तो तो ठीक है

By: Feb 24th, 2021 12:06 am

अशोक गौतम

ashokgautam001@Ugmail.com

अभी वे अपनी श्रीमती के प्रधान होने के सबूत भी नहीं दे पाए थे कि अचानक सरकार के आदेश आ धमके। सरकार ने सख्त आदेश जारी किए थे कि महिला प्रधानों के कार्य में उनके पतिजी कोई दखल नहीं देंगे। जो ऐसा करता पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। बस, फिर क्या था। जैसे ही उनकी नजर उस आदेश पर पड़ी, वे सारे आसमान उठाए सरकार के खिलाफ  हो गए। कमाल है, सरकार ने विपक्ष के बदले उनके पौरुष को ही ललकार दिया? वे एक्स हो गए तो क्या हुआ? ये सरकार अपने को समझती क्या है? अगले चुनाव में इसे जीतना भी है कि…पति-पत्नी को एक-दूसरे से अलग करने की साजिश? हालांकि तब उनकी प्रधानजी ने समझाया भी कि सरकार को करने दो जो आदेश करती है। अमल तो हम ही करेंगे। जब मुझे ही डवेलपमेंट के कामों में तुम्हारे दखल को लेकर कोई आपत्ति नहीं तो सरकार को क्यों होगी? पर वे नहीं माने तो नहीं माने। उस वक्त उन्हें आसपास सरकार तो नहीं मिली, पर मैं बदनसीब सरकारी कर्मचारी मिल गया। ज्यों ही उन्होंने मुझे देखा, चालीस सालों से गृहस्थी के घराट में पिसने के बाद भी शेर हो दहाड़े, ‘यार! ये क्या अलम गलम करते रहते हो तुम?’ ‘क्या हो गया प्रधानजी के पतिजी?’ सरकार का कर्मचारी पक्ष-विपक्ष सबकी जोरू होता है, सो मैं उनकी भी हो गया। ‘होना क्या यार! अंधेर मचाकर रख दिया। हम कुछ नहीं बोलते तो इसका ये मतलब कतई नहीं हो जाता कि…हम हारे हुए प्रधान नहीं आरक्षित सीट के मारे प्रधान हैं। सरकार ने ये क्या बेहूदा आदेश जारी कर दिए कि… जिन्होंने दिनरात एक कर अपनी बीवियां जैसे तैसे प्रधान बनवाई हैं, वे अपनी बीवियों के कामों में दखल नहीं दे सकते।

 अगर ऐसा हुआ तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। यार! चलो मैं चुप रहता हूं। पर अब तुम ही कहो, क्या हमने अपनी बीवियों को इसी आदेश के लिए जितवाया है। आखिर ये सरकार हम मॉडल घरवालों, घरवालियों के बीच फूट डालने की क्यों सोच रही है? इस सबके पीछे इसकी मंशा क्या है? अपनी बीवी के साथ क्यों उसका पति बैठकों में नहीं जा सकता? घर की बैठक और दूसरी बैठकों में फर्क ही क्या होता है? कल को जो संसद, विधानसभा की तरह कहीं बैठक में दंगा फसाद हो गया तो सरकार की बीवी के बुरे हाल होंगे कि मेरी बीवी के? देखिए भाईजी! सरकार तो हमें कहीं दिख नहीं रही, पर तुम सरकार के बंदे हर कहीं दिखते रहते हो। इसलिए तुमसे दोनों हाथ जोड़ गुजारिश है कि तुम प्रधानजिओं के पतियों की ये दरख्वास्त सरकार तक जरूर पहुंचा दो कि वे अपनी बीवी को आज के मारधाड़ भरे राजनीतिक माहौल में अकेला कहीं भी नहीं जाने देंगे। हमने तो अपनी बीवी आज तक अकेले उसके मायके नहीं जाने दी तो बैठकों में कैसे जाने दें भला?’ कह उन्होंने मेरी मार्फत सरकार को ज्ञापन देना चाहा तो मैंने उनके गुस्से पर पानी डालने की कोशिश करते कहा, ‘देखो एक्सजी! इसे इतनी गंभीरता से क्यों ले रहे हो? सरकार का काम आदेश जारी करना होता है। अगर वह आदेश जारी नहीं करेगी तो हमें तो लगेगा ही नहीं, पर उसे भी लगेगा कि वह है। सरकार को अपने होने के सबूत देने के लिए न चाहते हुए भी आदेश जारी करने ही पड़ते हैं। उसे आदेश जारी करने भी चाहिएं। यह सरकार की गतिशीलता का सबूत होता है। और हम चाहते हैं हमारी सरकार गतिशील हो। अब यह जरूरी नहीं कि इन्हें माना ही जाए। आज तक सरकार ने कितने आदेश जारी किए होंगे, उसे भी पता नहीं, पर हमने कितने माने, हमें भी पता नहीं।’‘मतलब?’ ‘तो अब इसका मतलब अब आप खुद ही लगा लीजिए’. मैंने कहा तो उन्होंने सरकार पर आया गुस्सा सरकार के बदले सरकार के कर्मचारी पर थूका और गुनगुनाते आगे हो लिए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App