तिरंगे का अपमान क्यों

17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा दिल्ली में बनाया गया लाल किला हमेशा ही सत्ता और शक्ति का प्रतीक रहा है। यह किला देश की आन-बान और शान को प्रकट करता है। यह ऐतिहासिक स्मारक विश्व धरोहर की सूची में शामिल है और भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है। 26 जनवरी 2021 को राष्ट्र की अस्मिता, आन-बान-शान के प्रतीक राष्ट्रीय धरोहर लाल किले पर स्वतंत्र भारत में गैर जि़म्मेदार तथा सिरफिरे लोगों द्वारा हमला हुआ जिसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है। इन पथभ्रष्ट तथा भटके हुए लोगों ने भारत मां, राष्ट्रध्वज, लाखों स्वतंत्रता सेनानियों, देशभक्तों तथा सैनिकों के बलिदान का अपमान किया है जो किसी भी दृष्टि से क्षमा योग्य नहीं है। देश के नागरिकों का यह अधिकार है कि वे अपनी चुनी हुई सरकारों से अपने अधिकारों की मांग करें तथा सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों तथा बनाए गए कानूनों का असहमत होकर शांतिपूर्वक विरोध करें।

सरकार को भी चाहिए कि वह जनता जनार्दन की इच्छा के अनुरूप अपने निर्णय में परिवर्तन करे। देश के किसान लगभग दो महीने से सडक़ों पर बैठकर कड़ी सर्दी में अपना आंदोलन चला रहे थे। पूरे देश की सहानुभूति किसान आंदोलन के साथ थी, लेकिन देश के 72वें गणतंत्र दिवस पर देश की राजधानी पर आक्रमण करना तथा लाल किले की प्राचीर पर विशेष धर्म तथा किसान संगठनों का झंडा फहराना बिल्कुल भी सही नहीं ठहराया जा सकता। यह एक अक्षम्य अपराध है। यह गणतंत्र की गरिमा पर एक कलंक है। गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर ट्रैक्टर रैली की आड़ में उपद्रवियों ने जिस तरह से दिल्ली की सडक़ों पर हिंसा, तोडफ़ोड़, अराजकता का नंगा नाच किया, वह किसी भी सच्चे देशभक्त को किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है। गणतंत्र दिवस पर लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार कर दिया गया। यह बहुत ही शर्मनाक है तथा इस कुकृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

यह देश की स्वतंत्रता पर एक काला धब्बा है। यह अपने ही देश के लगभग 400 पुलिस जवानों तथा अर्धसैनिक बलों का घायल होना नहीं, बल्कि भारत मां का घायल होना है। अराजकता का यह तांडव एक ग़ैर जि़म्मेदाराना हरकत है जिसके लिए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। किसान आंदोलन के सभी गुटों के सभी नेताओं पर पर जि़म्मेदारी निश्चित की जानी चाहिए जो तय शर्तों के साथ अपना आंदोलन नियंत्रित नहीं कर पाए। गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले पर हुई यह एक शर्मनाक घटना है। अपने ही देश के नागरिकों के द्वारा किया गया यह घिनौना कृत्य दुनिया में भारत की गरिमा को कम करता है। गैर जि़म्मेदार आंदोलनकारी किसी भी रूप में देश के किसान नहीं हो सकते। सरकार को चाहिए कि किसानों की सही मांगों का निर्धारण कर संवेदनशील तरीके से इस गतिरोध को समाप्त करे तथा उपद्रवकारियों पर कार्रवाई कर कड़ी से कड़ी सजा दे ताकि भविष्य में देश का कोई भी नागरिक देश के राष्ट्रीय गौरव के प्रतीकों पर हमला करने की सोच भी न सके। 26 जनवरी के दिवस पर हुई घटना निंदनीय है जिसकी जितनी भत्र्सना की जाए, वह कम है। यह स्वतंत्रता लाखों-करोड़ों सैनिकों, देशभक्तों तथा स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों की देन है, इसे हम कौडिय़ों के भाव नहीं बेच सकते। सरकार को कड़ा कानून बनाना होगा ताकि भविष्य में कोई भी देश के सम्मान के प्रतीक चिन्हों का कभी भी अपमान करने की हिम्मत न कर सके।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App