अर्थव्यवस्था की गतिशीलता

नए बजट में महंगाई पर नियंत्रण और नई मांग का निर्माण करने की रणनीति है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण एवं अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च में भारी वृद्धि की गई है। नए बजट के इन प्रावधानों के शुरुआत से क्रियान्वयन से अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर आगे बढ़ेगी। इसी तरह वित्तमंत्री ने जहां एमएसएमई को बड़ा प्रभावी बजट दिया है, वहीं पर्यटन उद्योग, होटल उद्योग सहित जो विभिन्न छोटे उद्योग-कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, उन्हें भी पुनर्जीवित करने के लिए नए बजट में बड़ी धनराशि दी गई है…

इस समय देश की अर्थव्यवस्था के गतिशील होने का परिदृश्य दिखाई दे रहा है। हाल ही में वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले अनुमानित किए गए 10.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 13.7 प्रतिशत कर दिया है। आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने और कोविड-19 का टीका बाजार में आने के बाद भारतीय बाजार में बढ़ते विश्वास को देखते हुए यह नया अनुमान लगाया गया है। इस रेटिंग एजेंसी ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में आने वाली गिरावट के अनुमान को भी अपने पहले के 10.6 प्रतिशत में सुधार लाते हुए इसे 7 प्रतिशत कर दिया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले माह 26 फरवरी को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2020) में विकास दर में 0.4 फीसदी की वृद्धि हुई है।

 देश में विकास दर पहली तिमाही में माइनस 24.4 फीसदी और दूसरी तिमाही में माइनस 7.3 फीसदी रही थी। ऐसे में अब भारत दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में चीन के बाद दूसरा देश बन गया है, जहां विकास दर सकारात्मक हो गई है। इसमें कोई दोमत नहीं है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लॉकडाउन के कारण तेज गिरावट और फिर दूसरी तिमाही में सुधार के संकेत के बाद विकास दर बढ़ने का आंकड़ा अर्थव्यवस्था में तेज सुधार का परिचायक है। इस सुधार में अहम भूमिका एग्रीकल्चर, कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टरों की रही है। हालांकि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 8 फीसदी गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है। पहले 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया गया था। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि जहां चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े सकारात्मक सुधार दर्शाते हैं, वहीं हाल ही में जारी चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के कंपनियों के कारोबारी नतीजे भी कारोबार में सुधार का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं। इन नतीजों के मुताबिक कम लागत और बिक्री में सुधार से मुनाफा बढ़ा है। खपत आधारित क्षेत्रों में वाहन के साथ-साथ दैनिक उपयोग की वस्तुओं और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री बढ़ी है। बुनियादी क्षेत्रों में कारोबार आकार बढ़ा है और इस्पात, गैर लौह धातुओं तथा सीमेंट में सुधार दर्ज हुआ है। बिजली उत्पादन, भवन निर्माण और लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ खनन क्षेत्र का प्रदर्शन भी बेहतर हुआ है। निर्यात के मोर्चे पर औषधि और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों के साथ-साथ कपड़ा निर्यात भी बढ़ा है। चूंकि चालू वित्त वर्ष 2020-21 कोविड-19 का चुनौतियों का एक असामान्य वर्ष है, इसलिए हाल ही में 26 फरवरी को प्रकाशित हुए अर्थव्यवस्था की स्थिति से संबंधित आंकड़ों में संशोधन हो सकता है।

 कई वित्तीय चुनौतियां अभी भी सामने खड़ी हुई हैं। केंद्र और राज्य दोनों की वित्तीय स्थिति संतोषजनक रूप नहीं ले सकी हैं। बॉन्ड बाजार भी बढ़ी हुई सरकारी उधारी के लगातार जारी रहने से चिंताएं प्रस्तुत कर रहा है। मौद्रिक नीति से अधिक मदद की संभावना भी कम बनी हुई है। इस बात पर भी ध्यान दिया जाना होगा कि जीडीपी के आंकड़ों के अनुसार जिन सेक्टरों के लिए अपेक्षा के अनुकूल वृद्धि नहीं हुई है, उन सेक्टरों में प्राथमिकता के आधार पर समस्याओं का निवारण किए जाए। यद्यपि विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र का प्रस्तुतीकरण अपेक्षाकृत बेहतर रहा है, किंतु सेवा क्षेत्र के कुछ हिस्से पिछड़े हुए पाए गए हैं। यद्यपि कारपोरेट क्षेत्र में तेज सुधार देखने को मिला है लेकिन असंगठित क्षेत्र और छोटे कारोबार अभी भी संतोषजनक रूप से गतिशील नहीं हो पाए हैं। उन सेक्टरों की बेहतरी के लिए खास उपाय करने होंगे, जो अधिक रोजगार के अवसर पैदा करते हैं। चूंकि इस समय कोरोना संकट देश में एक बार फिर से बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, अतएव कोरोना संक्रमण को बढ़ने से रोकने और कोरोना टीकाकरण की सफलता पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाना होगा। यद्यपि वर्ष 2021 की शुरुआत से ही अर्थव्यवस्था में सुधार दिखाई दे रहा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को तेजी से गतिशील करने और आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में भारत को दुनिया में सबसे तेज विकास दर वाला देश बनाने की वैश्विक आर्थिक रिपोर्टों को साकार करने के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा। निःसंदेह देश की विकास दर बढ़ाने के लिए पिछले माह एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किए गए आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के अभूतपूर्व बजट का शुरुआत से सफल कार्यान्वयन जरूरी होगा। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि नए बजट में वित्तमंत्री के द्वारा कोरोना महामारी से देश को बचाने के लिए बड़े वित्तीय प्रावधान किए गए हैं, वहीं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार अवसरों में बड़ी वृद्धि के प्रयास भी किए गए हैं। जहां वोकल फॉर लोकल के तहत घरेलू उद्योगों के लिए चमकीले प्रोत्साहन दिए गए हैं, वहीं मेक इन इंडिया और निर्यात वृद्धि के लिए नई रेखाएं खींची गई हैं। रोजगार के नए अवसर पैदा करने के प्रयास किए गए हैं। तेजी से घटे हुए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए आकर्षक प्रावधान किए गए हैं।

नए बजट में महंगाई पर नियंत्रण और नई मांग का निर्माण करने की रणनीति है।

 कोरोना वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण एवं अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च में भारी वृद्धि की गई है। नए बजट के इन प्रावधानों के शुरुआत से क्रियान्वयन से अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर आगे बढ़ेगी। इसी तरह वित्तमंत्री ने जहां एमएसएमई को बड़ा प्रभावी बजट दिया है, वहीं पर्यटन उद्योग, होटल उद्योग सहित जो विभिन्न छोटे उद्योग-कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, उन्हें भी पुनर्जीवित करने के लिए नए बजट में बड़ी धनराशि दी गई है। खासतौर से टेक्सटाइल सेक्टर, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए बड़े बजट आवंटन किए गए हैं। ये सेक्टर नए बजट के कुशल प्रबंधन से अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस बात पर भी ध्यान दिया जाना होगा कि देश में जीडीपी में कुछ सुधार के बावजूद देश के अधिकांश परिवारों की खर्च संबंधी धारणा बेहतर नहीं हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का उपभोक्ता भरोसा सर्वे ऐसा रुझान दिखा रहा है। अतएव उपभोक्ताओं के खर्च की धारणा को सकारात्मक करके खर्च की प्रवृत्ति बढ़ाना जरूरी है। भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जरूरी है कि इसके विशाल उपभोक्ता बाजार में बुनियादी जरूरतों के लिए अधिक खर्च करने की चाह पैदा की जाए। हम उम्मीद करें कि मंदी से बाहर निकली देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार और विकास दर बढ़ाने के लिए सरकार आत्मनिर्भर भारत की डगर पर और अधिक तेजी से आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि सरकार सकल मांग और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए देश के निजी निवेश को हरसंभव तरीके से प्रोत्साहित करेगी।


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