम नहीं हैं। कोचिंग इंस्टीच्यूट अपने संसाधनों के हिसाब से ही फीस स्ट्रक्चर तय करते हैं। फीस सालाना पैकेज में भी होता है या समय सीमा के हिसाब से भी पैकेज तय किए जाते हैं। हालांकि संस्थानों में रखे जानी वाली फैकल्टी पर प्रबंधकों की खास नजर होती है और वे बढि़या से बढि़या फैकल्टी रखने पर जोर देते हैं, ताकि कोचिंग लेने वाले विद्यार्थी एग्जाम बढि़या अंकों से पास कर सकें।

दसवीं-जमा दो के बाद कोचिंग को दौड़

सोलन में दसवीं व जमा दो की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही अधिकांश बच्चे कोचिंग लेने का मन बना लेते हैं। ज्यादातर बच्चे जमा दो तक ट्यूशन के माध्यम से ही अपनी परीक्षाएं देते हैं। हालांकि कुछ प्रतिशत बच्चे दसवीं के बाद से ही कोचिंग लेने के लिए चले जाते हैं। ये बच्चे अवकाश के दिनों में क्रैश कोर्स कर पढ़ाई के साथ-साथ अपनी कोचिंग क्लासेज को आगे बढ़ाते हैं। वहीं, जमा दो की परीक्षा देने के बाद वे फुल टाइम कोचिंग के लिए देते हैं। विषयों की बात करें, तो सोलन में जेईई, नीट आदि विषय ज्यादा डिमांड में हैं। इसके अलावा विदेश जाने के इच्छुक बच्चे आईईएलटीएस व अन्य कोचिंग लेना भी पसंद करते हैं।

बैंकिंग के लिए दिनेश इंस्टीच्यूट

सोलन में फिलहाल दिनेश बैंकिंग इंस्टीच्यूट चल रहा है, जहां मुख्यतः बैंकिंग सेक्टर से संबंधित कोचिंग बच्चों को दी जा रही है। सोलन के साथ लगते कोटलानाला में स्थित इस सेंटर में अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग भी दी जाती है, लेकिन ज्यादातर बच्चे इस इंस्टीच्यूट में बैंकिंग एग्जाम से संबंधित कोचिंग के लिए ही आते हैं। बैंकिंग सेक्टर की बात करें, तो दिनेश बैंकिंग इंस्टीच्यूट का नाम काफी बड़ा है। यहां से कोचिंग लेने वाले स्टूडेंट्स बैंकिंग सेक्टर में विभिन्न ओहदों पर तैनात हैं और क्लर्क ही नहीं, बल्कि पीओ एग्जाम भी बच्चों ने क्लीयर किए हैं।

एके विद्यामंदिर संस्थान भी मशहूर

दूसरा कोचिंग इंस्टीच्यूट एके विद्यामंदिर सोलन-कथेड़ बाइपास पर स्थित है। शिमला के प्रसिद्ध कोचिंग इंस्टीच्यूट की सोलन ब्रांच करीब दो वर्ष पूर्व खोली गई थी। कोरोना के चलते फिलहाल इंस्टीच्यूट बंद है। इस इंस्टीच्यूट में जेईई सहित एमबीबीएस, नीट आदि की कोचिंग बच्चों को दी जा रही है। इसके अलावा सोलन में कोई भी नामी कोचिंग सेंटर मौजूद नहीं हैं, हालांकि सोलन शहर की गली-गली में ट्यूशन सेंटर्स की भरमार है।

दिल्ली-कोटा भेजने में ही भलाई

एजुकेशन हब सोलन में क्वालिटी कोचिंग की कमी को देखते हुए अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए उन्हें चंडीगढ़ या कोटा भेजना ही पसंद करते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि सोलन में ऐसे कोचिंग सेंटर न के बराबर हैं, जो कि बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार कर सकें। इसके अलावा चंडीगढ़ हो या फिर कोटा, वहां कई नामी-गिरामी कोचिंग सेंटर मौजूद हैं, जहां से कोचिंग प्राप्त करने वाले बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम कमा चुके हैं।

हालांकि इसमें विडंबना यह है कि अभिभावक अपनी आर्थिक स्थिति के मुताबिक ही बच्चों को चंडीगढ़ या कोटा भेजते हैं, क्योंकि दोनों शहरों की कोचिंग फीस व स्टैंडर्ड में काफी अंतर है। उच्च वर्गीय परिवार के बच्चे कोटा जाना पसंद करते हैं और उनके अभिभावक भी वहां की फीस को वहन करने में सक्षम होते हैं, जबकि मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चे चंडीगढ़ में कोचिंग लेना पसंद करते हैं। कोटा के मुकाबले यहां की फीस अपेक्षाकृत कम है, जिसे अभिभावक वहन कर लेते हैं और बच्चे भी सोलन से नजदीक होने के चलते अपने परिवार से भी टच में रहते हैं। वहीं, बात की जाए निम्न मध्य वर्गीय परिवारों की, तो इन परिवारों के बच्चे या तो प्रतियोगी परीक्षाओं से मुंह मोड़ लेते हैं या फिर उन्हें सोलन स्थित कोचिंग इंस्टीच्यूट से ही संतोष करना पड़ता है।

शिक्षाविदों की राय

हद से ज्यादा संवदेनशीलता ने दिया कोचिंग को बढ़ावा

अशोक गौतम

शिक्षाविद, सोलन

आज हर तरह की परीक्षाओं में प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है। ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाएं प्रतिस्पर्धा से अछूती कैसे रहें? इसकी वजह है बच्चों के अभिभावक, जो पहले से कुछ अधिक ही बच्चों के भविष्य को लेकर जागरूक और संवेदनशील हो गए हैं। बच्चों के भविष्य के प्रति हद से अधिक संवदेनशीलता ने ही कोचिंग को बढ़ावा दिया है। इसका एक बुरा असर समाज पर यह भी पड़ा है कि बच्चे बेहतर करने के बाद भी कोचिंग को आवश्यक मान रहे हैं। अभिभावकों को भी कहीं न कहीं लगता है कि उनका बेहतर प्रदर्शन करने वाला बच्चा कोचिंग के बाद शायद और शानदार परिणाम दे पाए। इसी वजह ने कोचिंग के बाजार को फलने-फूलने में मदद की है। जहां तक सोलन में परीक्षार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले कोचिंग केंद्रों का सवाल है, तो वे अपनी ओर से बेहतर ही देने की कोशिश करते होंगे। रही बात दिल्ली, चंडीगढ़, कोटा में बेहतर कोचिंग की, तो जहां कोचिंग केंद्रों में जितनी अधिक प्रतिस्पर्धा, सुविधाएं होंगी, वहां प्रतिभागियों को बेहतर तो निश्चित तौर पर मिलेगा ही।

सफलता की गारंटी के लिए अभी मेहनत की जरूरत

खेमराज शर्मा

शिक्षाविद, सोलन

कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन से पढ़ाई का लगभग एक वर्ष ही खराब हो गया है। पढ़ाई में हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए कोचिंग एक सशक्त माध्यम हो सकता है और इसकी आवश्यकता हर कोई अभिभावक महसूस भी कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में सोलन में कोचिंग के माध्यम से पढा़ई का रूझान काफी ज्यादा बढ़ा है। लिहाजा कोचिंग सेंटर भी सोलन में उसी हिसाब से हैं। बेशक सोलन के कोचिंग सेंटर्स में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान की जा रही है, लेकिन कोटा व चंडीगढ़ स्थित संस्थानों के स्तर की बराबरी कहना अभी जल्दबाजी होगी। कोटा जैसे संस्थान दशकों से लगातार सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं। सफलता की गारंटी के लिए सोलन के कोचिंग सेंटर्स में अभी धैर्यपूर्वक मेहनत करने की नितांत आवश्यकता है।

करियर अकादमी अब सोलन में भी

जिला सिरमौर के नाहन में एमबीबीएस, इंजीनियरिंग व एनडीए सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में झंडे गाड़ रही करियर अकादमी अब सोलन में भी पदार्पण कर रही है। पिछले 18 वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को तैयार कर रही अकादमी ने सोलन में भी अपनी ब्रांच खोलने की घोषणा कर दी है। इस ब्रांच के खुल जाने से सोलन व आसपास के क्षेत्रों के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं को क्लीयर करने के लिए बेहतर प्लेटफार्म मिलेगा और उन्हें कोचिंग के लिए चंडीगढ़ या कोटा भी नहीं जाना पड़ेगा। सोलन में खुलने वाली ब्रांच में विद्यार्थियों को एमबीबीएस, इंजीनियरिंग व एनडीए सहित दसवीं, जमा एक व जमा दो कक्षा के विद्यार्थियों के लिए रिवीजन कोर्स व क्रैश कोर्स की सुविधा एक ही छत के नीचे उपलब्ध होगी।

 अकादमी की ओर से 30 व 31 जनवरी को डेमो क्लास का भी आयोजन किया गया था, जिसमें दसवीं से जमा दो कक्षा तक के विद्यार्थियों को वार्षिक परीक्षाओं सहित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेषज्ञों ने उपयोगी टिप्स भी दिए। गौर रहे कि करियर अकादमी नाहन से कोचिंग प्राप्त करने वाले विद्यार्थी नीट सहित जेईई मेन्स व एडवांस में सफलता के परचम लहरा रहे हैं। इस अकादमी की ब्रांच सोलन में खुल जाने से अब अभिभावकों को भी राहत मिलेगी और उन्हें अपने बच्चे को कोचिंग के लिए चंडीगढ़, कोटा या फिर अन्य जगह नहीं भेजना पड़ेगा।

बाहर भेजने पड़ रहे बच्चे

अभिभावक मीरा का कहना है कि सोलन में गिने-चुने कोचिंग सेंटर होने के कारण हमें अपने बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग लेने के लिए बाहरी राज्यों में भेजना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सोलन बच्चे सोलन में कोचिंग लेने की बजाय बाहर जाना पसंद करते हैं।

एक अंक से रह जाते हैं छात्र

अभिभावक मीना ने बताया कि आज की प्रतिस्पर्धा का दौर होने के कारण एक नंबर से पीछे रहने पर अच्छे शिक्षण संस्थानों में सीट नहीं मिल पाती है। उन्होंने कहा कि जिसके लिए वे अपने बच्चों को बाहरी राज्यों में कोचिंग के लिए भेजना ज्यादा बेहतर समझते हैं।

अच्छा प्रशिक्षण दे रहे सेंटर

अभिभावक रीना ठाकुर ने बताया कि सोलन के कोचिंग सेंटर बच्चों को काफी हद तक अच्छा प्रशिक्षण दे रहे हैं, लेकिन वे अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए बाहर भेजने में ज्यादा रुचि रखते हैं। चंडीगढ़ नजदीक होने के कारण बच्चों को चंडीगढ़ भेजना पसंद करेंगे।

बीबीएन से अभी भी पलायन कर रहे छात्र

हिमाचल की औद्योगिक राजधानी का तमगा हासिल कर चुके बीबीएन ने शिक्षा के क्षेत्र में बेशक अलग पहचान कायम कर ली है, लेकिन कोचिंग के लिए अभी भी स्टूडेंट्स पड़ोसी राज्यों का रुख कर रहे हैं। हालांकि चार-पांच साल के अरसे में बीबीएन में करीब आधा दर्जन कोचिंग संस्थान खुलने के बाद से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स की ट्राई सिटी की तरफ पलायन में कमी आई है। आरआईसी कोचिंग अकादमी नालागढ़, एक्सपर्ट ओपिनियन अकादमी बद्दी, सैफी अकादमी बद्दी सहित अन्य अकादमियों में कोचिंग हासिल करने वाले बच्चे बेहतर नतीजे ला रहे हैं।

बता दें कि इन अकादमियों में हर वर्ष सैकड़ों की तादाद में स्टूडेंट्स जेईई, नीट, एआईपीएमटी, पीएमटी, एनडीए, सीडीएस, एचएएस व अन्य प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए कोचिंग ले रहे हैं। आरआईसी कोचिंग संस्थान के निदेशक भृगु नड्डा ने बताया कि हमारे संस्थान का मुख्य उद्देश्य बीबीएन में ही हिमाचल के बच्चों को बेहतरीन शिक्षा देना और नीट और जेईई मेन्स जैसी कठिन परीक्षाओं में सफलता दिलाना है।

अब तक हिमाचल से बच्चे चंडीगढ़ या कोटा प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए जाते थे, लेकिन उन्हें बीबीएन में ही एक बेहतरीन विकल्प मिल रहा है, जिससे बच्चों व उनके माता-पिता को काफी सुविधा हो रही है।

सरकार भी तो उठाए कोई कदम

एक ओर जहां जिला सोलन में बड़े स्तर का कोचिंग संस्थान नहीं है, वहीं दूसरी ओर कुछेक अकादमियां संचालित की जा रही हैं। वहां भी कहीं न कहीं गुणवत्ता की कमी नजर आती है। एक तरह से व्यापारीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिला में सरकार को कोचिंग इंस्टीच्यूट खोलने के लिए प्रयास करने चाहिए, ताकि बच्चों को बेहतर कोचिंग सुविधा मिल सके। अगर सरकार अपने स्तर पर बच्चों को कोचिंग दिलाने के प्रयास करती है, तो कहीं न कहीं यह बच्चों के लिए बहुत बड़ी मदद होगी।

नालागढ़ में सरकारी स्कूलों के बच्चों को मुफ्त कोचिंग

औद्योगिक क्षेत्र में झुग्गी-झोंपडि़यों में गुजर-बसर कर रहे प्रवासी कामगारों के बच्चों को स्कूली शिक्षा देने के लिए जहां कई स्कूल झुग्गियों में चलाए जा रहे हैं, वहीं नालागढ़ में प्रतियोगी परीक्षाओं के इच्छुक बच्चों के लिए प्रशासन द्वारा हेरिटेज पार्क में गुरुकुलम के नाम से कोचिंग अकादमी चलाई जा रही है। यहां सरकारी स्कूलों के मेधावी बच्चों को जेईई सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग दी जा रही है। इसके अलावा यहां नालागढ़ एजुकेशन सोसायटी द्वारा कोचिंग अकादमी के अलावा लाइब्रेरी स्थापित की गई है, जिसमें नामी कोचिंग अकादमी से विशेषज्ञ शिक्षक बच्चों को कोचिंग दे रहे हैं। कोरोना काल में बच्चों को नामी कोचिंग अकादमियों अनुभवी शिक्षकों ने ऑनलाइन कोचिंग दी।

आईएएस एचएएस की कोचिंग के लिए संस्थान ही नहीं

जिला में अभी तक आईएएस, एचएएस कोचिंग को लेकर कोई भी संस्थान नहीं खुल पाया है। इस तरह का बड़ा संस्थान न खुलने से अभी तक जिला के होनहार बच्चों को आईएएस, एचएएस के अलावा अन्य प्रकार की कोचिंग प्राप्त करने के लिए चंडीगढ़ या फिर दिल्ली का रुख करना पड़ रहा है। हालांकि जिला में बच्चों को अभी तक नीट और एनडीए के अलावा अन्य कोचिंग मिल रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं, लेकिन बड़े स्तर का संस्थान न होने के चलते जिला के बच्चों को बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ रहा है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों को कोचिंग मुहैया करवाने के मसले में अभी तक जिला सोलन पिछड़ चुका है। यदि जिला में ही कोई नामी संस्थान खुल जाए, तो यहां के बच्चों को स्थानीय स्तर पर ही लाभ मिलेगा।

कोचिंग सेंटर में विशेश रणनीति के साथ पढ़ाई करवाते हैं शिक्षक

अभिभावक सुरेंद्र गोंदी का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए छात्रों को एक अच्छी स्ट्रेटजी और सही तैयारी की जरूरत होती है। कोचिंग क्लास में अच्छे शिक्षक होते हैं, जिनकी मदद से छात्र परीक्षा की तैयारी के लिए एक सही स्ट्रेटजी बना सकते हैं। उन्हें शिक्षकों द्वारा सही और अच्छा मार्गदर्शन मिलता है। कोचिंग क्लास में एक शेड्यूल के अनुसार पढ़ाई होती है। बच्चा रोज कोचिंग क्लास जाता है और समय से सिलेबस पूरा कर पाता है। कोचिंग क्लास में पढ़ाई करने से वह अपने डाउट को आसानी से दूर कर सकता है। कई बार पढ़ाई करते हुए बच्चा अगर किसी कॉन्सेप्ट पर अटक जाता है और उसे लेकर उसके मन में कई डाउट होते हैं। कोचिंग क्लास के माध्यम से आसानी से अपने शिक्षकों से पूछकर प्रश्न के डाउट को दूर किया जा सकता है।

आसान ट्रिक्स सिखाते हैं कोचिंग सेंटर

शिक्षक जगदीश सैणी का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षा में समय कम होता है और प्रश्न अधिक होते हैं। तय समय में सभी प्रश्नों को हल करने के लिए आपको प्रश्नों को शॉर्ट कट लगाकर हल करने की जरूरत होती है। कोचिंग क्लास में आपको प्रश्नों की शॉर्ट ट्रिक्स पता चलती हैं। साथ ही प्रश्नों को हल करने के लिए कई अन्य तरीके पता चलते हैं, जिससे आप आसानी से और जल्द प्रश्न हल कर सकते हैं।

कोचिंग के साथ टाइम मैनेजमेंट सीखते हैं बच्चे

अभिभावक रवि शर्मा का कहना है कि कोचिंग क्लास में पढ़ाई करने से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के बार में पता चलता है। कई छात्रों को सिर्फ गिनी-चुनी ही प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में पता होता है, जबकि कोचिंग के दौरान कई अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में पता चलता है। इसके अलावा कई छात्र पढ़ाई करने के लिए एक टाइम टेबल तो बना लेते हैं, लेकिन वे उस टाइम टेबल को फॉलो नहीं कर पाते। कोचिंग क्लासेज में बच्चे टाइम मैनेजमेंट सीख जाते हैं।

डिमांड में है जेईई-नीट कोचिंग

सोलन जिला में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स व बायोलॉजी विषयों को लेकर कोचिंग सेंटर्स में अधिक डिमांड रहती है। इसके अलावा रिज़निंग, अंग्रेजी, जीके व करंट अफेयर्स विषयों में कोचिंग की भारी मांग है। जिला में स्थापित कोचिंग सेंटर्स व अकादमियों में विद्यार्थियों व अभिभावकों की पहली पंसद जेईई व नीट की तैयारी है। वहीं, एनडीए व बैंकिंग सेक्टर के लिए विद्यार्थी कोचिंग के लिए इन संस्थानों में आते हैं। सोलन में अभी भी संस्थानों में ज्यादातर छात्र बारहवीं के बाद ही कोचिंग लेने आ रहे हैं। वहीं, बहुत कम तादाद में छात्र स्कूल-कालेज के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान पहुंच रहे हैं।


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