लोकतंत्र और सोनिया परिवार

उन्हें हिंदुस्तान का लोकतंत्र दिखाई नहीं देता। आंखों के चश्मे के कारण लोकतंत्र की प्रतिमा भी तानाशाही दिखाई देती है। विदेशी चश्मे और हिंदुस्तान पर दोबारा राज करने की इच्छा को किनारे रखकर यदि सोनिया परिवार देखने की कोशिश करेगा तो उसे स्पष्ट दिखाई देगा कि लोकतंत्र हिंदुस्तान का स्वभाव है…

कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी ने सारे देश में घूम-घूमकर यह सूचना देना प्रारंभ कर दिया है कि हिंदुस्तान में से लोकतंत्र समाप्त हो गया है अर्थात अब देश में तानाशाही स्थापित हो गई है। उनका कहना है कि हिंदुस्तान की हालत लोकतंत्र के मामले में पाकिस्तान से भी बुरी हो गई है। राहुल गांधी यह मानते हैं कि पाकिस्तान में तो फिर भी लोकतंत्र बचा हुआ है, लेकिन भारत में वह समाप्त हो गया है। इस स्थिति को लेकर सोनिया परिवार की चिंता बढ़ती जा रही है, लेकिन मूल प्रश्न यह है कि सोनिया परिवार को इस बात का एहलाम कैसे हुआ कि देश में लोकतंत्रा समाप्त हो गया है। यह घोषणा वेटिकन के राष्ट्रपति पोप ने तो नहीं की। इटली के लोग, खासकर कैथोलिक मजहब को मानने वाले राष्ट्रपति पोप की बात पर आंख, नाक और कान बंद करके विश्वास करते हैं। इसलिए पोप के कहने पर यदि सोनिया परिवार भारत में लोकतंत्रा की स्थिति पर प्रश्न उठाता तो माना जा सकता था कि इसमें उसका कोई दोष नहीं है, बल्कि यह उसकी मजहबी विवशता है। सोनिया परिवार इतने वर्षों से हिंदुस्तान में रह रहा है। भाजपा की 2014 में सरकार बनने के बाद से भी सोनिया परिवार ने कभी यह नहीं कहा कि हिंदुस्तान में से लोकतंत्र ने अलविदा ले ली है। इसका अर्थ यह हुआ कि यह परिवार भी इस बात पर विश्वास नहीं करता कि देश में से लोकतंत्रा जा चुका है।

फिर कुछ दिन पहले अचानक राहुल गांधी ने यह प्रचार करना क्यों शुरू कर दिया कि लोकतंत्र समाप्त हो गया है। इसके लिए राहुल गांधी सबसे बड़ा प्रमाण स्वीडन की एक गैर सरकारी संस्था ‘फ्रीडम हाउस’ की रिपोर्ट का देते हैं। इस संस्था में कुछ नीति निर्धारक पाकिस्तान के लोग हैं और संस्था को दाना-पानी अमरीका सरकार देती है। राहुल गांधी के लिए इस संस्था द्वारा लिखे गए चार कागज सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गए और 135 करोड़ भारतीयों द्वारा लोकतंत्र में व्यक्त की जा रही आस्था गौण हो गई। जिन दिनों बराक ओबामा अमरीका के राष्ट्रपति थे और हिंदुस्तान में सोनिया परिवार के कारण प्रधानमंत्री का पद मनमोहन सिंह संभाल रहे थे, उन दिनों भी राहुल गांधी को ओबामा से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था। तब भी राहुल गांधी ने अपनी सोच का जो परिचय ओबामा को दिया था, उससे ओबामा भी आश्चर्यचकित हो गए थे। राहुल गांधी ने ओबामा को बताया था कि हिंदुस्तान को खतरा जैश के आतंकवादियों से नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से है। सोनिया परिवार का संकट यह है कि वह आंखों देखी पर विश्वास कम करता है, कानों सुनी को ज्यादा प्रमाणिक मानता है। विदेश में कोई चार लोग उठकर हिंदुस्तान के बारे में कुछ नकारात्मक बोल देते हैं तो यह परिवार महीना भर खुशी में ढोल बजाता रहता है। फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट को लेकर भी राहुल गांधी इसी प्रकार गले में ढोल डालकर नगरी-नगरी, द्वारे-द्वारे घूम रहे हैं। सोनिया परिवार की इन हरकतों से भारतवासी आश्चर्यचकित हैं। दरअसल इस परिवार ने पिछले तीन दशकों से भारत की राजनीति पर कब्जा किया हुआ है। उस कब्जे में ही अनेक प्रकार के वित्तीय घोटाले किए हैं जिनको लेकर भारतीय अदालतों में कई केस भी चल रहे हैं। परिवार के कुछ लोग जमानत पर छूटे हुए हैं। इस परिवार के लिए तो हिंदुस्तान में से लोकतंत्र उसी दिन समाप्त हो गया था जिस दिन देश के लोगों ने इस परिवार को सत्ता से बाहर कर दिया था। यदि यह परिवार सत्ता में आ जाता है तो देश में लोकतंत्र जीवित हो जाता है, यदि देश के लोग इस परिवार को बाहर का दरवाजा दिखा देते हैं तो लोकतंत्र उसी दिन मर जाता है। कुछ साल पहले मैंने ‘राष्ट्रीय चेतना को चुनौती’ नाम से एक पुस्तक लिखी थी। उस समय देश में भाजपा की सरकार नहीं थी, लेकिन कुछ राज्यों में सोनिया कांग्रेस की जिस तरह भद्द पिट रही थी, उससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता था कि निकट भविष्य में सोनिया कांग्रेस सत्ता से बाहर हो जाएगी।

 जो परिवार तीन-चार दशकों से सत्ता पर गेंडुली मारकर बैठा हो, यदि हिंदुस्तान के लोग उस परिवार को सत्ता से बाहर कर देंगे तो उसका व्यवहार कैसा हो सकता है और वह अपनी अगली रणनीति किस प्रकार बनाएगा, इस पर मैंने इस पुस्तक में विचार किया था। तब मैंने अंदेशा प्रकट किया था कि यदि देश की राजनीति के केंद्र में राष्ट्रवादी शक्तियां स्थापित हो गईं तो सोनिया परिवार का पहला कदम यह हल्ला मचाने का होगा कि देश में तानाशाही शक्तियों का कब्जा हो गया है। धीरे-धीरे यह परिवार यह हल्ला मचाना शुरू कर देगा कि इन राष्ट्रवादी शक्तियों के केंद्र बिंदु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। कुछ समय बाद यह परिवार अपने देशी-विदेशी साथियों के सहारे यह शोर मचाएगा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आतंकवादी संगठन है। मुझे तब भी बड़ा आश्चर्य हुआ था जब राहुल गांधी ने अमरीका के सदर के आगे गुहार लगानी शुरू कर दी थी कि हिंदुस्तान को खतरा जैश से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से है। पुस्तक में इस प्रश्न पर विवेचना करते हुए मैंने लिखा था कि जब सोनिया परिवार कुछ समय तक शोर मचा लेगा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आतंकवादी संगठन है तो उस शोर को उसके विदेशी मित्र अपने-अपने देश में उड़ाना शुरू कर देंगे। दोनों एक-दूसरे की सहायता करते हुए यह स्थापित करने की कोशिश करेंगे कि पाकिस्तान व अन्य देशों द्वारा पोषित इस्लामी आतंकवादी संगठन निर्दोष है। हिंदुस्तान में आतंकवाद फैलाने में तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आगे है। आतंकवाद और तानाशाही का भीतरी रिश्ता स्थापित करने के बाद सोनिया परिवार अपने विदेशी मित्रों से आग्रह भी कर सकता है कि हिंदुस्तान को इन आतंकवादी और तानाशाही ताकतों से मुक्ति दिलवाई जाए।

अब जब मैं स्वयं अपनी उस पुस्तक को पढ़ता हूं तो मुझे लगता है कि सोनिया परिवार उसी रास्ते पर चल पड़ा है। पिछले दिनों राहुल गांधी विदेश में जाकर भी इस बात का ढिंढोरा पीट चुके हैं कि हिंदुस्तान तानाशाही के रास्ते पर चल पड़ा है। इस परिवार के एक अन्य मित्र मणिशंकर पाकिस्तान में जाकर हिंदुस्तान की रक्षा करने की दुहाई देते रहते हैं। अभी पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में जज रह चुके मार्कण्डेय काटजू अंग्रेज बहादुर की अदालत में बाकायदा गवाही देकर आए हैं कि आपके जाने के बाद हिंदुस्तान की बहुत दुर्दशा हो गई है। सोनिया परिवार और इनके मित्र यह बात भूल जाते हैं कि वह दिन हवा हुए जब इटली का कोलंबस हिंदुस्तान की खोज करते-करते अमरीका पहुंच गया था, लेकिन वहां जाकर भी उसने नेटिव इण्डियन को मारने का काम किया। जब पुर्तगाली, फ्रांसीसी और अंग्रेज थोड़ी सी संख्या में आते थे और हिंदुस्तान के लोगों को गुलाम बना लेते थे। इन विदेशी शक्तियों के चले जाने के बाद भी कुछ लोग अभी भी उनकी याद में अपनी रातों की नींद हराम किए हुए हैं। उन्हें हिंदुस्तान का लोकतंत्र दिखाई नहीं देता। आंखों के चश्मे के कारण लोकतंत्र की प्रतिमा भी तानाशाही दिखाई देती है। विदेशी चश्मे और हिंदुस्तान पर दोबारा राज करने की इच्छा को किनारे रखकर यदि सोनिया परिवार देखने की कोशिश करेगा तो उसे स्पष्ट दिखाई देगा कि लोकतंत्र हिंदुस्तान का स्वभाव है, उसकी संस्कृति का हिस्सा है। इसके विपरीत यूरोप के लोगों का स्वभाव मूल रूप से तानाशाही और साम्राज्यशाही प्रकृति का है। वे अभी हिंदुस्तान के इस लोकतांत्रिक स्वभाव को समझने का प्रयास कर रहे हैं।

ईमेलः kuldeepagnihotri@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App