सड़क पर बेजुबान, कहां जाएं इनसान

By: Mar 6th, 2021 12:01 am

राकेश कथूरिया—कांगड़ा

बेजुबान पशु सड़कों पर हैं और सरकार की योजनाएं   मौन हैं। करीब छह महीने पहले कांगड़ा में कऊ सेंक्चुरी बनाने की घोषणा पूरे दमखम के साथ हुई थी। बाकायदा पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने पूरे दलबल के साथ बाइपास के निकट खाली पड़ी भूमि पर प्रस्तावित सेंक्चुरी स्थल का दौरा भी किया था। आलम यह है कि न तो वह भूमि सरकारी है और न ही वहां कुछ बनवाया है। वैसे पशुपालन मंत्री ने यहां मार्च माह में कऊ सेंक्चुरी चालू करने की घोषणा कर दी थी। जानकारी के अनुसार जिस भूमि पर सेंक्चुरी बनाई जानी थी, वह भूमि शामलात है, ऐसे में वहां निर्माण असंभव है। स्थानीय प्रशासन लैंड टाइटल क्लियर करवाने के लिए प्रयासरत है। इसका मसौदा भी उपायुक्त कांगड़ा को भेजा गया है, ताकि भूमि प्रदेश सरकार के नाम हो।

 हालांकि बाइपास पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित गो सदन है, परंतु नगर परिषद द्वारा बनाया गया गो सदन पिछले एक साल से सफेद हाथी साबित हुआ है। पंद्रह लाख से बना यह गो सदन एक साल में चालू नहीं हो पाया है। नतीजतन बेजुबान पशु सड़कों पर हैं। विशेष कर सब्जी मंडी क्षेत्र व तहसील चौक कांगड़ा से लेकर दो मेला चौक तक इनका आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इस वजह से सब्जी मंडी के आढ़तियों को परेशानी झेलनी पड़ती है। किसान इसलिए परेशान हैं कि गांव में उनकी फसल तबाह हो रही है, जबकि दुर्घटनाओं का अंदेशा भी बराबर बना हुआ है। शाम होते ही सभी आवारा पशु रात के करीब आठ-नौ बजे कांगड़ा बस स्टैंड के प्रवेश द्वार पर इकट्ठा होना शुरू हो जाते हैं और बाद में अलग-अलग रास्तों से हो कर खेतों तक पहुंच जाते हैं। पूरी रात भर यह पशु कांगडा बस स्टैंड के साथ लगते गांव रिहालपुरा, ललेहड़, वीरता, जोगीपुर के साथ लगते क्षेत्रों में फसलों व सब्जियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। (एचडीएम)

मौजूदा समय में गो सदन में 120 पशु

मौजूदा समय में यहां जो गो सदन चलाया जा रहा है, उसकी देखरेख गो सुरक्षा समिति करती है। यहां गउओं का आंकड़ा करीब 120 है और 75 हजार रुपए सालाना मंदिर ट्रस्ट समिति को इनकी देखरेख के लिए देता है।

सिरे न चढ़ा एमओयू

जो गो सदन नगर परिषद ने बनाया था, उसे चलाने के लिए एक निजी संस्था के साथ फरवरी, 2020 में एमओयू भी साइन हुआ, लेकिन वह सिरे नहीं चढ़ा। अब न तो संस्था इसे चला रही है और न ही आगे के लिए कोई प्लानिंग नगर परिषद पिछले एक साल से कर पाई है। नतीजतन गोवंश सड़कों पर हैं।

दस हजार पशुओं की टैगिंग

पशु चिकित्सक डा. गणेश का कहना है कि कांगड़ा में करीब 10 हजार गउओं की टैगिंग की गई है, जबकि नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी कहते हैं कि गो सदन को शीघ्र चालू किया जा रहा है।


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