बिजली की सप्लाई चौबीसों घंटे सुचारू हो

By: Apr 27th, 2021 12:06 am

इसी वजह से कई बार लोगों के घरों में बिजली के उपकरण लोड बढ़ने और घटने के कारण जलकर रह जाते हैं। विभाग ने क्या कभी इस तरह जलने वाले उपकरणों की जिम्मेदारी लेना गवारा समझा है? बिजली बाधित रहने से जहां लोग समस्याएं झेलते हैं, वहीं इंडस्ट्रीज मालिकों का कामकाज भी ठप होकर रह जाता है…

किसानों पर एक तो सूखे की मार पड़ रही है, ऊपर से गेहूं की फसलें लगातार आगजनी की भेंट चढ़ती जा रही हैं। गेहूं की फसलें आखिर किस तरह आए दिन आगजनी की भेंट चढ़ती जा रही हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। बिजली के शार्ट सर्किट की वजह से जलने वाली फसलों के मालिकों को विद्युत विभाग क्या मुआवजा देकर अपनी गलती में सुधार करेगा? हिमाचल प्रदेश में तूफान आने से अगर बिजली गुल हो जाए तो उपभोक्ताओं को घंटों अंधेरे में रहना पड़ता है। हिमाचल प्रदेश विद्युत विभाग की मालिया हालत की वजह से ऐसी किसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कोई खास योजना नहीं है। प्रदेश सरकार बेशक पहाड़ की जनता को कम्प्यूटरयुक्त मीटर लगाकर उसके बिल भुगतान पर रियायत देने की बातें कर रही हो, मगर सच्चाई यह है कि विद्युत विभाग के पास कर्मचारियों का अभाव होने से खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ रहा है। यही नहीं, विद्युत विभाग उपभोक्ताओं को अनुमान से बिजली बिल अतिरिक्त थमाकर उनकी मुसीबतें और बढ़ा रहा है। विभाग के पास कर्मचारियों का अभाव होने की वजह से कार्यालयों में बैठकर ही बिजली बिल अनुमान से काटे जा रहे हैं। महीनों बाद समय मिलने के बाद कर्मचारी उपभोक्ताओं को अतिरिक्त बिजली बिल थमाकर यही उपदेश देते हैं कि आपका पिछला बकाया निकला है। डिजिटल सिस्टम की अगर इस तरह की कार्यप्रणाली है तो बेहद शर्मनाक है जो कि उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन रही है। जनसंख्या अनुसार विद्युत कर्मचारियों की नियुक्ति किया जाना अब समय की मांग है। आलम यह है कि अगर रात के समय बिजली गुल हो जाए तो उपभोक्ताओं को विद्युत विभाग के कार्यालयों में सिवाय दरवाजे पर लटके तालों के कुछ नहीं मिलता है। विभाग के कार्यालय के बाहर किसी शिकायत लॉगबुक का भी मौजूद न होना उसकी कार्यप्रणाली को दर्शाता है। सरकार जनमंचों के माध्यम से जनता की समस्याओं का प्राथमिकता के तौर पर समाधान करवा रही है, मगर विद्युत विभाग की सेवाएं पहाड़ की जनता को चौबीसों घंटे मिले, इसके लिए योजना बनाने की अब जरूरत है।

 विद्युत विभाग बिजली पोल में बिछाई जाने वाली बिजली की तारों को अधिकतर बिना स्पेसर डाले ही लटका देता है। बिजली की तारों को समय पर न कसने की वजह से वे अक्सर नीचे लटककर रह जाती हैं। ऐसी सूरत में अगर मामूली तूफान भी आए तो यह बिजली की तारें आपस में टकराकर स्पार्किंग पैदा करते ही बिजली ट्रांसफार्मर से फ्यूज को उड़ा देती हैं और बिजली गुल हो जाती है। विद्युत विभाग के कुछेक कर्मचारी इसे प्राकृतिक समस्या का नाम देकर जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियां सही ढंग से नहीं निभा पा रहे हैं। नतीजतन रात भर लोग अंधेरे में ही रहने को मजबूर हुए जा रहे हैं। यही नहीं, पेड़ों की टहनियों के अक्सर बिजली की तारों से टकरा जाने से भी बिजली बाधित हो जाती है। बिजली तारों की मुरम्मत समय पर न होने की ृवजह से भी वे कहीं से भी टूट कर अप्रिय घटनाओं को अंजाम दे सकती हैं। बिजली ट्रांसफार्मर पर भी सुरक्षा के प्रबंध कोई खास नहीं दिखते, जिसके चलते कोई भी अनहोनी घटना घटित हो सकती है। विभाग सप्ताह में एक दिन कभी-कभार बिजली की तारों की मरम्मत कर रहा है। स्टाफ  के अभाव के चलते लोगों को खासकर गर्मियों में चौबीस घंटे बिजली की सुविधा पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही है। अगर बिजली का ट्रांसफार्मर जल जाए तो उसकी रिपेयर करने में ही कई दिन लग जाते हैं। इस बीच विभाग के पास कोई स्थायी तौर पर विकल्प नहीं होता ताकि बिजली सप्लाई चलाई जा सके। बिजली बिलों का समय पर उपभोक्ताओं को न मिलना उनके घरेलू आर्थिक बजट को डगमगा कर रख देता है। विभाग के कर्मचारी अब तो मीटर रीडिंग का आकलन किए बगैर ही अनुमान से बिजली बिल काटना अपनी आदत बना चुके हैं। गर्मियों का मौसम शुरू होते ही लोगों को बिजली की जरूरत भी कहीं अधिक बढ़ जाती है। चिलचिलाती गर्मी से राहत दिलाने के लिए बिजली चालित पंखों पर ही लोग ज़्यादातर निर्भर करते हैं। अंधेरी रातों में अचानक बिजली का बाधित हो जाना लोगों के लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब बनकर रह जाता है। पहाड़ में प्राकृतिक जल स्रोत बिल्कुल खत्म होने की कगार पर चल रहे हैं। जनता सिर्फ  बिजली से चलने वाली जल शक्ति विभाग की स्कीमों पर ही आश्रित हैं। ऐसे में बिजली का बाधित हो जाना आम जनमानस के लिए बहुत बड़ी चुनौती बनकर रह जाता है।

 गर्मियों में जहां बिजली लोगों की अत्यधिक जरूरत बन जाती है, वहीं बिजली ट्रांसफार्मर पर लोड का बोझ भी पहले की अपेक्षा कहीं अधिक बढ़ जाता है। इसी वजह से कई बार लोगों के घरों में बिजली के उपकरण लोड बढ़ने और घटने के कारण जलकर रह जाते हैं। विभाग ने क्या कभी इस तरह जलने वाले उपकरणों की जिम्मेदारी लेना गवारा समझा है? बिजली बाधित रहने से जहां लोग समस्याएं झेलते हैं, वहीं इंडस्ट्रीज मालिकों का कामकाज भी ठप होकर रह जाता है। सरकारी विभागों की अहम जिम्मेदारी बनती है कि वे प्रदेश की जनता को अपनी कुशल कार्यप्रणाली से अवगत करवाएं। पहाड़ के लोग भोले-भाले होने की वजह से विभागों के आला अधिकारी उनकी समस्याओं को जल्द नहीं निपटाना चाहते हैं। प्रदेश सरकार ने अब नए लगने वाले बिजली मीटरों को बगैर एनओसी लिए ही लगाए जाने का सराहनीय फैसला किया है। पहाड़ बिजली उत्पादन का जन्मदाता है जो दूसरे राज्यों को भी सप्लाई दे रहा है। यही एकमात्र कारण है कि अन्य राज्यों की तुलना में हिमाचल प्रदेश में बिजली अभी भी सस्ती दरों पर लोगों को मुहैया करवाई जा रही है। उपभोक्ताओं की भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे बिजली का अनावश्यक इस्तेमाल न करें और सरकार की मदद करें। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की सरकार विद्युत विभाग में चल रही स्टाफ  की कमी को पूरा करने लिए नई भर्ती शुरू करे। विद्युत कर्मचारियों की ड्यूटी तीन शिफ्टों में लेकर जनता को इस समस्या से राहत दिलाई जाए।

संपर्क :   

सुखदेव सिंह

लेखक नूरपुर से हैं


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