सेना, युद्ध अभ्यास और मरुस्थल

By: Mar 6th, 2021 12:05 am

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

देश के 5 राज्यों में चुनावों की घोषणा हो चुकी है तथा सारी राजनीतिक पार्टियां पूरे दमखम से चुनावी रैलियों में व्यस्त हैं। हिमाचल में भी नगर निगम के चुनावों की सुगबुगाहट तेज हो गई है और इस बार चर्चा यह भी है कि हिमाचल की दोनों मुख्य पार्टियां कांग्रेस और भाजपा चुनाव चिन्ह पर नगर निगम के चुनाव लड़ना चाहती हैं।  दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए सम्मेलन करना शुरू कर दिए हैं। विधानसभा सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के विरोध के लिए उतरे कांग्रेसी नेताओं पर कार्यवाही करते हुए, सरकार ने विधानसभा में विपक्ष के नेता सहित कांग्रेस के 5 नेताओं को निलंबित कर दिया है। कोविड वैक्सीन टीकाकरण के दौरान प्रधानमंत्री तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं ने वैक्सीन लेना शुरू कर दी है। इसी दौरान अगर सेना की बात करें तो जिस तरह सर्दियों का मौसम जा रहा है तथा गर्मियों के मौसम का आगमन होना शुरू हो गया है, भारतीय सेना भी थार मरुस्थल में पहुंच चुकी है या प्रस्थान करना शुरू कर दिया है। इस मौसम के दौरान भारतीय सेना  काल्पनिक युद्ध का परिदृश्य बनाकर अभ्यास करना शुरू करती है, जो अप्रैल-मई के गर्मी के महीनों तक चलता है।

 इसमें सेना मरुस्थल एरिया में दुश्मन द्वारा किए जाने वाले हमले को किस तरह से रोका जाए तथा दुश्मन के एरिया में अंदर तक जाकर कैसे हमला किया जाए, इसके साथ-साथ सेना के पास जो भी हथियार हैं, उनका मरुस्थल की 50 डिग्री की गर्मी में उच्चतम प्रयोग करके योगदान लिया जाए, इन सब बिंदुओं पर मुख्य ध्यान देते हुए इस अभ्यास को किया जाता है। ऐसे युद्ध अभ्यास सिर्फ भारतीय सेना ही नहीं करती, बल्कि हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी सेना का प्रभाव बनाए रखने के लिए इस तरह की एक्सरसाइज करता रहता है। हाल ही में 28 जनवरी से 28 फरवरी तक पाकिस्तान सेना ने थार मरुस्थल में  ‘जिदार-उल-हदीद’ नामक युद्ध अभ्यास संपन्न किया।

इसके अलावा पाकिस्तान जल सेना ने भी अमन-2021 नामक बहुउद्देश्यीय समुद्री एक्सरसाइज का अरब  महासागर में आयोजन किया, जिसमें अमरीका, रूस, चीन, तुर्की आदि विश्व के 45 देशों ने हिस्सा लिया जिसका 16 फरवरी को सफलतापूर्वक समापन हुआ। अगर सेना द्वारा किए जाने वाले ऐसे युद्ध अभ्यासों का आकलन किया जाए तो दुनिया का हर देश अपनी भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार वर्ष में एक बार इस तरह का युद्धाभ्यास करता है। जबकि भारत का मुख्य अंतरराष्ट्रीय सीमा वाला क्षेत्र मरुस्थल में होने से ज्यादातर युद्धाभ्यास मरुस्थल में ही किए जाते हैं। इस तरह के अभ्यास से सेना की तैयारियों का भी पता चलता है। भारत के कुछ पड़ोसी देश हमारे प्रति शत्रुता वाला रवैया रखते हैं, अतः सेना को हमेशा तैयार रहना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर शत्रु देश का बखूबी मुकाबला किया जा सके। इसीलिए इस तरह के युद्ध अभ्यास बार-बार किए जाने चाहिएं, ताकि शत्रु देश को चेतावनी मिलती रहे।


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