कोरोना से फिर मानवीय चिंताएं

अब संक्रमण को रोकने के लिए उन लोगों का टीकाकरण करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है जो संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं। उन लोगों की रक्षा करना भी महत्त्वपूर्ण है जिन्हें काम के लिए घरों से बाहर निकलना पड़ता है। ऐसे में खुदरा और ट्रेड जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों की कोरोना वायरस से सुरक्षा जरूरी है। रिटेलरों और ट्रेडरों को सार्वजनिक आवाजाही के कारण कोविड-19 के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, जिसे देखते हुए इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को टीकाकरण कराने की मांग की जा रही है…

निःसंदेह इस समय कोरोना की दूसरी लहर और कुछ राज्यों में कोरोना के नए डबल म्यूटेंट मिलने से देश के सामने फिर से स्वास्थ्य, मानवीय और आर्थिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। एक बार फिर से जहां देश के कई राज्यों में लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू का परिदृश्य निर्मित होते हुए दिखाई दे रहा है, वहीं लोगों की उद्योग-कारोबार और रोजगार संबंधी आशंकाएं बढ़ते हुए दिखाई दे रही हैं। गौरतलब है कि विगत 17 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस संक्रमण में बढ़ोतरी के मद्देनजर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वर्चुअल चर्चा करते हुए कहा कि देश के 16 राज्यों के 70 जिलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में 150 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। आठ राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर से नए मामलों में चिंताजनक तेजी दिखाई दे रही है। ये राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, मध्यप्रदेश, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक और हरियाणा हैं। निःसंदेह तेजी से बढ़ती हुई कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए त्वरित और निर्णायक कदम उठाए जाने की जरूरत इसलिए है क्योंकि वर्ष 2021 में दुनिया के अधिकांश आर्थिक एवं वित्तीय संगठनों ने कोरोना संक्रमण के नियंत्रित हो जाने के मद्देनजर भारत की विकास दर में तेज वृद्धि की संभावना बताई है। इससे भारत विश्व में सबसे तेजी से विकसित होने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान फिर हासिल कर लेगा। ऐसे में देश में कोरोना की दूसरी लहर से बढ़ते हुए मानवीय और आर्थिक खतरों को रोकने और बढ़ती हुई विकास दर को अनुमानों के मुताबिक ऊंचाई देने के लिए कोरोना संक्रमण से संबंधित इन तीन बातों पर ध्यान देना होगा। एक, भारत को कोरोना वैक्सीन के निर्माण की वैश्विक महाशक्ति बनाया जाए। दो, अधिक लोगों का वैक्सीकरण किया जाए और तीन, कोरोना वैक्सीन की बर्बादी रुके।

वस्तुतः भारत दुनिया के उन चमकते हुए देशों में सबसे आगे है, जिन्होंने कोरोना का मुकाबला करने के लिए कोरोना की अधिक दवाइयां बनाई और कोरोना वैक्सीन के निर्माण में ऊंचाई प्राप्त की है। यह भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कोविड महामारी से जूझ रहे दुनिया के 150 से अधिक देशों को भारत ने कोरोना से बचाव की अनिवार्य दवाइयां मुहैया कराई हैं और 70 से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति की है। भारत में 16 जनवरी से शुरू हुए दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका के साथ मिलकर बनाई गई सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ‘कोविशील्ड’ तथा स्वदेश में विकसित भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ का उपयोग टीकाकरण के लिए किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनिया गुतेरस ने कोरोना टीकाकरण के मद्देनजर भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बताया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विगत 12 मार्च को क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) ग्रुप के चार देशों भारत, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने वर्चुअल मीटिंग में यह सुनिश्चित किया है कि वर्ष 2022 के अंत तक एशियाई देशों को दिए जाने वाले कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज का निर्माण भारत में किया जाएगा। ऐसे में निश्चित रूप से भारत कोरोना वैक्सीन निर्माण की महाशक्ति बनने की डगर पर आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा। यद्यपि इस समय सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ  इंडिया द्वारा बनाए जा रहे एस्ट्राजेनेको-ऑक्सफोर्ड के टीके कोविशील्ड और भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन का निर्माण देश में बड़े पैमाने पर हो रहा है, लेकिन अब अन्य कंपनियों के कोरोना वैक्सीन भी तेजी से बाजार में आना जरूरी हैं।

 बेंगलूरु की स्टेलिस बायोफार्मा कोरोना वायरस के स्पूतनिक-वी टीके का उत्पादन और आपूर्ति करने के लिए रूस के सॉवरिन वेल्थ फंड, रशियन डाइरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) से साझेदारी करने वाली तीसरी भारतीय कंपनी बनकर स्वदेशी कंपनियों ग्लैंड फार्मा और हेटरो की श्रेणी में आ गई है। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि रूस का आरडीआईएफ  अपने कोविड-19 टीके स्पूतनिक वी के लिए भारत में शक्तिशाली विनिर्माण क्षमता तैयार कर रहा है, जहां से इसकी आपूर्ति देश और दुनिया में होगी। ग्लैंड फार्मास्यूटिकल्स इस टीके की 25.2 करोड़ खुराकों की आपूर्ति करेगी। इसी तरह बेंगलूरु की स्ट्राइड्स फार्मा साइंस भी अनुबंध पर स्पूतनिक वी के लिए कोविड वैक्सीन के उत्पादन की दौड़ में शामिल है। जहां हैदराबाद की कंपनी हेटेरो स्पूतनिक वी की 10 करोड़ खुराकों की आपूर्ति करने जा रही है, वहीं आरडीआईएफ  ने भारत में अगले 12 महीनों में 25 करोड़ खुराक की आपूर्ति करना सुनिश्चित किया है। हाल ही में 23 मार्च को केंद्र सरकार ने देश में फिर से गंभीर होते कोरोना संक्रमण के हालात पर नियंत्रण के लिए एक अप्रैल 2021 से 45 की उम्र पार के लोगों को कोरोना टीकाकरण शुरू कर दिया है। इस महत्त्वपूर्ण फैसले से न केवल देश के करोड़ों लोगों की कोरोना चिंताएं कम होंगी, वरन् देश की विकास दर के सामने खड़ी कोरोना चुनौती भी कम होगी। ज्ञातव्य है कि देश में सभी स्वास्थ्य कर्मी, फ्रंटलाइन वर्कर्स, 60 साल से अधिक उम्र के लोग तथा 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के गंभीर बीमारी से ग्रसित लोग टीकाकरण के दायरे में आ चुके हैं। अब तक देश में 2 अप्रैल तक कोरोना टीके की करीब 6.87 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं तथा करीब छह करोड़ खुराक का निर्यात भी किया जा चुका है। अब संक्रमण को रोकने के लिए उन लोगों का टीकाकरण करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है जो संक्रमण के उच्च जोखिम में हैं।

उन लोगों की रक्षा करना भी महत्त्वपूर्ण है जिन्हें काम के लिए घरों से बाहर निकलना पड़ता है। ऐसे में खुदरा और ट्रेड जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों की कोरोना वायरस से सुरक्षा जरूरी है। रिटेलरों और ट्रेडरों को सार्वजनिक आवाजाही के कारण कोविड-19 के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, जिसे देखते हुए इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणी में रखकर सरकार से टीकाकरण कराने की मांग की जा रही है। इनके टीकाकरण के कदम से उपभोक्ता खुदरा क्षेत्र में तेजी से सुधार की संभावना है। इस बात पर भी ध्यान दिया जाना होगा कि भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान के तहत 6.5 प्रतिशत खुराक की बरबादी हो रही है, जिसके चलते केंद्र सरकार ने राज्यों से टीके के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देने और अपव्यय को कम करने के लिए कहा है। तेलंगाना जैसे कई राज्य राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक खुराक की बरबादी कर रहे हैं। तेलंगाना में 17.5 फीसदी खुराक बरबाद हो रही हैं तो वहीं आंध्र प्रदेश में 11.6 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 9.4 प्रतिशत टीकों की बरबादी हो रही है। यद्यपि वर्ष 2021 की शुरुआत से ही अर्थव्यवस्था और विकास दर में सुधार दिखाई दे रहा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को तेजी से गतिशील करने और वर्ष 2021 में भारत को दुनिया में सबसे तेज विकास दर वाला देश बनाने की वैश्विक आर्थिक रिपोर्टों को साकार करने के लिए कोरोना के नए बढ़ते हुए संक्रमण के नियंत्रण पर सर्वोच्च प्राथमिकता से ध्यान देना होगा।


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