राणा ब्रदर्स से सीखें मछली पालने का हुनर

By: Feb 28th, 2021 12:10 am

आठ साल पहले कारपोरेट की नौकरी छोड़ लौटे भाइयों के फिश पौंड में जोरदार पैदावार

साढ़े पांच किलो तक है एक-एक मछली, रोहू, कतला और मृगल का हो रहा उत्पादन

राज्य में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने कई सकारात्मक कदम उठाए हैं, जिनके काफी अच्छे परिणाम मिले हैं और मत्स्य पालकों की आमदनी में भी वृद्धि हुई है। लगभग आठ वर्ष पूर्व कारपोरेट सेक्टर छोड़कर घर वापस लौटे जिला ऊना के अनिल राणा व अखिल राणा ने मछली पालन को अपनाया और सरकार की योजनाओं से लाभान्वित होकर आज इस व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमाकर बेरोजगार युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। पंजावर निवासी राणा बंधुओं ने वर्ष 2013 में मछली पालन की दुनिया में पदार्पण करते हुए सरकार की नेशनल मिशन फार प्रोटीन सप्लीमेंट्स योजना के तहत पंजावर में पहला तालाब तैयार किया। अपने काम से उत्साहित दोनों भाइयों ने इस योजना के तहत दो हेक्टेयर भूमि पर मछली पालन का कार्य शुरू किया।  इसके बाद आई सरकार की नीली क्रांति योजना के तहत पंजावर के राणा बंधुओं ने मछली पालन का क्षेत्र बढ़ाकर चार हेक्टेयर कर लिया। अनिल राणा ने कहा कि आमदनी अच्छी होने के चलते वर्तमान में चार हेक्टेयर के करीब भूमि तक मत्स्य पालन का कारोबार बढ़ा लिया है।

 हमारे तालाबों में 5.5 किलो वजन की मछली का उत्पादन हो रहा है तथा इससे अच्छा मुनाफा होता है। हम फार्म में रोहू, कतला और मृगल जैसी मछली की प्रजातियों के उत्पादन के साथ-साथ कॉमन कॉर्प व ग्रास कॉर्प का भी उत्पादन कर रहे हैं। इन प्रजातियों की बाज़ार में बहुत मांग रहती है और इनके बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं। वहीं, अखिल राणा बताते हैं कि हम मछली पालन के अपने व्यवसाय को सरकार की मदद से अगले स्तर पर पहुंचाना चाहते हैं। इसलिए हमने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत बायोफ्लोक्स तकनीक के तहत तालाब बनाने व मछली की बिक्री के लिए दुकान बनाने को आवेदन किया है। उम्मीद है कि जल्द ही सरकार हमें इसके लिए मदद प्रदान करेगी।

अपने फार्म में राणा बंधु

सालाना 40 टन मछली का उत्पादन कर रहे हैं। एक हेक्टेयर में लगभग दस हज़ार फिंगर लिंगस और मछली का बीज डाले जाते हैं, जो कि एक साल में लगभग 10 टन के करीब तैयार हो जाते है। इसी प्रकार चार हेक्टेयर में चालीस हजार फीगर लिंगस डालकर लगभग 40 टन मछली उत्पादन किया जाता है। मछली पालन के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए इन्हें नेशनल फिशरीज डिवेलमेंट बोर्ड हैदराबाद ने 10 जुलाई, 2019 को बेस्ट इनलैंड फिश फार्मर ऑफ इंडिया का पुरस्कार भी प्रदान किया है। दिसंबर, 2019 में मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने भी राणा बंधुओं के फार्म का दौरा किया और बेहतर कार्य के लिए शुभकामनाएं दी।

मत्स्य क्षेत्र में होगा सबसे अधिक निवेश

मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर बताते हैं कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाना प्रस्तावित है। योजना के अंतर्गत मछली पालन के क्षेत्र में 20,050 करोड़ रुपए का निवेश होना है। इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक मछली उत्पादन में अतिरिक्त 70 लाख टन की वृद्धि करना है। उन्होंने बताया कि मत्स्य संपदा योजना के तहत बायोफ्लॉक तकनीक, आएएस तकनीक, बर्फ उत्पादन तथा मछली के चारे का प्लांट लगाने तथा आउटलेट निर्माण के लिए सरकार की ओर से 40.60 प्रतिशत तक सबसिडी प्रदान की जाती है। महिलाओं, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 60 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के व्यक्तियों को 40 प्रतिशत सबसिडी मिलती है।

एफपीओ बना आगे बढ़ाएंगे कारोबार

देश में मछली उत्पादन से जुड़े पांच एफपीओ में से एक ऊना जिला में बनाया गया है, जिसमें राणा बंधुओं ने क्षेत्र के 150 किसानों को जोड़ा है। कच्ची मछली को बेचने के साथ-साथ अब उनकी तैयारी फिश प्रोसेसिंग की भी है। मछली का आचार, कटलेट व फिश बर्गर आदि 17 तरह के उत्पाद बनाने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाया जा रहा है, जिसके लिए दोनों भाइयों ने प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लिया है। मत्स्य पालन विभाग ने उन्हें इसकी ट्रेनिंग चेन्नई में करवाई है। इसके अलावा फीड मिल भी स्थापित कर ली गई है, जहां पर मछली, पोल्ट्री तथा पशु चारा तैयार किया जा रहा है। एफपीओ के सदस्यों को यहां से सस्ते दाम पर फीड उपलब्ध करवाई जाएगी।

पशुपालकों के भी बनेंगे किसान क्रेडिट कार्ड

पशुपालन के जरिए गुजर-बसर कर रहे पशुपालक भी किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए जरूरी नहीं कि आपके पास कृषि योग्य भूमि हो। आप अपने पशुधन के जरिए भी किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से तीन लाख रुपए तक का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए भी आपको चार फीसदी ब्याज ही देना होगा। कृषि पर निर्भर किसानों को खाद व बीज की खरीद के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की गई है। किसान एक कनाल कृषि योग्य भूमि पर दस से पंद्रह हजार रुपए तक कृषि ऋण ले सकते हैं और इसके लिए उनसे चार प्रतिशत ब्याज ही वसूला जाता है। पशु चिकित्सालय गगरेट में तैनात पशु चिकित्सक डा. राकेश शर्मा का कहना है कि पशुधन से भी किसान क्रेडिट कार्ड बनवाया जा सकता है।

रिपोर्टः स्टाफ रिपोर्टर, गगरेट

तूफान को रोकने वाले जाल पर 80 फीसदी सबसिडी

यदि किसानों की फसलों को तूफान, ओलावृष्टि व पक्षियों से नुकसान पहुंचता है तो इससे बचाव को लेकर सरकार ने कृषि उत्पादन संरक्षण नई योजना लांच की है। इसके तहत नुकसान से बचाव के लिए किसानों को 80 फीसदी अनुदान पर तूफान रोधी जाले प्रदान किए जाएंगे। खास बात यह है कि इस योजना के तहत किसान ज्यादा से ज्यादा पांच हजार हेक्टेयर तक अनुदान प्राप्त कर सकेगा। कृषि उपनिदेशक डा. कुलदीप सिंह पटियाल ने बताया कि सरकार द्वारा किसानों की फसलों को तूफान, ओलावृष्टि व पक्षियों से होने वाले नुकसान से बचाने हेतु एक नई योजना कृषि उत्पादन संरक्षण योजना चलाई जा रही है, जिसके तहत किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान पर तूफान रोधी जाले उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। निश्चित रूप से इस योजना का किसानों को लाभ मिलेगा। इस योजना के अंतर्गत दस लाख रुपए बजट का प्रावधान किया गया है तथा एक किसान ज्यादा से ज्यादा पांच हजार स्क्वेयर मीटर तक अनुदान प्राप्त कर सकता है। वर्तमान मूल्य के अनुसार प्रति वर्ग मीटर जाले की कीमत लगभग 35 रुपए प्रति वर्ग मीटर है, जिसमें से 28 रुपए प्रति वर्ग मीटर सरकार द्वारा अनुदान दिया जाएगा और शेष सात रुपए प्रति वर्ग मीटर किसान द्वारा वहन किया जाएगा। किसानों से आग्रह है कि वे अपने नजदीकी के कृषि विस्तार अधिकारी व कृषि प्रसार अधिकारी से इस योजना का लाभ लेने के लिए संपर्क करें।

                    रिपोर्टः दिव्य हिमाचल ब्यूरो, बिलासपुर

अब खेतों में बनेंगी किसानों की योजनाएं

हिमाचल में अब किसानों की भलाई के लिए चलने वाली योजनाएं खेतों में तैयार की जाएंगी। इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने एक नई पहल की है। पेश है यह खबर

हिमाचल में कृषि विश्वविद्यालय ने अनूठी पहल की है। यूनिवर्सिटी के 42 साल के इतिहास में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक पहली बार एक किसान के घर में हुई है। यह आयोजन बिलासपुर जिला के बरठीं में हुआ। यह कार्यक्रम पूर्ण राज्यत्व स्वर्ण जयंती के तहत हुआ है। कृषि विज्ञान केंद्र बरठीं के अंतर्गत गांव फगोग में उस समय नया इतिहास बन गया, जब प्रगतिशील किसान भारत भूषण के घर में जमीन पर बैठकर कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चैधरी ने बैठक की। कुलपति ने कहा कि वैज्ञानिक किसानों के खेतों  में पहुंच कर ही उनके दिल तक पहुंच सकते हैं न कि अपने कार्यालयों में बैठकर। अपनी माटी टीम के लिए सीनियर जर्नलिस्ट जयदीप रिहान ने प्रो. एचके चौधरी से बात की। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन लगातार होने चाहिएं। इससे जहां किसानों का मनोबल बढ़ता है, वहीं अफसरों और किसानों को करीब आने का मौका मिलता है। इस मुहिम को और तेज किया जाएगा।

फिर रफ्तार पकड़ेंगे किसान मेले, मंडी के पद्धर में 15 अप्रैल से होगा आयोजन

कोरोना के आने से पहले प्रदेश भर में किसान मेले हो रहे थे। इसमें किसान और बागबान भाइयों को जहां जरूरी जानकारियां मिल रही थीं, वहीं सरकारी योजनाओं से लेकर नई तकनीक का भी पता चल रहा था। इसी बीच कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया और किसान मेले भी बंद हो गए। खैर, अब ये किसान मेले एक बार फिर से शुरू हो रहे हैं। मंडी जिला पद्धर में 15 से 19 अप्रैल तक किसान मेला लगने वाला है। इस मेले में प्रदर्शनियां लगेंगी, वहीं किसानों को नए बीज और खाद पर भी जागरूक किया जाएगा। इसमें सरकार सरकार की योजनाओें पर भी जानकारी दी जाएगी। इस मेले को लेकर एसडीएम शिव मोहन सिंह सैनी ने की अगवाई में तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं। उन्होंने बताया कि इस मेले को शानदार तरीके से आयोजित करवाया जाएगा,ताकि सभी किसानों तक सरकारी योजनाएं और नई तकनीकी जानकारियां पहुंच सकें।

रिपोर्टः निजी संवाददाता, पद्धर

अब हरियाणा के किसानों को खेती सिखाएंगे यूसुफ खान

हिमाचल में ऐसे कई किसान हैं, जो अपने टेलेंट के दम पर देश दुनिया में छाए हुए हैं। इन्हीं में से एक हैं ऊना जिला के रहने वाले यूसुफ खान। पढि़ए यह खबर

मशरूम उत्पादक के तौर पर दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुके ऊना के होनहार किसान यूसुफ खान ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। यूसुफ खान ऊना जिला के रहने वाले हैं। वह नई तकनीक से खेती करने के लिए मशहूर हैं। हाल ही में उन्होंने हाइड्रोपोनिक तकनीक से आलू और अन्य सब्जियां उगाकर हर किसी को अपना कायल बना लिया है। इसी के चलते उनसे अब हॉर्टिकल्चर ट्रेनिंग संस्थान करनाल ने विशेष कैंप लगाने की गुजारिश की है। गौर रहे कि यूसुफ इससे पहले लॉकडाउन के दौरान भी वहां जानकारी बांट चुके हैं। उन्हें फिर से न्योता मिलना हिमाचल के लिए बड़ी बात है। इस बारे में  हॉर्टिकल्चर ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट करनाल के संयुक्त निदेशक कम प्रिंसीपल डा. जोगिंद्र सिंह ने यूसुफ खान से ऊना में मुलाकात भी की है। नंगल संलागड़ी में यूसुफ के फार्म पर हुई मुलाकात में कई मसलों पर चर्चा हुई है। दूसरी ओर यूसुफ ने बताया कि वह कई कालेजों और अन्य संस्थानों में अपना लेक्चर दे चुके हैं। रिपोर्टः स्टाफ रिपोर्टर, ऊना

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