घुटन मिटाने के लिए

By: Feb 22nd, 2021 12:06 am

निर्मल असो

स्वतंत्र लेखक

जब से सांसद दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा छोड़ी है, देश भर में घुटन बढ़ गई है। बेरोजगारों या बुद्धि के मारों को इतना कुछ सह कर भी घुटन नहीं हुई, मगर संसद में पहुंचे टीएमसी के लोगों को हो रही है। किसी ने कहा इसके पीछे भी नेहरू की नीतियां दोषी हैं और यह पूरी तरह सही है क्योंकि घुटन का राज उसी वक्त की निशानी है। यह तो आज पता चल रहा है कि वर्षों पहले या पिछले दशकों में कांग्रेस ने जो किया धरा, उससे न केवल खेत में घुटन हो रही है, बल्कि अब तो ट्वीट में भी उगने लगी है। घुटन-घुटन में अपने अर्नब ने व्हाट्स ऐप में जो कह दिया, वास्तव में वह देश की घुटन है। टीवी न्यूज एंकर तो अब कांग्रेस का नाम सुनते ही घुटन में चले जाते हैं, बल्कि चैनल पर जो समाचार आ रहे हैं, उन पर भी नेहरू व इंदिरा द्वारा पैदा की गई घुटन दिखाई देती है। टीवी एंकरों ने दृढ़ विश्वास से नोटबंदी का सुनहरी पक्ष देखा था और इसीलिए उन्हें मालूम था कि दो हजार के नए नोट पर कहां-कहां चिप लगी है।

 देश ने भी विश्वास किया कि दो बड़े एंकर अगर चिप पर निगाह रख रहे हैं, तो नोट चाहकर भी ब्लैकमेल नहीं होगा। हैरानी यह कि चिप कहीं भाग गया और घुटन में एंकर आज तक उसे खोद रहे हैं। खैर अब उन्हें ग्रेटा थनबर्ग की टूलकिट और बेंगलूर की दिशा रवि मिल गई है। सुशांत राजपूत की दुखद मौत ने एंकरों को एक अवसर दिया था और इससे काफी हद तक घुटन दूर भी हुई, लेकिन कब तक बॉलीवुड अपनी मौत से मीडिया की घुटन मिटाएगा। बहरहाल सुनने में आ रहा है कि केंद्र सरकार घुटन मारक दस्तों का निर्धारण कर रही है। टीएमसी छोड़ चुके नेताओं के अलावा पुड्डुचेरी से कांग्रेस छोड़ चुके विधायकों पर घुटन मारक दस्ता प्रयोग कर रहा है। आगे चलकर यह दस्ता ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत कुछ ऐसी गोलियां बनाने जा रहा है जिन्हें चूसते ही पता चल जाएगा कि बंदों को घुटन हो क्यों रही है।

यह दवाई बोलने की प्रक्रिया में विपक्ष को घुटन दे सकती है, लेकिन पक्ष की जुबान को हमेशा सत्य की प्रमाणिक ताकत देती रहेगी। इसका पहला प्रयोग अर्नब के साथ-साथ दो-तीन एंकरों पर हो चुका है। दरअसल अर्नब सरीखे एंकरों को ट्रंप के हारने और अब पंजाब में कांग्रेस द्वारा नगर निगम चुनाव जीतने से घुटन होने लगी है। मीडिया अब यह सोच समझकर चल रहा है कि कहीं उसके कहे से देश घुटन में न चला जाए। खबर यह है कि भारतीयों की घुटन मिटाने के लिए चीन बिना बताए लौट गया है। किसान आंदोलन खत्म हो रहा है। दिशा रवि की गिरफ्तारी के बाद देश के खिलाफ सारे षड्यंत्र खत्म हो गए हैं। समाज आज के बाद आज्ञापालक की तरह सरकारों के हर फैसले का स्वागत करेगा। रोजगार के अवसर केवल सत्तारूढ़ दल का झंडा उठाने से ही पैदा हो रहे हैं और हर दिन पश्चिम की तरफ देखने से पता चल रहा है कि पाकिस्तान हमारे सूरज के साथ डूब रहा है। विश्वास करें देश को घुटन मिटाने के लिए सिर्फ और सिर्फ अच्छी खबरें चाहिएं और यह काम मीडिया चुटकी बजाकर कर रहा है।


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