फूलों की मंडी

By: Mar 21st, 2021 12:08 am

हिमाचल में पहली बार होगा नया प्रयास, मार्केटिंग के लिए भी होंगे प्रयास अपनी माटी की मुहिम पर प्रदेश सरकार का बड़ा कदम, बागबानों को मिलेगी राहत

हिमाचल में फ्लोरीकल्चर से जुड़े किसानों के लिए खुशी की खबर है। प्रदेश सरकार ने राज्य में फूल उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं तथा हिमाचल प्रदेश में शीघ्र ही बड़े स्तर पर एक फूलों की मंडी स्थापित की जाएगी। साथ ही फूलों की मार्केटिंग के लिए भी प्रयास होंगे। इसके लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा प्रस्तुत किए गए बजट में प्रावधान रखा गया है। गौर रहे कि प्रदेश के अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ ने ‘अपनी माटी’ में लगातार इस मसले को उठाया था। किसानी से बागबानी की तरफ बढ़ रहे किसान अकसर शिकायत कर रहे थे कि उन्हें फूलों की मार्केट नहीं मिल पाती है। खैर, अब सरकार की ओर से प्रयास हुआ है, तो उम्मीद है कि इससे सैकड़ों फार्मर्ज का भला होगा।

दूसरी ओर  हिमाचल की मंडियों का आधुनीकरण किया जाएगा तथा प्रदेश की कुल 60 मंडियों में से 30 मंडियों को ई-नेम प्रक्रिया से जोड़ दिया गया है, ताकि हिमाचल के किसानों के उत्पाद ऑनलाइन ही खरीददार देख सकें तथा इसकी पेमेंट भी ऑनलाइन ही किसानों व बागबानों को मिल सके। हिमाचल कृषि एवं विपणन बोर्ड के चेयरमैन बलदेव भंडारी ने अपनी माटी को बताया कि हिमाचल में 19 मंडियों को अपडेट किया जा रहा है, जबकि तीन नई मंडियां बड़े स्तर पर हिमाचल में खोली जाएंगी। इसमें करीब सवा दो सौ करोड़ का निवेश किया जाएगा।

बलदेव भंडारी ने कहा कि तीन नई मंडियों में जिला शिमला के ठियोग स्थित पराला में 60 करोड़ रुपए की लागत से सीए स्टोर का निर्माण किया जाएगा।  उन्होंने कहा कि हिमाचल के धान उत्पाद किसानों को फिलहाल अपना धान हरियाणा में बेचना पड़ रहा है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार कृषि एवं विपणन बोर्ड प्रयास कर रही है कि दूनवैली पांवटा साहिब में शीघ्र धान की खरीद के लिए सेलर की व्यवस्था की जाए। इसके लिए लाइसेंस का प्रयास किया जा रहा है। रिपोर्टः सूरत पुंडीर, एचडीएम

विधानसभा से देशी नसल गाय खरीदने को दिया जा रहा 20 प्रतिशत अनुदान

भोरंज विधायक कमलेश कुमारी ने लिखित सवाल किया कि प्रदेश में दुग्ध उत्पादन/डेयरी फार्म को बढ़ावा देने के लिए सरकार गाय या भैंस का क्रय करने पर अनुदान देने का विचार रखती है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री की ओर से बताया गया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित डेयरी उद्यमी विकास योजना के अंतर्गत जिन लाभार्थियों को नाबार्ड द्वारा दुधारू गाय/भैंस खरीदने के लिए ऋण पर अनुदान प्रदान किया जाता है, को हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा विदेशी एवं संकर नस्ल की गाय खरीदने के लिए 10 प्रतिशत तथा देशी नस्ल की गाय खरीदने पर 20 प्र्रतिशत अतिरिक्त अनुदान प्रदान करवाया जा रहा है।

रिपोर्ट:  विशेष   

किसानों को सलाह इस मौसम में इनकी करें बिजाई

संवाददाता, शिमला

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के एक्सपर्ट ने किसान भाइयों के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि इस मौसम में सिंचित क्षेत्रों में मूंग की पूसा बैसाखी तथा माश की यूजी 218 किस्मों की बुआई करें। बीज की मात्रा 18-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। बुआई केरा विधि से करें तथा कतार से कतार का फासला एक फुट रखें। इन्हीं दिनों सूरजमुखी की ईसी-68415 किस्म की बुआई करें।

बुआई के लिए कतार से कतार 60 सेंटीमीटर तथा पौधों के बीच 25-30 सेंटीमीटर का फासला रखें। सब्जी उत्पादन प्रदेश के निचले पर्वतीय क्षेत्रों में भिंडी ( पालम कोमल, परभनी क्रांति , पी-8 , अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, इंद्रनील, पंचाली (संकर) तथा फ्रांसबीन (कंटेंडर, पालम मूदुला, फाल्गुनी, प्रीमीयर, अर्का कोमल) की बिजाई करें। बिजाई के समय भिंडी में 100 क्विंटल गोबर की गली सड़ी खाद, 156 किलोग्राम इफ्को (12-32- 16) मिश्रण खाद 50 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 80 किलोग्राम यूरिया तथा फ्रांसबीन में 200 क्विंटल गोबर की खाद व 313 किलोग्राम इफ्को ( 12-32-16 ) मिश्रण खाद तथा 25 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में डालें। इन फसलों में खरपतवार नियंत्रण हेतु 3.0 लीटर लासो (एलाक्लोर ) प्रति हेक्टेयर की दर से 750 लीटर पानी में घोल कर बिजाई के तुरंत बाद छिड़काव करें। इन्हीं क्षेत्रों में कद्दू वर्गीय सब्जियों जैसे खीरा (लौंग ग्रीन, मालिनी (संकर) 243 (संकर  , चप्पन कदू (पूसा अलंकार, आस्ट्रेलियन ग्रीन), करेला (सोलन हरा, सोलन सफेद संकर चमन, पाली) व घीया (पूसा मंजरी, पूसा मेघदूत, पीएसपीएल) की सीधी बिजाई या पोली टयूब में उगाए पौधों की रोपाई करें। इन्हीं क्षेत्रों में टमाटर, बैंगन, लाल मिर्च व शिमला मिर्च की रोपाई करें।

रिपोर्टः कार्यालय संवाददाता, पालमपुर

मशरूम उगाएं, डेयरी लगाएं और मधुमक्खी पालें

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने किसानों को दी सलाह

हिमाचल में कृषि विश्वविद्यालय पूर्ण राज्यत्व स्वर्ण जयंती वर्ष पर कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इसी कड़ी में नगरी गांव में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक तथा कृषक-वैज्ञानिक प्रत्याकर्षण कार्यक्रम हुआ। इस दौरान कृषि मशीनीकरण पर एक मेला भी लगा। मेले की अध्यक्षता कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरींद्र कुमार चौधरी ने की। इस दौरान उन्होंने समूचे प्रदेश के किसानों को बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी इन्कम बढ़ाने के लिए गेहूं-धान के साथ हाइटेक खेती भी करनी चाहिए। मसलन मशरूम की खेती फायदेमंद हो सकती है, इसके अलावा मधुमक्खी, कुकुट पालन से बड़ा लाभ होता है। वहीं, नर्सरी और डेयरी भी खुशहाली ला सकते हैं।  उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे सरकार की योजनाओं के साथ ज्यादा से ज्यादा जुड़ें।                                                                                           रिपोर्टः जयदीप   रिहान, एचडीएम

कांगड़ा के फतेहपुर में बिकेगी किसानों की गेहूं, एफसीआई खोलेगी केंद्र

पालमपुर। हिमाचल के निचले इलाकों में गेहूं की फसल कुछ हफ्तों में पकने वाली है। इसी बीच किसानों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। कांगड़ा जिला के फतेहपुर में इस बार एफसीआई अपना खरीद केंद्र खोलेगी। यह केंद्र वहां सब्जी मंडी के पास खुलेगा, जिसमें किसान अपना अनाज बेच पाएंगे। कृषि विभाग के उपनिदेशक ने हमारे सीनियर जर्नलिस्ट जयदीप रिहान को बताया कि किसानों से बेहतर दामों पर गेहूं खरीदी जाएगी। पिछले सीजन में 2500 रुपए क्विंटल गेहूं खरीदी गई है। उन्होंने कहा कि आगामी समय में किसानों को और बेहतर बीज मुहैया करवाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि वे उन्हीं किसानों से बीज ले रहे हैं, जिन्हें सर्टिफाइड बीज दिया था। दूसरी ओर इस बार 24 हजार क्विंटल गेहूं का टारगेट रखा गया है।

केसीसी बैंक से यूं बनाएं किसान क्रेडिट कार्ड

किसान क्रेडिट कार्ड मौजूदा समय में किसान भाइयों के लिए बेहद फायदेमंद है। प्रदेश के कई किसान ऐसे हैं, जिन्हें इस कार्ड को बनाने की जानकारी नहीं है। ऐसे किसानों की मदद के लिए अपनी माटी टीम ने केसीसी बैंक बगली शाखा के मैनेजर सुयेश शर्मा से बात की। सुयेश ने किसानों को आसान शब्दों में समझाते हुए कहा कि इस कार्ड पर महज सात फीसदी ब्याज लगता है।  जो किसान समय पर   भुगतान करते हैं,  उन्हें ब्याज पर तीन फीसदी सबसिडी दी जाती है।

कूहली अव्वल जमीन हो, तो एक कनाल जमीन पर 20 हजार और बारानी अव्वल के लिए एक कनाल पर 16 हजार दिए जाते हैं। किसान को जमीन का पर्चा,ततीमा और भारमुक्त प्रमाण पत्र व स्टाम पेपर की जरूरत होती है। इसके अलावा दो गवाह जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि तीन लाख तक सात फीसदी ब्याज लगता है। उन्होंने कहा कि केसीसी बैंक हमेशा किसानों व अन्य ग्राहकों की सुविधा के लिए प्रयासरत है।

       रिपोर्टः विमुक्त शर्मा, एचडीएम

हिमाचल में कम बारिश से सूखा मटर

मंडी-कुल्लू से लेकर कांगड़ा-चंबा तक मार,किसानों ने मांगा मुआवजा

हिमाचल में इस बार कम बारिश होने से सूखे जैसे हालात बन गए हैं। निचले इलाकों की मुख्य फसल गेहूं पहले ही सूख चुकी र्है, अब नकदी फसलों की हालत खराब हो गई है।  सूखे का हाल जानने के लिए अपनी माटी की टीम ने इस बार मंडी जिला के गोहर इलाके का दौरा किया, तो पता चला कि यहां की मुख्य नकदी फसल मटर तबाह होने की कगार पर है। हालत इतनी खराब है कि दो करोड़ से अधिक का मटर पैदा करने  गोहर  इस बार 20 से 30 लाख तक ही सिमट जाएगा। कृषि विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि यह सब सूखे के कारण हुआ है। वहीं  व्यापार मंडल गोहर के अध्यक्ष रमेश शर्मा का कहना है कि खेती में मंदी का असर उनके कारोबार पर भी दिख रहा है।  बहरहाल गोहर के हालात से आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश में सूखे ने किस तरह से प्याज, लहसुन, गोभी, धनिया जैसी फसलों को बर्बाद कर  दिया है।  प्रदेश के किसानों ने सरकार से मांग उठाई है कि उन्हें मुआवजा प्रदान किया जाए।

           रिपोर्ट:  रमेश शर्मा, एचडीएम

मिनी पंजाब में गेहूं के पीछे पड़ा पीला रतुआ

मिनी पंजाब माने जाने वाले बल्ह क्षेत्र में  गेहूं की फसल पर पीला रतुआ रोग ने हमला कर किसानों को चिंता में डाल दिया है।  विभाग की ओर से कृषि विषयवाद विशेषज्ञ खंड बल्ह रामचंद्र चौधरी ने बताया कि वह किसानों की फसलों का जायजा लेने के लिए वह क्षेत्र का लगातार  दौरा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के डडौर, राकड, सयोहली, सोयरा, मलथेड़, जजरोत व वाल्ट आदि गांवों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं। प्रारंभिक अवस्था में गेहूं की फसल को आंशिक नुकसान पहुंचा है तथा अभी दवा का छिड़काव कर इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। कृषि अधिकारी रामचंद्र ने बताया कि किसानों को सलाह दी गई है कि  रोग का लक्षण मिलने पर प्रोपिकॉनाजोल दवा एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए तथा एक बीघे के लिए 60 मिली लीटर  दवाई 60 लीटर पानी मे घोल कर छिड़काव करें। इसे जरूरत के अनुसार 10-15 दिन में दोहराया जाए। ऐसा करने पर रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। वहीं, प्रदेश किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष सुंका राम व महासचिव सीता राम वर्मा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि पीला रतुआ बीमारी की रोकथाम के लिए प्रभावित किसानों को दवाई का निःशुल्क वितरण किए जाए।

चंगर में झुलसी  फसलें

प्रदेश के चंगर एरिया में सबसे खराब हालात हैं। चंगर में महज एक फुट तक गेहूं का पौधा सिमट गया है। इसमें फसल जीरो के बराबर होगी। यही हाल प्लम इलाकों के हैं। प्लम इलाकों में भी पानी पूरा नहीं मिल पा रहा है। कांगड़ा, चंबा, ऊना, हमीपुर से लेकर शिमला तक खड्डें सूख गई हैं। किसानों का कहना है कि इस बार गेहूं की फसल बेहद कम है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि किसानों को त्वरित नकद राहत प्रदान की जाए।

          रिपोर्टः निजी संवाददाता, रिवालसर

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