प्रदेश में जनमंच एक समाजहितैषी आयाम

अगर जनमंच के दौरान सुनी गई समस्याओं और उनको सुलझाने के लिए आला अधिकारी पूरा ध्यान दें तो लोगों को काफी लाभ हो सकता है। पूरे प्रदेश में जब जनमंच कार्यक्रम सजता है तो विभिन्न विभागों के मंत्री वहां जनता की समस्याओं को प्रशासन के सामने सुनते हैं। कुछ समस्याओं का निवारण उसी समय तो कर दिया जाता है, लेकिन कुछ समस्याएं वहां आला अधिकारियों के पाले में डाल दी जाती हैं। उन समस्याओं का समाधान अफसरशाही पर निर्भर करता है, लेकिन अगर वो नहीं करते हैं तो जनमंच गरीब आदमी के लिए वरदान साबित नहीं हो सकता है…

हिमाचल सरकार ने विकास व सफलता की नई संभावनाएं व आयाम तलाशते हुए ‘जनमंच’ के जरिए एक ऐसा नायाब आयाम स्थापित किया जिसने प्रदेश की जनता की समस्याओं के समाधानों को बिल्कुल ही एक कदम पर लाकर पहुंचा दिया यानी घर-द्वार में ही समस्याओं के निपटारे की सुविधा उपलब्ध करवा दी है। जनमंच जैसे समाज हितैषी कार्यक्रमों से जनता और सरकार के बीच उत्पन्न हुई दूरियां कम होती प्रतीत होती हैं, यानी सरकार ने जनता को एक ऐसा मंच मुहैया करवाया है जो जनता के लिए हितैषी सिद्ध हो रहा है। क्योंकि प्रायः यह देखा जाता था कि आम जनता को अपनी ही सरकार के पास अपने ही कार्यों व योजनाओं के क्रियान्वयन तथा सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही अन्य विभिन्न सुविधाओं जैसे वृद्धावस्था पेंशन आदि व सामाजिक संस्थाओं जैसे कि अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र व शैक्षणिक संस्थाओं आदि से संबंधित कई प्रकार की समस्याओं के संदर्भ में सरकारी कार्यालयों में दर-दर भटककर अपनी शिकायत दर्ज करवानी पड़ती थी। इस प्रक्रिया के चलते आम नागरिक का काफी समय व धन बर्बाद हो जाता था तथा समस्याओं का निपटारा होने की फिर भी कोई गारंटी नहीं दे सकता है। इस अव्यवस्था के कारण जनता में अक्सर सरकारी मशीनरी के खिलाफ  रोष रहता था तथा मंत्री के खिलाफ  धरने होने की स्थिति पैदा रहती थी, यानी पहले की स्थिति को साधारण शब्दों में समझें तो पहले सब कुछ होता था, बस जो काम करवाना है वो ही नहीं होता था।

ऐसी घटनाओं व स्थितियों को आधार बनाकर वर्तमान सरकार द्वारा जनता के हित में निर्णय लिया गया कि जन शिकायतों का निवारण प्रत्येक स्थिति में होना चाहिए। इसी दिशा में प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने अपने 2018 के बजट भाषण में यह निर्णय लिया कि राज्य सरकार के सभी मंत्री नियमित रूप से हर जिले के दूरदराज क्षेत्रों में जनमंच का आयोजन करेंगे, जहां मौके पर लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा, साथ में ही सभी विभागों के अधिकारी भी वहां उपस्थित रहकर निर्णय लेने तथा शिकायत निवारण में सहायता करेंगे। इस प्रकार जनमंच के माध्यम से एक उच्च स्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली की व्यवस्था का प्रयास प्रदेश में देखा जाने लगा। ऐसा प्रयास प्रथम बार नहीं था। पहले भी ‘फाइल टू फील्ड’ या ‘सरकार जनता के द्वार’ आदि नामों से सरकारों ने प्रयास किए थे, परंतु उनके क्रियान्वयन में कमी से वो सार्थक नहीं हो पाए। अब आने वाले समय में देखने की बात यह होगी कि क्या जनमंच कार्यक्रम सफल हो पाता है या नहीं। वर्तमान समय में जनमंच को एक पूर्णतया नई सोच और नई खोज के प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है जिसमें शिकायत निवारण प्रणाली का कार्य आईटी (इंटरनेट) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए सुनिश्चित किया जा रहा है।

 हिमाचल प्रदेश सरकार के जनमंच कार्यक्रम का अब सीधा असर प्रदेश की अफसरशाही पर भी देखने को मिल रहा है। जहां पहले विभिन्न विभागों के अफसर लेटलतीफी से सारे कार्य लटका दिया करते थे, अब काम न करने पर जनता का सरकार से सीधा संवाद होने से लेट लतीफ अब तेज तर्रार काम करते हैं जोकि जनमंच कार्यक्रम से ही संभव हो पाया है। लोगों की समस्याओं के समाधान को लेकर जनमंच कार्यक्रम शुरू करके प्रदेश सरकार ने लोगों के कल्याण के प्रति अपनी वचनबद्धता को पूरी तरह से निभाया है। जनमंच आम जनता की विभिन्न समस्याओं के निराकरण का एक अनूठा माध्यम बनकर सामने आया है। अभी हाल ही में 14 फरवरी को हुए जनमंच को मिलाकर अभी तक हिमाचल प्रदेश में सरकार व प्रशासन के 22 जनमंच कार्यक्रम हो चुके हैं जिनमें हजारों समस्याओं का निष्पादन मौके पर ही किया गया है। कहते हैं नई सोच व नई खोज की भावना से कुछ नया प्रयोग लाया जाए तो समाज व राष्ट्र की तकदीर बदली जा सकती है। इस दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप ही हिमाचल में समाजहितैषी आयाम सिद्ध हो रहा है जनमंच कार्यक्रम। इसके जरिए आज समाज के निचले स्तर पर खडे़ व्यक्ति की पहुंच सरकार तक संभव हो पाई है, जिससे जन-जन के कार्य संभव हो रहे हैं, चाहे वो कार्य फिर वृद्धों की पेंशन स्कीम का हो, जल विभाग का हो, स्वास्थ्य मामला हो, शिक्षा का विषय हो या फिर चाहे रोजगार की ही बात क्यों न हो। सभी कार्यों को मौके पर ही पूरा करके एक नया अध्याय लिख रहा है यह जनमंच कार्यक्रम। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा संचालित यह जनमंच कार्यक्रम आम जनमानस के लिए वरदान साबित हो सकता है।

अगर जनमंच के दौरान सुनी गई समस्याओं और उनको सुलझाने के लिए आला अधिकारी पूरा ध्यान दें तो लोगों को काफी लाभ हो सकता है। पूरे प्रदेश में जब जनमंच कार्यक्रम सजता है तो विभिन्न विभागों के मंत्री वहां जनता की समस्याओं को प्रशासन के सामने सुनते हैं। कुछ समस्याओं का निवारण उसी समय तो कर दिया जाता है, लेकिन कुछ समस्याएं वहां आला अधिकारियों के पाले में डाल दी जाती हैं। अगर वह अधिकारी आते, उसके बाद उन समस्याओं का समाधान अफसरशाही पर निर्भर करता है, लेकिन अगर वो नहीं करते हैं तो जनमंच जो है, वह गरीब आदमी के लिए वरदान साबित नहीं हो सकता है। इसलिए जनमंच पर जो भी मंत्री समस्याओं को सुनने के लिए आते हैं, आवश्यक है कि उनको पूरी फीडबैक जरूर लेनी चाहिए, जिससे कि जनता की जो समस्याएं हैं, वे घर में ही लटकी न रह जाएं, बल्कि व्यावहारिकता में पूरी हो जाएं। यह कार्यक्रम सरकार का एक बहुत ही सराहनीय कार्य है। इस प्रकार के कार्यक्रम मात्र चुनावी स्टंट नहीं होने चाहिएं, बल्कि जनता की समस्याओं को जोर-शोर से सुनने और सुनाने का मंच होना चाहिए। जनमंच का मतलब ही यही है ‘जनता का अपना मंच’।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App