नील सरस्वती स्तोत्र

By: Feb 6th, 2021 12:21 am

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि।

भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।। 1।।

सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।

जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।। 2।।

जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।

द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।। 3।।

सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोस्तुते।

सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्।। 4।।

जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला।

मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम्।। 5।।

वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलिहोमप्रिये नमः।

उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम्।। 6।।

बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे।

मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम्।। 7।।

-क्रमशः


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