साहित्य समीर की दस्तक

By: Apr 4th, 2021 12:03 am

पुस्तक समीक्षा

आठ वर्षों से भोपाल से निरंतर छपने वाली पत्रिका ‘साहित्य समीर दस्तक’ का दिसंबर-जनवरी 2021 संयुक्तांक बहुपठनीय अंक बन पड़ा है। सतर्क रहें, स्वस्थ रहें- कीर्ति श्रीवास्तव का यह संपादकीय इस बार भी सामयिक और सुपठनीय है। तीन कॉलम में 36 पृष्ठ की पत्रिका में देशभर के प्रख्यात लेखकों की उत्कृष्ट रचनाएं रहती हैं।

इस बार स्मृति शेष में अहद प्रकाश, चंद्रकांति त्रिपाठी हैं। उनकी छुपम छुपैया, सरल गिलहरी, बिट्टू और तोता रचनाएं प्रस्तुत हुई हैं। कहानी, लघुकहानी और लघुकथा के अंतर्गत नौ मनभावन रचनाएं हैं। काव्य धारा के अंतर्गत डा. ब्रह्मजीत गौतम, डा. केवल कृष्ण पाठक, देवेंद्र कुमार, डा. स्वदेश भटनागर, रविंद्र यादव, गोबिंद चौहान, राजलक्ष्मी कृष्णन, नूतन योगी, शंकर दीक्षित, प्रज्ञा पांडेय, धीरज श्रीवास्तव, छाया त्रिपाठी, डा. लक्ष्मी शुक्ल, केशव शरण की रचनाएं आकर्षित करती हैं। व्यंग्य में सब बातें हैं बातों का क्या, घनश्याम अग्रवाल, क्लबदेवी की कथा- मधुसक्सेना की रचनाएं धारदार और मारक हैं। तीन समीक्षाएं एक कहानी संग्रह लॉकडाउन काव्य संग्रह युगे-युगे शिशुपाल बहुत सुंदर हैं। बच्चों की दुनिया में बाल कहानी- ग्रीन हाऊस प्रभाव लेखिका मोनिका जैन पंछी की है। करुणा श्रीवास्तव, कीर्ति प्रदीप वर्मा, दिनेश चंद्र, नमिता सेन गुप्ता, शोभा भिसे, रामकरन जनक कुमारी सिंह की बाल कविताएं हैं। एटीएम का आविष्कार रघुराज सिंह का बेहतर आलेख है। नन्हें साहित्यकारों में आदि श्रीवास्तव की कहानी अनोखी राखी, नियती सिंह की कविता ‘बेटी हूं मैं’, चांद मोहम्मद घेसी का रेखाचित्र अंतर पहचानों बालकों की कलाएं बहुत सुंदर हैं। नदी संरक्षण का उदाहरण- मेघालय की पारदर्शी नदी पर डा. अनीता पंडा का आलेख आंखें खोलने वाला है। सुंदर साज-सज्जा मुद्रण वाली पत्रिका साहित्य समीर दस्तक की एक प्रति का मूल्य तीस रुपए है।

-कृष्णचंद्र महादेविया


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