कैसे उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण

By: Feb 13th, 2021 12:17 am

बदलती जीवनशैली ने आज कई रोगों को जन्म दिया है, जिनमें से एक है उच्च रक्तचाप। यदि इस पर नियंत्रण न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है। ऐसे में कई आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर आप इस रोग पर नियंत्रण रख सकते हैं। उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) सबसे सामान्य हृदय धमनी रोग है। प्रोद्योगिकी के कारण बढ़ते भौतिक साधनों और अधिक धन कमाने के चक्कर ने अधिकतर लोगों को आज तनावग्रस्त बनाया हुआ है। इसके साथ ही शहरीकरण और आधुनिकता के कारण बदलते सामाजिक मूल्यों, परिवर्तित जीवनशैली, ज्यादा वसायुक्त भोजन व अधिक नमक का उपयोग एवं धूम्रपान ने पिछले कुछ वर्षों से उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर को जन्म दिया है। आयुर्वेद में वर्णित एवं प्रकृति में उपस्थित अनेक दिव्य औषधियां हैं, जिनके नियमित प्रयोग से ब्लड प्रेशर एवं हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे रोगों से आप छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन जड़ी-बूटियों के विषय में।

रुद्राक्ष

रुद्राक्ष एक विशेष किस्म का जंगली फल है। यह जहां एक ओर धार्मिक मान्यता रखते हैं, वहीं दूसरी ओर चिकित्सा में भी इनका कम महत्त्व नहीं है। रात के समय तांबे के बरतन में 125 ग्राम पानी में रुद्राक्ष के 8-10 दानें डालकर रख दें। प्रातःकाल उठकर खाली पेट यह पानी पी जाएं। इसका निरंतर तीन माह तक सेवन करने से रक्तचाप में आशातीत लाभ होता है। तीन माह तक उन्हीं दानों को प्रयोग कर सकते हैं।

अर्जुन

अर्जुन हृदय को महाशक्तिशाली बनाने में सक्षम और हृदय रोगियों के लिए वरदान है। अर्जुन है, तो हृदय रोग से डर नहीं। बाई पास सर्जरी की आवश्यकता भी नहीं, यदि समय रहते अर्जुन का प्रयोग किया जाए। अर्जुन की छाल हृदय रोग में विशेष लाभप्रद मानी गई है। यह हृदय की मांसपेशियों को बल प्रदान करने में सहायक है। यह अर्जुनारिष्ट के नाम से आयुर्वेदिक औषधि विक्रेताओं के यहां उपलब्ध हो जाती है। इसे दिन में दो बार बराबर मात्रा में पानी मिलाकर सेवन करना लाभप्रद है। घर पर बनाना चाहें तो 250 ग्राम दूध में 250 ग्राम पानी मिलाकर 10 ग्राम अर्जुन की छाल डालकर उबालें। उबालने पर जब आधा बाकी रहे, तो छान लें एवं स्वादानुसार मिसरी मिलाकर पिएं।

आंवला

आंवलों के मौसम में नित्य प्रातःव्यायाम या भ्रमण के बाद दो पके हुए आंवलों को चबाकर खाएं। यदि चबाकर आंवला खाना संभव न हो उनका रस दो चम्मच तथा शहद दो चम्मच मिलाकर पिएं। जब आंवलों का मौसम न हो, तब सूखे आंवलों को पीसकर कपड़े से छानकर बनाया गया आंवलों का चूर्ण 3 ग्राम (एक चम्मच) की मात्रा में सोते समय रात को शहद में मिलाकर या पानी के साथ लें। इस प्रकार 3-4 महीनों तब नियमित प्रयोग करने से हृदय के समस्त रोग दूर हो जाते हैं। विशेषकर हृदय की धड़कन, हृदय की कमजोरी और चेतना, शून्यता आदि रोगों में परम लाभकारी, चमत्कारी प्रयोग है। आंवला दिल की धड़कन, अनियमित हृदय गति, दिल का फैल जाना, दिल के ठीक कार्य न करने से उत्पन्न उच्च रक्तचाप में हानिरहित औषधि है। यह हृदय को शक्तिशाली बनाता है। शहद हृदय के लिए अत्यंत गुणकारी है।


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