मुस्कुराहट बढ़ाएगा नया बजट

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

ऐसे में निश्चित रूप से नए बजट से देश में निवेश बढ़ेंगे, रोजगार बढ़ेंगे और देश कोविड-19 की आर्थिक सुस्ती से निपटने की डगर पर आगे बढ़कर विकास दर बढ़ाते हुए दिखाई दे सकेगा। हम उम्मीद करें कि सरकार नए वित्तीय वर्ष 2021-22 के अभूतपूर्व बजट से प्रस्तुत की गई विभिन्न योजनाओं और घोषणाओं को पूरा करने के लिए शुरुआत से ही क्रियान्वयन की ठोस डगर पर आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि आगामी वित्त वर्ष में देश के करोड़ों लोग कोविड-19 की निराशाओं के बीच उजली आशाओं को प्राप्त कर सकेंगे…

इन दिनों देश और दुनिया के अर्थविशेषज्ञ यह टिप्पणी करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किया गया आगामी वित्त वर्ष 2021-22 का बजट कोविड-19 के कारण आजादी के बाद से अब तक की सबसे अधिक आर्थिक निराशाजनक पृष्ठभूमि के बीच सबसे अधिक आर्थिक उम्मीदों भरा बजट है। देश और दुनिया के आर्थिक मंच पर यह भी कहा जा रहा है कि नए वित्त वर्ष के अभूतपूर्व बजट के माध्यम से वित्तमंत्री ने विभिन्न वर्गों और विभिन्न सेक्टरों के लिए भारी-भरकम बजट आबंटित करते हुए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.8 फीसदी तक विस्तारित करने में कोई संकोच नहीं किया है। ऐसे नए बजट के तहत आर्थिक विकास के नए रणनीतिक प्रयासों से विभिन्न वर्गों और विभिन्न सेक्टरों की मुस्कुराहट बढ़ने के साथ-साथ विकास दर भी तेजी से बढ़ने की संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं।

नया बजट कितना लाभप्रद होगा, इसकी संभावना नए बजट के प्रस्तुत होने के बाद देश के शेयर बाजार के छलांगें लगाकर बढ़ने के सुकूनभरे परिदृश्य से लगाई जा सकती है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि कोरोना वायरस के कारण पिछले वर्ष 23 मार्च 2020 को जो बाम्बे स्टाक एक्सचेंज सेंसेक्स 25981 अंकों के साथ ढलान पर दिखाई दिया था, वह 5 फरवरी को 51000 अंकों की स्वर्णिम ऊंचाई के पार पहुंचते हुए भी दिखाई दिया। बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण भी पहली बार 200 लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर गया है। निःसंदेह वित्तमंत्री के द्वारा कोविड-19 की वजह से अप्रत्याशित रूप से बढ़ी हुई आर्थिक चुनौतियों के बीच एक ऐसा अभूतपूर्व बजट प्रस्तुत किया गया है, जिससे जहां आर्थिक सुस्ती का मुकाबला किया जा सकेगा, वहीं इससे कोविड-19 के कारण अप्रत्याशित रूप से बढ़ी हुई विभिन्न वर्गों की मुश्किलों को कम किया जा सकेगा। जहां नए बजट में वित्तमंत्री के द्वारा कोरोना महामारी से देश को बचाने के लिए बड़े वित्तीय प्रावधान किए गए हैं, वहीं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार अवसरों में बड़ी वृद्धि के प्रयास भी किए गए हैं। जहां वोकल फॉर लोकल के तहत घरेलू उद्योगों के लिए चमकीले प्रोत्साहन दिए गए हैं, वहीं मेक इन इंडिया और निर्यात वृद्धि के लिए नई रेखाएं खींची गई हैं।

नए बजट की तस्वीर में स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड-19 से निर्मित अप्रत्यशित आर्थिक सुस्ती का मुकाबला करने और विभिन्न वर्गों को राहत देने के लिए बड़े पैमाने पर आबंटन बढ़ाए गए हैं। रोजगार के नए अवसर पैदा करने के प्रयास किए गए हैं। तेजी से घटे हुए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए आकर्षक प्रावधान किए गए हैं। बैंकों में लगातार बढ़ते हुए एनपीए को नियंत्रित करने और क्रेडिट सपोर्ट को जारी रखने की नई व्यवस्थाएं की गई हैं। नए बजट में महंगाई पर नियंत्रण और नई मांग का निर्माण करने की रणनीति है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण एवं अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च में भारी वृद्धि की गई है। नए बजट से बड़ी-बड़ी उम्मीदों को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधनों की प्राप्ति हेतु वित्तमंत्री वर्ष 2021-22 के बजट के तहत राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 फीसदी तक विस्तारित करने, कर संग्रह वृद्धि और विनिवेश के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपए के बड़े लक्ष्य के साथ सुविचारित रणनीति की डगर पर आगे बढ़ी हैं। निःसंदेह वित्तमंत्री सीतारमण वित्त वर्ष 2021-22 के बजट से खेती और किसानों को विशेष रूप से लाभान्वित करते हुए दिखाई दी हैं। नए बजट में किसानों के लिए सरल कर्ज हेतु 16.5 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को उनकी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से डेढ़ गुना ज्यादा कीमत दी जानी निर्धारित की गई है। सरकार ने ऐसे नए उद्यमों तथा कृषि बाजारों को प्रोत्साहन दिया है, जिनसे कृषि उत्पादों को लाभदायक कीमत दिलाने में मदद करने के साथ उपभोक्ताओं को ये उत्पाद मुनासिब दाम पर पहुंचाने में मदद हो सके। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि वित्तमंत्री ने इस बार एमएसएमई को 15700 करोड़ रुपए का बड़ा प्रभावी बजट दिया है। छोटे उद्योग की परिभाषा बदली गई। कोरोना काल के दौरान जो एमएसएमई एनपीए हो गए हैं, उनके लिए भी वित्तमंत्री नया रास्ता निकालते हुए दिखाई दी हैं। नए बजट के तहत एमएसएमई के लिए तकनीकी विकास और नवाचार संबंधी लाभ के लिए वित्तमंत्री के द्वारा नई व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

चूंकि कोविड-19 के कारण देश के पर्यटन उद्योग, होटल उद्योग सहित जो विभिन्न उद्योग-कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, ऐसे में उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए नए बजट में बड़ी धनराशि रखी गई है। नए बजट के तहत स्वास्थ्य सेवाओं पर आबंटन बढ़ाकर 2.38 लाख करोड़ रुपए किया गया है। नए बजट में नई शिक्षा प्रणाली और कौशल विकास, शासकीय स्कूलों की गुणवत्ता, सार्वजनिक परिवहन जैसे विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों के साथ-साथ रोजगार वृद्धि के लिए टेक्सटाइल सेक्टर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए बड़े बजट आबंटन दिखाई दे रहे हैं। नए बजट में बीमा सेक्टर में एफडीआई लिमिट 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी किए जाने का ऐलान किया गया है। नए बजट में आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाया गया है। शोध एवं नवाचार, निर्यात डेवलपमेंट फंड तथा फार्मा उद्योग आदि के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए गए हैं। जीएसटी को आसान बनाने का ऐलान भी किया गया है।

 स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि वित्तमंत्री छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग की उम्मीदें पूरा नहीं कर पाई हैं। यह वर्ग कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित रहा है, लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिक, जिनकी पेंशन और जमा से आमदनी है, उनको आईटी और फाइलिंग से छूट दी गई है। पेट्रोल और डीजल पर कृषि कर लगाया गया है। निःसंदेह वित्तमंत्री सीतारमण के द्वारा राजकोषीय घाटे की फिक्र न करते हुए अपने वादे के अनुसार अपनी मुठ्ठियां खोलते हुए पहले कभी नहीं देखा गया अभूतपूर्व प्रोत्साहनों का बजट पेश किया गया है । ऐसे में निश्चित रूप से नए बजट से देश में निवेश बढ़ेंगे, रोजगार बढ़ेंगे और देश कोविड-19 की आर्थिक सुस्ती से निपटने की डगर पर आगे बढ़कर विकास दर बढ़ाते हुए दिखाई दे सकेगा। हम उम्मीद करें कि सरकार नए वित्तीय वर्ष 2021-22 के अभूतपूर्व बजट से प्रस्तुत की गई विभिन्न योजनाओं और घोषणाओं को पूरा करने के लिए शुरुआत से ही क्रियान्वयन की ठोस डगर पर आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि आगामी वित्त वर्ष में देश के करोड़ों लोग कोविड-19 की निराशाओं के बीच उजली आशाओं को प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था आर्थिक सर्वेक्षण तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान के मुताबिक 11-11.5 फीसदी की चमकीली विकास दर को मुठ्ठियों में प्राप्त करते हुए दिखाई दे सकेगी।


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